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फेसबुक ने 22 लाख संदेहास्पद विज्ञापनों को हटाया

facebook

सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म फेसबुक और इंस्टाग्राम पर 22 लाख से अधिक विज्ञापनों और 120,000 पोस्ट को कंपनी ने हटा लिया है, जिनमें 3 नवंबर को होने वाले अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव में बाधा डालने का प्रयास किया गया था। फेसबुक के प्रमुख निक क्लेग ने रविवार को यह खुलासा किया।

फ्रांसीसी मीडिया आउटलेट जर्नल डु डिमांचे को दिए एक साक्षात्कार में, क्लेग ने बताया कि कंपनी ने तीसरे पक्ष स्वतंत्र मीडिया द्वारा सत्यापित 15 करोड़ फर्जी खबरों पर चेतावनी पोस्ट की।

उन्होंने साक्षात्कार में कहा, “हम फुलप्रूफ नहीं हैं, और हम सभी गलत जानकारी या घृणित सामग्री को कभी भी नहीं हटाएंगे या पहचान नहीं करेंगे। लेकिन हमारी चुनावी रणनीति, हमारी टीम और हमारी तकनीकें लगातार सुधार कर रही हैं।”

क्लेग ने कहा, “हमने इस चुनाव के लिए जो कुछ किया है वह अभूतपूर्व है। फेसबुक 2016 की तुलना में आज बेहतर तरीके तैयार है।”

पिछले महीने, उन्होंने कहा था कि अमेरिका में नवंबर के चुनावों में अराजकता या हिंसक विरोध प्रदर्शन के मामले में सामग्री को प्रतिबंधित करने के लिए फेसबुक कड़े कदम उठा रहा है।

क्लेग ने फ्रेंच वीकली को बताया कि 35,000 कर्मचारी फेसबुक प्लेटफार्मों की सुरक्षा का ध्यान रखते हैं और चुनाव में योगदान करते हैं।

उन्हंोने कहा कि हमने सूचना के सत्यापन में फ्रांस में पांच सहित 70 स्पेशलाइज्ड मीडिया के साथ साझेदारी स्थापित की है। खतरों की पहचान करने के लिए एफबीाई जैसी अथॉरिटी और ट्विटर या यूट्यूब के साथ सहयोग किया गया है। 2016 में ये सब नहीं किया गया था।

रिपब्लिक टीवी से निराश है बार्क !

repbulic tv barc statement

ब्रॉडकास्ट ऑडियंस रिसर्च काउंसिल (बार्क) ने न्यूज चैनल रिपब्लिक टीवी नेटवर्क पर गोपनीय संचार का खुलासा करने और उसे गलत तरीके से पेश करने के लिए हमला बोला है। बार्क इंडिया ने एक बयान में कहा कि उसने इस मामले में चल रही जांच पर कोई टिप्पणी नहीं की है और वह जांच एजेंसियों को जरूरी मदद मुहैया कर रहा है।

बार्क इंडिया निजी और गोपनीय संचार का खुलासा करके और उसी को गलत बताते हुए रिपब्लिक नेटवर्क की कार्रवाइयों से काफी निराश है। बार्क इंडिया दोहराता है कि उसने इस मामले में जारी जांच पर टिप्पणी नहीं की है। यह रिपब्लिक नेटवर्क की कार्रवाई पर निराशा व्यक्त करता है।

इससे पहले रिपब्लिक नेटवर्क ने दावा किया था कि चैनल के साथ ई-मेल एक्सचेंज में बार्क की प्रतिक्रिया मुंबई पुलिस प्रमुख परम बीर सिंह द्वारा लगाए गए आरोपों के विपरीत है।

इस महीने की शुरूआत में, मुंबई पुलिस ने कम से कम तीन टीवी चैनलों द्वारा टीआरपी (टेलीविजन रेटिंग पॉइंट) डेटा में हेरफेर करने के एक बड़ी धोखाधड़ी का भंडाफोड़ किया था और इसके संबंध में गिरफ्तारियां भी कीं। (एजेंसी)

