प्रहलाद गिरी
मोदी की रैली और पत्रकारों द्वारा की गयी कवरेज पर पत्रकार प्रहलाद गिरी की दो टिप्पणियाँ :
1. आज (29/09/2013) आजतक के मुख्य एंकर पुण्य पसून वाजपेयी का मुंह देखने लायक था. लग रहा था जैसे अपनी खुली आँखों से किसी भूत को देख लिया है क्यूंकि आज वो खुद दिल्ली के जापानी पार्क में मोदी जी की रैली को देखने गए थे. जब पुण्य प्रसून से पूछा गया कि आप इस रैली के बारे में क्या कहना चाहते हैं तो तोते की तरह चौबीस घंटे बोलने वाले एंकर पुण्य प्रसून सकते में पड़ गए.
पुण्य प्रसून बाजपेयी ने कहा कि मैंने आज तक किसी नेता के लिए कार्यकर्ताओं में इतना उत्साह और जोश नहीं देखा. लोग बस मोदी जी को सुनने के लिए पागल थे. आज मेरी धारणा बिलकुल गलत साबित हो गई कि नरेंद्र मोदी केवल एक वर्ग विशेष के नेता हैं.
यहाँ जापानी पार्क का नजारा देख अब मैं कह सकता हूँ कि बीजेपी को अब करंट पैदा करने वाला नेता मिल गया है जो सभी वर्गों का हितैषी है. मैंने आज अपनी आँखों से इस पार्क में एसी में बैठकर आराम पसंद करने वाले से लेकर गली में रहने वाले दलित और गरीब को मोदी जी की जय जय कार करते देखा है.
2. मोदी जी आपने कहा राहुल ने मनमोहन की पगड़ी उछाली बस्तुतः मनमोहन ने अपनी पगड़ी खुद उछाली है जब वह जी 20 सम्मेलन से लौटते वक़्त यह कह रहे थे कि उन्हें राहुल के अधीन काम करने में गर्व होगा उन्होनें अपनी गरिमा खुद गिरा दी थी. जहाँ तक नवाज़ का सवाल है उन्होनें मनमोहन की गिरती साख का फायदा उठाया और मौके पर चौका जड दिया. बरखा दत्त के बारे में कुछ भी कहना बेकार है क्योंकि वह सिर्फ अपने नाम को चमकाने के लिए पत्रकारिता करती हैं उन्हें देश या देश की गरिमा से कुछ भी लेना देना नहीं है. अभी मैने टीवी पर कॉंग्रेस को कहते सुना कि देहाती स्त्री अपना घर संभालती है वह एक सम्मान का पात्र है. इन लोगों को यह बताना चाहता हूँ कि आपने वस्तुतः गाँव देखा ही नहीं है. गाँव में भी देहाती या गंवार का प्रयोग नीचा दिखाने के लिए किया जाता है. देहाती या गंवार ग्रामीण क्षेत्रों में भी उसके लिए इस्तेमाल होता है जिसके पास शऊर नहीं होता, जो झगडालू या चुगलखोर किस्म का होता है. यह कॉंग्रेसियों का गाँव के बारे में समझ दिखाता है.
(नेपाल के पत्रकार प्रहलाद गिरी द्वारा फेसबुक पर की गयी टिप्पणी)