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काटजू जी, बिहार के चारो ओर भी झांकिये

बेशक बिहार एक अति संवेदनशील राज्य है। वहां के नेता किसी भी मुद्दे पर बोलने का मादा रखते हैं। इस मीडियाकरण के दौर में भी यदि प्रेस परिषद के एक टीम की इस रिपोर्ट पर कि यहां की सरकार मीडिया खास कर प्रिंट मीडिया की अपने पक्ष में गर्दन दबाये है तो विपक्षी नेताओं का खुला शोर-गुल मचाना काबिले तारिफ है। अब स्वतंत्र राज्य विज्ञापन आयोग की बात भी उठने लगी है। ऐसे भी बिहार को लेकर प्रेस परिषद के अध्यक्ष माननीय काटजू जी की कटार शुरु से ही तेज रही है।

मुझे अच्छी तरह याद है कि वर्ष 1995 के आम बिहार विधान सभा चुनाव के दौरान पटना से प्रकाशित एक सर्वाधिक प्रसार वाले एवं कुछ उसके पिछलग्गे अखबारों ने लालू प्रसाद को टारगेट में ले लिया था। तब उन्होंने अपने चुनावी भाषणों में अखबार नहीं पढ़ने और उसे सांमतवादियों का पुलिंदा कहना शुरु कर दिया। इसके बाद अखबारों की घिग्गी बंधने लगी थी।

रियल्टी शो बना मौत का शो

लॉस एंजिल्स.अमेरिका के उत्तरी लॉस एंजिल्स के ग्रामीण इलाके में डिस्कवरी चैनल के लिए एक नए रियलिटी टीवी शो की शूटिंग के दौरान हुए हेलिकॉप्टर हादसे में तीन लोग मारे गए।

लॉस एंजिल्स कंट्री के अग्निशमन अधिकारी रॉबर्ट डियाज ने कहा कि हेलिकॉप्टर हादसा रविवार को स्थानीय समयानुसार तड़के 3.40 बजे एक्टन शहर के मशहूर शूटिंग लोकेशन पोल्सा रोजा रैंच में हुआ।

डियाज ने कहा कि विमान में सवार सभी तीन व्यक्तियों की मौत हो गई। उनके नाम तत्काल जारी नहीं किए गए। डिस्कवरी चैनल के प्रवक्ता लॉरी गोल्डबर्ग ने बताया कि फिल्मिंग परमिट पर सैन्य मुद्दे पर आधारित अज्ञात टीवी कार्यक्रम का अभी तक न प्रसारण किया गया था और न ही इसके बाबत घोषणा की गई थी।

एक वक्तव्य में कहा गया कि हादसा तब हुआ जब एक प्रोडक्शन कंपनी डिस्कवरी चैनल के लिए एक शो की शूटिंग कर रही थी। हम अधिकारियों के साथ पूरा सहयोग कर रहे हैं। उनके परिवारों के लिए हमारी संवेदना और प्रार्थनाएं। (भाषा)

समाचार चैनलों ने मचाई महाकुंभ में भगदड़

ऐसा जान पड़ता है कि देश की सारी समस्याओं और दुर्घटनाओं का कारण समाचार चैनल ही हैं. नेताओं को आजकल जब भी मौका मिलता है तो समाचार चैनलों को कोसने से वे चूकते नहीं. इसी कड़ी में नया नाम कुंभ मेला प्रभारी आजम खान का भी जुड़ गया.

अपनी लापरवाही को अब वे चैनलों के मत्थे फोड़ने की जुगत में लगे हैं और ये बयान दिया है कि समाचार चैनलों की वजह से ही भागदड़ मची.

आजम खान ने पत्रकारों से बातचीत में कहा कि कुंभ मेले में नहर में गिरकर दो लोगों की मौत हो गई थी। इसे न्यूज चैनलों ने कुंभ मेले में भगदड़ मचने की खबर बनाकर प्रसारित किया। इससे लोगों ने हड़बड़ी में रेलवे स्टेशन पहुंचना शुरू कर दिया और वहां ये घटना सामने आई।

आजम खान ने कहा कि स्टेशन पर उदघोषणा की कोई उचित व्यवस्था नहीं थी। वहां पूरी तरह भ्रम की स्थिति थी। आजम खान ने कहा कि वे मंत्री पद से इस्तीफा देने को भी तैयार हैं अगर उनके किसी विभाग की लापरवाही इस मामले में सामने आती है। उन्होंने कहा कि यदि मेरे अधीन के किसी विभाग की गलती मिली तो मुझे मंत्री बने रहने में कोई दिलचस्पी नहीं है।

बिहार में निष्पक्ष पत्रकारिता करना असंभव

भारतीय प्रेस परिषद की बिहार में पत्रकारिता की आजादी पर अपनी जांच रिपोर्ट दे दी है.रिपोर्ट में नीतीश सरकार की तुलना इमर्जेंसी से की गई है और कहा गया है कि बिहार में निष्पक्ष पत्रकारिता करना असंभव है।

इस रिपोर्ट से हमारे कई मित्र खासा उत्साहित है ऐसा लग रहा है जैसे बिहार के बारे में किसी ने ऐसा कुछ कह दिया हो जिसका एहसास लोगो को नही था। अरे बाबा हमलोग तो रोज फिल्ड में फेस करते हैं कहते है सिर्फ ले ही रहे हैं कि दिखायेगी भी अब तो खुलेआम गाली देने लगे हैं।

खासकर जब पटना की सड़को पर कोई बड़ा आन्दोलन होता है।विपंक्ष के प्रेस वर्ता में भी यही सूनना पड़ता है काटजू को जो रिपोर्ट सौंपा गया है उससे कही बूरी स्थिति फिल्ड में है।