तनिष्क के सेक्युलर सनी देओल के गदर पर बवाल क्यों मचाते हैं?

tanishk love zihad

मोदी समर्थकों की तरह मोदी विरोधियों की भी ये समस्या है कि उनके लिए भी सब कुछ 2014 के बाद ही शुरू होता है..उससे पहले की बातें भूल जाते हैं लेकिन जिसे याद ना हो..उन्हें बता दूं 2001 में सनी देओल की फिल्म आई थी गदर..एक सरदार (तारा सिंह) और एक मुसलमान (सकीना) की प्रेम कहानी..गजब की फिल्म थी..ऐतिहासिक कामयाबी मिली…सिनेमा हॉल में गदर मचा दिया था..लेकिन इस फिल्म के खिलाफ मुसलमानों ने भी गदर मचाया था..जानते हैं क्यों ? मुसलमान इस बात से नाराज़ थे कि एक सरदार हीरो..एक मुसलमान हीरोइन की मांग कैसे भर सकता है ? फिल्म में तारा सिंह विभाजन के वक्त सकीना को रेप से बचाता है..उसकी जान बचाता है..उससे शादी करता है..जिस सरदार हीरो ने मुसलमान हीरोइन के लिए इतना किया होता है..उससे मुसलमान महज इसलिए नाराज़ हो जाते हैं कि सरदार ने मुसलमान हीरोइन की मांग में सिंदूर कैसे भर दिया..देशभर में बवाल हुआ..भोपाल में तो जबरदस्त आगजनी हुई..आगजनी करने वाला किस पार्टी का नेता था..जानते हैं ? सबसे बड़ी सेक्युलकर पार्टी कांग्रेस का नेता…और नेता का नाम बताना जरूरी है ? आप समझ ही गए होंगे..और जो नहीं समझे उन्हें बता दूं कि उस नेता का नाम आसिफ था..एक फिल्मी कहानी पर शहरों में आग लगा देने वाले लोग ज्ञान दे रहे हैं कि तनिष्क के विज्ञापन का विरोध क्यों ? विरोध क्यों हो रहा है, वो भी बताता हूं..

इसी विज्ञापन को थोड़ा बदल लीजिए..किसी हिंदू घर में किसी मुस्लिम लड़की को दिखा दीजिए..सारा लिबरलिज्म हवा हो जाएगा..तनिष्क के अलावा पोस्ट के साथ जो और दो फोटो दी हैं..उसी में देख लीजिए..किसी तिलक लगाए हिंदू को किसी हिजाब वाली महिला के साथ दिखा दीजिए..सर्फ एक्सेल का एड आया था..झक सफेद कुर्ता-पजामा पहने एक मुस्लिम बच्चे नमाज अदा करने जा रहा था..हिंदू बच्चे होली पर रंग फेंककर उसे परेशान कर रहे थे..तभी एक लड़की साइकिल पर उसे मस्जिद पहुंचाकर आती है..यानी आपने इससे 2 संदेश दे दिए..पहला तो ये कि होली पर हिंदू दूसरों को परेशान करते हैं..और दूसरा ये कि रंग पड़ जाएगा तो अल्लाह दुआ कबूल नहीं करेगा..अगर वो मुस्लिम बच्चा रंग लगे कपड़ों से ही नमाज़ पढ़ लेता तो क्या उसकी दुआ कुबूल नहीं होती..बच्चों के विज्ञापन में भी हिंदू-मुस्लिम डालने का क्या मतलब ?..यहां ना सिर्फ हिंदू-मुस्लिम डाला गया बल्कि ये भी बता दिया गया कि कौन से धर्म के लोग Bully करते हैं..तनिष्क को ही ले लीजिए..विज्ञापन वापस लेने पर जो सफाई दी है उसमें कहा है कि अपने स्टाफ और कर्मचारियों का ख्याल रखते हुए विज्ञापन वापस लेने का फैसला लिया गया है..यानी हिंदू हमला कर देते..जबकि सेटेनिक वर्सेज से लेकर चार्ली हेब्दो तक और कमलेश तिवारी से लेकर बैंगलोर दंगे तक इस बात का पूरा इतिहास है कि अभिव्यक्ति की आज़ादी की कौन कितनी इज्जत करता है ?

