फारवर्ड प्रेस के मालिकों ने मैनेजिंग एडिटर प्रमोद रंजन के अधिकारो पर कैंची चलाना लगभग तय कर लिया है। इसके लिए गुपचुप तैयारी करते हुए कई बार मैनेजिंग बोर्ड की मीटिंग हो चुकी है तथा 19 मार्च को सभी स्टॉफ की बैठक बुलाई गई है, जिसमें मैनेजिंग बोर्ड के सदस्य भी शामिल रहेंगे। बैठक में प्रमोद रंजन को कोई ”नई” संपादकीय जिम्मेवारी दिये जाने की बात कही जा रही है।
गौरतलब है कि फारवर्ड प्रेस पिछले दिनों दलित पाठकों के बीच तेजी से लोकप्रिय हुई है तथा इसके प्रबंध संपादक प्रमोद रंजन दलित-पिछडे राजनेताओं और बुद्धिजीवियों के बीच अच्छी पैठ रखते हैं। लेकिन मैनेजिंग बोर्ड के कई ताकतवर मेंबर उनके कामों से खुश नहीं हैं। फारवर्ड प्रेस में पिछले कुछ समय से प्रमोद रंजन धडाधड नियुक्तियां कर रहे थे तथा हरियाणा, पंजाब और बिहार समेत कई शहरों में ब्यूरो कार्यालय भी खोले गये थे।
देखना यह है कि क्या 19 मार्च के बाद ये नवनियुक्त पत्रकार फारवर्ड प्रेस में बरकार रहेंगे, या उन्हें बाहर का रास्ता दिखा दिया जाएगा। कहा तो यहां तक जा रहा है कि 19 मार्च की बैठक में प्रमोद रंजन को भी यह स्पष्ट संकेत दे दिया जाएगा कि अगर उन्हें फारवर्ड प्रेस में काम करना है तो पूरी तरह मैनेजिंग बोर्ड की मर्जी से चलना होगा।