सॉफ्ट रिपोर्टिंग में महारथ हासिल है मुंबई के एनडीटीवी के पत्रकार प्रसाद काथे को ।
सुजीत ठमके
मीडिया खबर पॉजीटिव : सॉफ्ट स्टोरीज की रिपोर्टिंग, स्क्रिप्टिंग करना किसी भी पत्रकार के लिए बहुत बड़ी चुनौती है। जब यह स्क्रिप्टिंग और रिपोर्टिंग एनडीटीवी जैसे ब्रांड के लिए किये जाती हो तब यह मुश्किलें यानी अग्निपरीक्षा से कम नहीं है। खासकर वो रिपोर्टिंग जो खबर देश दुनिया के राजनीति से जुडी हो। भले ही टीआरपी के रेटिंग में एनडीटीवी पिछले पायदान पर है किन्तु पैकेजिंग के मामले में एनडीटीवी को कोई चुनौती नहीं है। चाहे वो न्यूज़ हो, करंट अफेयर प्रोग्राम, मनोरंजन,खेल जगत, फीचर बेस्ड सामरिक कार्यक्रमों का प्रस्तुतीकरण, ह्यूमन इंटरेस्ट स्टोरी या प्राईम टाईम शो के डिबेट। इसीलिए बुद्धिजीवी पैकेजिंग के मामले में एनडीटीवी जैसे ब्रांड को ही पसंद करते है।
मुंबई के एनडीटीवी के पत्रकार प्रसाद काथे एक ऐसा नाम जो एक खबर के जड़ तक पहुंचता है। खबर के कई पहलू को तराशता है। एक खबर की टीवी न्यूज़ चैनल की परिभाषा में के कई पहलू होते है। और उसको बेहतर ढंग से दर्शको को परोसना यही एक टीवी रिपोर्टर की कसौटी होती है। मुंबई के एनडीटीवी के पत्रकार प्रसाद काथे की रिपोर्टिंग देखने वाला एक ख़ास दर्शक है। और यही प्रसाद की युएसपी है। प्रसाद ने ई – टीवी मराठी क्षेत्रीय चैनल के जरिये टीवी पत्रकारिता की शुरुआत की। सहारा समय के जरिये हिंदी पत्रकारिता में कदम रखा। काफी समय सहारा समय में काम किया। महाराष्ट्र लोकसेवा आयोग घोटाला, १० वी, १२ वी कक्षा के मार्कशीट का गड़बड़झाला जैसे गंभीर मसले को प्रसाद ने सहारा समय में उठाया।
खबर राजनीति से जुडी हो या सामाजिक सरोकार से प्रसाद ने दमखम के साथ रिपोर्टिंग की। इसके बावजूद काथे को महाराष्ट्र और देश दुनिया के दर्शको के बीच ख़ास पैठ बनी वो केवल एनडीटीवी के जरिये ही। मूल रूप से मराठी होने के बावजूद प्रसाद ने हिंदी पर अच्छी पकड़ बनाई। काथे को राजनीतिक, फीचर बेस एवं सामाजिक मुद्दो से जुडी खबरे कवर करने और प्रस्तुत करने में महारथ हासिल है। एक परिपक्व टीवी पत्रकार की सभी खूबियाँ प्रसाद में है। खबर को दर्शको तक आसान, सरल भाषा में पहुचने और समझने के लिए प्रसाद रिपोर्टिंग एवं स्क्रिप्टिंग में मुहावरा, कहावत, जुमले आदि का इस्माल करते है। जैसा की एनडीटीवी की ख़ास पहचान है। ” पी -टू- सी ” के जरिये प्रसाद खबरों का लब्बूलुहाब दर्शको को समझाने देते है। जहाँ जरुरत है वहा जिरह भी करते है ताकि खबर को इन्साफ मिल सके। मराठवाड़ा का अकाल हो, पश्चिम महाराष्ट्र के गाव की छुआछुत की घटना या शिवसेना में पड़ी दरार। काथे की कई स्टोरी सरकार पर इम्पैक्ट कर गई। प्रसाद काथे ने एक से बढ़कर एक बेहतर फीचर और करेंट अफेयर प्रोग्राम को तैयार और खुद प्रस्तुत किया। जिसके चलते टीवी पत्रकारिता के योगदान के लिए काथे को अवार्ड भी मिला है।
प्रसाद रिपोर्टिंग और स्क्रिप्टिंग में अग्रेसिव, प्रोवोक भाषा का इस्तमाल करने से बचते है। कई बड़े राजनेताओ के साक्षात्कार काथे ने लिए। २००९ के विधानसभा चुनाव के वक्त मनसे चीफ राज ठाकरे का विवादित साक्षात्कार। राजनीति की कई कड़वी सच्चाई प्रसाद काथे ने राज ठाकरे के सामने रखी। मनसे चीफ आगबबूला हो उठे। दरअसल साक्षात्कार के दौरान मनसे चीफ ने प्रसाद को प्रोवोक करने काफी कोशिश की थी। किन्तु प्रसाद ने सूझबुझ, संयमित, शांत, विनम्रता दिखाकर इंटरविव को अंजाम दिया। एक टीवी पत्रकार की यही खासियत है। यूपीए सरकार के वक्त कोलब्लॉक आवंटन में लोकमत प्रबंधन का नाम आने के बाद महाराष्ट्र के शिक्षामंत्री का एक विवादित बाईट का आधार बनाकर प्रसाद ने बेहतर पैकेज बनाया जिसको श्रोताओ ने ख़ास पसंद किया। सॉफ्ट स्टोरी की रिपोर्टिंग, स्क्रिप्टिंग, पैकेजिंग एवं प्रस्तुतीकरण करताना मुश्किल चुनौती है। यह चुनौती तब और भी बढ़ी बन जाती है जब वो खबर राजनीति से जुडी हो। वाकई सॉफ्ट रिपोर्टिंग,स्क्रिप्टिंग एवं प्रस्तुतिकर में महारथ हासिल है मुंबई के एनडीटीवी के पत्रकार प्रसाद काथे को ।