फिर आते हैं तनिष्क के विज्ञापन पर..आप लव जिहाद को राइट विंग का एजेंडा कहकर खारिज कर देते हैं..गूगल में जाकर केरल ईसाई लव जिहाद टाइप करिए..सैंकड़ों आर्टिकल मिल जाएंगे जिसमें ईसाई संगठन भी लव जिहाद का जिक्र कर रहे हैं..हिंदी अखबार बढ़ लीजिए..शायद ही कोई दिन बीतता हो जिस दिन लव जिहाद और सूटकेस में सिरकटी लाश की खबर ना छपती हो..जिस दिन तनिष्क का विज्ञापन आया था..उसी के अगले दिन लखनऊ में एक महिला ने विधानसभा के सामने खुदकुशी क्यों की..सब जानते हैं..और तनिष्क क्या दिखा रहा था..धीरे-धीरे ब्रेन वॉश ऐसे ही किया जाता है

अपनी बात गदर फिल्म से शुरू की थी..गदर की ही तरह एक और एतिहासिक हिट फिल्म थी शोले…इस फिल्म के पटकथा लेखक थे सलीम-जावेद…फिल्म में वीरू…भगवान शंकर की मूर्ति की पीछे छिपकर बसंती से फ्लर्ट करता है..यानी मंदिर का इस्तेमाल फ्लर्टिंग के लिए हो रहा है..लेकिन गांव में रहीम चाचा की मस्जिद में लाउड स्पीकर बज रहा है…ध्यान देने वाली बात ये है कि गांव के सबसे अमीर ठाकुर परिवार यानी संजीव कुमार के घर लालटेन जलती है..लेकिन मस्जिद में लाइट से लाउडस्पीकर चल रहा है..फिल्म दीवार में बिल्ला नंबर 786 अमिताभ की जान बचाता है लेकिन अमिताभ की मां निरूपा राय जिस भगवान भोलेनाथ की ज़िंदगी भर पूजा करती है..वो भगवान निरूपा राय को दुख के अलावा कुछ नहीं देते..अमिताभ मंदिर में जाकर शिवजी से इसकी शिकायत भी करते हैं..क्या ये सब महज एक संयोग था ? जावेद अख्तर के आजकल के ट्वीट देखकर लगता तो नहीं कि ये सिर्फ एक संयोग था..

कुल मिलाकर बात ये है कि जब तक हिंदू धर्म को बेड लाइट में दिखाया जाएगा तब तक सब सही है..बस अगर उसका उल्टा कर दिया..तब सबकी सेक्युलरिज्म और लिबरलिज्म सामने आ जाएगा..”

(श्री प्रदीप जोशी की वाल से साभार।)

नोट – ये लेखक के निजी विचार हैं, इससे पोर्टल के सम्पादकीय टीम का सहमत होना जरुरी नहीं

गूगल लेंस की पहचानने की क्षमता 15 अरब तक पहुंची

google lens

गूगल लेंस की पहचानने की क्षमता लगातार बढ़ रही है और अब वह 15 अरब चीजों की पहचान कर सकता है। दो साल पहले तक गूगल लेंस सिर्फ एक अरब चीजों की पहचान कर सकता था। गूगल लेंस आपको स्मार्टफोन के कैमरे से चीजों को देखता है और उनकी पहचान करता है। इनमें पौधे, जानवर, लैंडमार्क और कई अन्य चीजें शामिल हैं।

गूगल ने कहा है कि अगर आप नई भाषा सीख रहे है तों गूगल लेंस आपके लिए 100 भाषाओं का अनुवाद कर सकता है। इनमें स्पेनिश और अरेबिक भी शामिल हैं। आप गूगल लेंस की मदद से शब्दों को साफ आवाज में सुन सकते हैं।