लेकिन सवाल यह उठता है कि इसका विकल्प क्या है कैसे आप स्वतंत्र और निष्पंक्ष पत्रकारिता कर सकते हैं और फिर हर किसी के नजर में पत्रकारिता के निष्पक्षता और स्वतंत्रता की परिभाषा भी अलग अलग है तय करना मुश्किल है चलिए इसी बहाने नीतीश एक बार फिर घेरे में हैं।

(अपने फेसबुक वॉल पर संतोष सिंह )

कुम्भ दुर्घटना का आँखों देखा हाल

” महाकुंभ में मातम के लिए स्थानीय प्रशासन और रेलवे ज़िम्मेदार”

Atika Ahmad Farooqui

इलाहाबाद. मौनी अमावस्या के दिन शाही स्नान करना मेरे अब तक के जीवन का सबसे दुर्भाग्यपूर्ण दिन रहा, क्योंकि मन में बहुत उत्सुकता को लेकर संगम स्नान के लिए गया था लेकिन परिणाम बिलकुल उसके विपरीत था , जहाँ मैंने सोचा था कि कुम्भ मेले को देखना मेरे लिए बहुत ही सौभाग्य की बात होगी परन्तु जब वहां पहुंचा तो तबाही के उस मंज़र को देखना पड़ा जो कि रूह को कंपा देने वाला था ,यह मेरे लिए पहली बार था कि मैं बेबस और असहाय महिलाओं, बच्चों और बुजुर्गों को किसी दूसरे की गलती का शिकार होते देख रहा था, वहां पर रक्षक का दावा करने वाली पुलिस भक्षक के रूप में नज़र आई ..यहाँ उत्तर प्रदेश की सरकार और प्रशासन के तमाम दावे रखे के रखे रह गए ,वहीँ रेलवे पुलिस ने भी ज़रा सी अफरा-तफरी को भयंकर भगदड़ बनाने में कसर नही छोड़ी ,

मैं पुलिस के क्रूर रूप और बर्बरतापूर्ण व्यवहार का आँखों देखा हाल बयां कर रहा हूँ ,

१. समय शाम के ५:३० बजे — एक वृद्ध महिला को प्लेटफार्म न. १ से हावड़ा की और जा रही ट्रेन से धक्का मारकर नीचे फेंका गया , जैसे ही वो नीचे गिरी उसका सिर पटरी पर जा लगा और पहिया उसकी गर्दन से निकल गया जिससे उसका सिर कट गया उर मौके पर ही मौत हो गई ,,लेकिन इन्तहा तो तब हुई जब लगभग आधा घंटे तक उसका शव् वहीँ पड़ा रहा और कोई भी अधिकारी उसे देखने तक नही आया,

२. शव को देखने ले लिए लोगों की भीड़ लगने लगी और ये खबर आग की तरह फैलने लग गई , लोग और भी तेज़ी से अन्दर आने लगे ,और कुछ ही देर में हजारों लोगों का हुजूम लग गया ,

३. जैसे -जैसे दिन ढलता गया वैसे वैसे लोग स्टेशन की ओर जाने लगे और पुलिस प्रशासन भीड़ पर नियंत्रण पाने में असहाय नज़र आने लगा ,

४. जब पुलिस को कोई उपाय नही सुझा तो उसने स्टेशन के बाहर ही लोगों पर डंडे फटकारने शुरू कर दिये, जिसका भुक्त भोगी मैं खुद भी हूँ , जिससे लोगों में अफरा तफरी मच गई , पर सड़क चौड़ी होने के कारण बड़ा हादसा होते होते बचा ,

५. स्टेशन के अन्दर पहले से ही क्षमता से ज्यादा लोग मौजूद थे लेकिन वहां न ही किसी अतिरिक्त ट्रेन का इंतजाम किया गया और न ही भीड़ को रोकने का , ये स्थिति दुर्घटना को खुले आम दावत थी ,

६. और आखिर वही हुआ जिसका डर था भीड़ के दवाब में लोग इधर उधर से निकलने का रास्ता देखने लग गए जो कि हमारी प्यारी रेलवे पुलिस को नागवार गुज़रा और स्टेशन के अन्दर लोगों से हुई हलकी छींटा-कशी पर अपना धैर्य खो दिया और बेबस महिलाओं ,बच्चों,और बुजुर्गों को लठियाना शुरू कर दिया ,

७. लाठियां पड़ते ही लोग खुद को बचाने के लिए इधर-उधर भागने लग गए और महिलाएं और बच्चे गिरने लगे ,जो गिरा वो फिर नही उठ सका ,और स्टेशन पर भयंकर भगदड़ होने लगी ,जिसमे कि घटना स्थल पर ही ३० से अधिक लोगों ने दम तोड़ दिया और सैकड़ों की संख्या में लोग घायल हो गए जिसमे कि अधिकतर महिलाये थीं ,

८. आनन-फानन में डी.आई.जी (रेलवे) अमले दखले के साथ वहां पहुँच गए और स्थिति पर नियंत्रण किया, लेकिन बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण रहा की उनहोंने कहा कि “जो हुआ सो हुआ लेकिन हमने बड़ी दुर्घटना को होने से बचा लिया ,

कुल मिलाकर इतने बड़े हादसे के जिम्मेदार रेलवे और स्थानीय प्रशासन की संवेदनहीनता रही

अम्बुज द्विवेदी
(पत्रकारिता एवं जनसंचार विभाग )

मंगलायतन विश्वविद्यालय,

अलीगढ़

मोबाइल नंबर ०७८९५८०९४०६

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