संवाददाता की कम जानकारी, संपादक का अनदेखापन, पेज इंचार्ज की गैर जिम्मेवारी या फिर यह सभी कुछ?
12 जनवरी के प्रभात खबर, पटना में शहर में महात्मा गांधी की प्रमिता अनावरण को लेकर एक खबर छपी। इसकी पहली पंक्ति देखिए- ‘‘26 जनवरी को गांधी मैदान में चर्चित राष्ट्रपति महात्मा गांधी की भव्य प्रतिमा का अनावरण किया जाना है ……’’ इन पंक्तियों में इस तरह से गलत टाइपिंग या छपाई की गुंजाइश भी नजर नहीं आती, जो कि राष्ट्रपिता से चर्चित राष्ट्रपति हो जाए। इस रिपोर्ट में यों तो गलतियां और भी हैं, पर अभी बात सिर्फ तथ्यपरक गलतियों की। यह अखबार के खास पेज- प्रभात खबर लाइफ@पटना की उस दिन की प्रमुख खबर थी। अन्य अखबारों में खबरों में भी कई बार गलतियां देखने को मिलती हैं। इन दिनों अक्सर ही अखबार पढ़ते हुए ऐसा देखने को मिलता है। जबकि एक खबर, लिखे जाने से लेकर छप जाने तक कई नजरों से होकर गुजरता है।
गलतियों हो जाती हैं या कई मुद्दों पर जानकारी का अभाव हमें अच्छे अच्छे लोगों में देखने को मिलता हैं, लेकिन तथ्य से संबंधित इस तरह की भयंकर गलतियों को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। इसे हम क्या कह सकते हैं ? संवाददाता की कम जानकारी, संपादक का अनदेखापन, पेज इंचार्ज की गैर जिम्मेवारी या फिर यह सभी कुछ?
सच्चाई है कि आज हमें कई खबरें पढ़ने या देखने को मिलती हैं, जो तथ्यात्मक या भाषाई तौर पर गलत होते हैं। खासकर जब बात एक पत्रकार की की जाए तो सवाल यह है कि आखिर ऐसा क्यों है? पत्रकारों का सामान्य ज्ञान कम क्यों होता जा रहा है? कम से कम खुद लिखे जाने वाले खबरों के बारे में उसका सामान्य ज्ञान इतना तो होना चाहिए। आज जब देश भर में जगह-जगह पत्रकारिता की पढ़ाई होने लगी है और पत्रकारिता की डिग्री वालों को ही किसी मीडिया में जगह दी जाती है- ये सवाल और भी प्रासंगिक हैं। (लेखिका पत्रकार हैं.)