गूगल लेंस एंड्रायड और आईओएस प्लेटफार्म पर मौजूद है और यह आपके बच्चे को होमवर्क कराने में भी मदद कर सकता है।

शॉपिंग में गूगल लेंस आपकी सबसे अधिक मदद कर सकता है। खासतौर पर ऐसी चीजों के लिए जिन्हें आप खोज रहे हैं लेकिन जिनके बारे में आप साफ शब्दों में बता नहीं सकते।

लेंस की मदद से आप अपने मनचाहे प्रॉडक्ट का फोटो या फिर स्क्रीनशॉट लेकर उसे आसानी से खोज सकते हैं। (एजेंसी)

सबसे बड़े डीडॉस साइबर हमले को गू्गल ने रोका

cyber attack

गूगल ने कहा है कि साइबर सुरक्षा खतरे जैसे डिस्ट्रीब्यूटेड डिनाइल-ऑफ-सर्विस (डीडीओएस) वैश्विक स्तर पर तेजी से बढ़ रहे हैं। यह हर आकार के व्यवसाय और उपयोगकर्ता के भरोसे को नुकसान पहुंचा रहे हैं। टेक दिग्गज ने खुलासा किया है कि उसके बुनियादी ढांचे ने सितंबर 2017 में ऊंची बैंडविथ वाले 2.5 टीबीपीएस डीडॉस के हमले को नाकाम किया था।

गूगल ने शुक्रवार को एक बयान में कहा, “हमारे हजारों आईपी को एक साथ निशाना बनाने के बावजूद हमले का हम पर कोई प्रभाव नहीं पड़ा।”

हमलावर ने चकमा देने के लिए कई नेटवर्क का उपयोग करके 167 एमबीपीएस (प्रति सेकंड लाखों पैकेट) से 1,80,000 सीएलएडीएपी, डीएनएस और एसएमटीपी सर्वरों को उजागर किया था।

कंपनी ने आगे कहा, “यह हमलावरों के अच्छी तरह से साधन संपन्न होने की बात को दशार्ता है क्योंकि यह हमला, एक साल पहले मिराई बॉटनेट पर हुए 623 जीबीपीएस की तुलना में 4 गुना बड़ा था। यह अब तक का सबसे उंची -बैंडविड्थ का हमला था।”

डीडॉस हमला बेवजह का ट्रैफिक बढ़ाकर पीड़ित की सेवा को बाधित करती है। हालांकि यह हमला उपयोगकर्ता के डेटा को उजागर नहीं करता है और समझौता करने के लिए भी नहीं कहता है। लेकिन यदि सिस्टम में आई रुकावट को जल्दी नहीं हटाया जाता तो यह उपयोगकर्ताके विश्वास को खोने का कारण बनता है।

गूगल ने यह भी कहा कि हमलावर सिस्टम को बाधित करने के लिए लगातार नई तकनीकें विकसित कर रहे हैं।

गूगल ने कहा, “हम भविष्य में होने वाले हमलों के अपेक्षित आकार का अनुमान लगा सकते हैं। लिहाजा हमें अप्रत्याशित चीजों के लिए तैयार रहना जरूरी है।”

कंपनी ने हाल ही में ‘क्लाउड आर्मर मैनेज्ड प्रोटेक्शन’ की घोषणा की है जो उपयोगकर्ताओं को अपनी तैनाती को सरल बनाने, लागतों का प्रबंधन करने और एप्लिकेशन की सुरक्षा के जोखिम को कम करने में सक्षम बनाता है।

गूगल ने कहा कि यह इंटरनेट समुदाय के दूसरे लोगों के साथ काम कर रहा है ताकि वह उस इंफ्रास्ट्रक्चर की पहचान करके खत्म कर सके, जिनके जरिए ये हमले किए गए। (एजेंसी)

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