कुम्भ दुर्घटना का आँखों देखा हाल

” महाकुंभ में मातम के लिए स्थानीय प्रशासन और रेलवे ज़िम्मेदार”

Atika Ahmad Farooqui

इलाहाबाद. मौनी अमावस्या के दिन शाही स्नान करना मेरे अब तक के जीवन का सबसे दुर्भाग्यपूर्ण दिन रहा, क्योंकि मन में बहुत उत्सुकता को लेकर संगम स्नान के लिए गया था लेकिन परिणाम बिलकुल उसके विपरीत था , जहाँ मैंने सोचा था कि कुम्भ मेले को देखना मेरे लिए बहुत ही सौभाग्य की बात होगी परन्तु जब वहां पहुंचा तो तबाही के उस मंज़र को देखना पड़ा जो कि रूह को कंपा देने वाला था ,यह मेरे लिए पहली बार था कि मैं बेबस और असहाय महिलाओं, बच्चों और बुजुर्गों को किसी दूसरे की गलती का शिकार होते देख रहा था, वहां पर रक्षक का दावा करने वाली पुलिस भक्षक के रूप में नज़र आई ..यहाँ उत्तर प्रदेश की सरकार और प्रशासन के तमाम दावे रखे के रखे रह गए ,वहीँ रेलवे पुलिस ने भी ज़रा सी अफरा-तफरी को भयंकर भगदड़ बनाने में कसर नही छोड़ी ,

मैं पुलिस के क्रूर रूप और बर्बरतापूर्ण व्यवहार का आँखों देखा हाल बयां कर रहा हूँ ,

१. समय शाम के ५:३० बजे — एक वृद्ध महिला को प्लेटफार्म न. १ से हावड़ा की और जा रही ट्रेन से धक्का मारकर नीचे फेंका गया , जैसे ही वो नीचे गिरी उसका सिर पटरी पर जा लगा और पहिया उसकी गर्दन से निकल गया जिससे उसका सिर कट गया उर मौके पर ही मौत हो गई ,,लेकिन इन्तहा तो तब हुई जब लगभग आधा घंटे तक उसका शव् वहीँ पड़ा रहा और कोई भी अधिकारी उसे देखने तक नही आया,

२. शव को देखने ले लिए लोगों की भीड़ लगने लगी और ये खबर आग की तरह फैलने लग गई , लोग और भी तेज़ी से अन्दर आने लगे ,और कुछ ही देर में हजारों लोगों का हुजूम लग गया ,

३. जैसे -जैसे दिन ढलता गया वैसे वैसे लोग स्टेशन की ओर जाने लगे और पुलिस प्रशासन भीड़ पर नियंत्रण पाने में असहाय नज़र आने लगा ,

४. जब पुलिस को कोई उपाय नही सुझा तो उसने स्टेशन के बाहर ही लोगों पर डंडे फटकारने शुरू कर दिये, जिसका भुक्त भोगी मैं खुद भी हूँ , जिससे लोगों में अफरा तफरी मच गई , पर सड़क चौड़ी होने के कारण बड़ा हादसा होते होते बचा ,

५. स्टेशन के अन्दर पहले से ही क्षमता से ज्यादा लोग मौजूद थे लेकिन वहां न ही किसी अतिरिक्त ट्रेन का इंतजाम किया गया और न ही भीड़ को रोकने का , ये स्थिति दुर्घटना को खुले आम दावत थी ,

६. और आखिर वही हुआ जिसका डर था भीड़ के दवाब में लोग इधर उधर से निकलने का रास्ता देखने लग गए जो कि हमारी प्यारी रेलवे पुलिस को नागवार गुज़रा और स्टेशन के अन्दर लोगों से हुई हलकी छींटा-कशी पर अपना धैर्य खो दिया और बेबस महिलाओं ,बच्चों,और बुजुर्गों को लठियाना शुरू कर दिया ,

७. लाठियां पड़ते ही लोग खुद को बचाने के लिए इधर-उधर भागने लग गए और महिलाएं और बच्चे गिरने लगे ,जो गिरा वो फिर नही उठ सका ,और स्टेशन पर भयंकर भगदड़ होने लगी ,जिसमे कि घटना स्थल पर ही ३० से अधिक लोगों ने दम तोड़ दिया और सैकड़ों की संख्या में लोग घायल हो गए जिसमे कि अधिकतर महिलाये थीं ,

८. आनन-फानन में डी.आई.जी (रेलवे) अमले दखले के साथ वहां पहुँच गए और स्थिति पर नियंत्रण किया, लेकिन बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण रहा की उनहोंने कहा कि “जो हुआ सो हुआ लेकिन हमने बड़ी दुर्घटना को होने से बचा लिया ,

कुल मिलाकर इतने बड़े हादसे के जिम्मेदार रेलवे और स्थानीय प्रशासन की संवेदनहीनता रही

अम्बुज द्विवेदी
(पत्रकारिता एवं जनसंचार विभाग )

मंगलायतन विश्वविद्यालय,

अलीगढ़

मोबाइल नंबर ०७८९५८०९४०६


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