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प्रभासाक्षी डॉट कॉम ने ब्रह्मानन्द राजपूत को सम्मानित किया

Brahmannad Rajput journalist

नई दिल्ली/आगरा। भारत के प्रमुख हिन्दी समाचार पोर्टल प्रभासाक्षी की 19वीं वर्षगाँठ के अवसर पर आयोजित वेबिनार में आगरा के लेखक व पत्रकार ब्रह्मानन्द राजपूत को ‘हिन्दी सेवा सम्मान-2020’ से सम्मानित किया गया।

प्रभासाक्षी की ओर से प्रतिवर्ष यह सम्मान दिया जाता है। ब्रह्मानन्द राजपूत सहित देशभर से 9 अन्य लेखकों को भी यह सम्मान दिया गया है।

ब्रह्मानन्द राजपूत वर्तमान में स्वतंत्र रूप से हिंदी लेखन का कार्य कर रहे हैं।

ब्रह्मानन्द राजपूत को मिले इस ‘हिन्दी सेवा सम्मान-2020’ पर हिंदी लेखन और पत्रकारिता जगत से जुडी हुई जानी मानी हस्तियों ने हर्ष व्यक्त किया है और ब्रह्मानन्द राजपूत को अपनी शुभकामनाएं प्रेषित की हैं।

इस मौके पर ब्रह्मानन्द राजपूत ने कहा कि ‘हिन्दी सेवा सम्मान-2020’ मिलना मेरे लिए गर्व की बात है।

ब्रह्मानन्द राजपूत ने कहा कि हिन्दी भाषा सिर्फ वार्तालाप और संचार का ही माध्यम नहीं है बल्कि यह देश में रोजगार के सृजन का भी माध्यम है।

आज हिन्दी सिनेमा से लेकर हिन्दी पत्र-पत्रिकाओं, समाचार-पत्रों, और सोशल मीडिया पर हिन्दी का बोलबाला है, जो कि देश में लाखों रोजगार पैदा करते हैं। आज इंटरनेट पर भी करोड़ों लोग हिंदी का अनुसरण करते हैं, इसलिए आज हिन्दुस्तान में सोशल मीडिया (फेसबुक, ट्विटर, इंस्टाग्राम) भी अपना रूपांतरण हिंदी में कर चुका है और करोड़ों लोग फेसबुक और ट्विटर पर अपने विचार हिंदी में साझा करते हैं।

आज विदेशी वेबसाइटें भी अपना हिंदी संस्करण हिन्दुस्तान में प्रारंभ कर रहीं है क्योंकि उनको पता है कि हिन्दुस्तान में अगर उनको टिकना है तो हिंदी को बढ़ावा देना ही होगा।

उन्होंने कहा कि हिंदी भारत का मान है, कहा जाये तो हिन्दी के बिना हिन्दुस्तान की कल्पना करना निरर्थक है।

ब्रह्मानन्द राजपूत ने बताया कि वो पिछले १२ वर्षों से हिंदी के क्षेत्र में अपनी सेवाएं दे रहे हैं और ये सेवाएं उनके मरते दम तक जारी रहेंगी।

साइबर अपराध के बढ़ते मामले

cyber crime in india

नोटबंदी के बाद कैशलेस भले ही एक अच्छा तरीका है, लेकिन बढ़ते साइबर क्राइम के बीच यह सुविधा लोगों को नुकसान भी पहुंचा रही है। हर वर्ष साइबर क्राइम के पास एटीएम कार्ड से ठगी की एक हजार से अधिक शिकायतें मिलती हैं। एटीएम कार्ड से धोखाधड़ी की हर दूसरी शिकायत एक जैसी होती है। इन शिकायतों में सहायता के नाम पर एटीएम बदलकर खाते से रकम निकाले जाने की शिकायत की जाती है। वहीं साइबर क्राइम सेल इन शिकायतों को गंभीरता से नहीं ले रही है। कारण यह है कि यह शिकायतों में एक ही बात कही जाती है कि कोई युवक सहायता के नाम पर एटीएम बदल लिया और उसने खाते से रकम निकाल ली। हम जितनी तेजी से डिजिटल दुनिया की ओर बढ़ रहे हैं, ठीक उतनी ही तेजी से साइबर अपराधों की संख्या में बढ़ौतरी हो रही है। जिस गति से सूचना प्रौद्योगिकी ने तरक्की की है, उतनी ही तेजी से हमारी इंटरनेट पर निर्भरता बढ़ी है।

मौजूदा समय में इंटरनेट का उपयोग लगभग हर क्षेत्र में किया जा रहा है जैसे कि सोशल नेटवर्किंग, आनलाइन शापिंग, गेमिंग डाटा स्टोरेज, आनलाइन जॉब और यहां तक कि कोरोना काल में आनलाइन स्टडीज का प्रचलन बढ़ा है। कहते हैं विज्ञान विकास भी है और विनाश भी। विज्ञान का सद्पयोग किया जाए तो ठीक है लेकिन दुरुपयोग किया जाए तो विध्वंस भी हो सकता है। साइबर अपराधों के साथ-साथ आनलाइन गुंडागर्दी भी काफी बढ़ चुकी है। समाज में दूसरों का चरित्र हनन करने, बलात्कार की खुलेआम धमकियां देने, एक-दूसरे पर कीचड़ उछालना आम होता जा रहा है। बड़े पैमाने पर सोशल नेटवर्किंग साइट्स का उपयोग करने वाली जनसंख्या साइबर अपराध के खतरों से अनजान है। विभिन्न सोशल नेटवर्किंग साइट्स के सर्वर अन्य देशों में केन्द्रित हैं, जिससे यह डर रहता है कि कहीं यह देश लोगों की व्यक्तिगत जानकारियों का दुरुपयोग न करे। आशंकाएं निर्मूल नहीं क्योंकि सोशल साइटों द्वारा डाटा बेचना, डाटा लीक होना प्रमाणित हो चुका है। हैकर्स आनलाइन ठगी का शिकार बना रहे हैं। लाखों लोगों के घर बर्बाद हो चुके हैं क्योंकि हैकर्स उनकी जीवन भर की कमाई एक पल में ले उड़े।

सुरक्षा एजैंसियों ने कई मामलों में यह भी पता लगाया है कि आनलाइन मुद्रा स्थानांतरित करने वाले कई अलग-अलग तरह के एप से आतंकवादियों और देश विरोधी तत्वों को फंडिंग की जाती है। साइबर अपराधी आनलाइन गेम्स के माध्यम से बच्चों को अपराध के लिए न केवल प्रोत्साहित करते हैं, बल्कि सोशल साइटों के चैट एप के जरिये युवकों की मानसिकता जहरीली बनाई जा रही है। आतंकवादी संगठन तो नए आतंकवादियों की भर्ती भी आनलाइन ही कर रहे हैं। पुलिस स्मृति दिवस पर गृह मंत्री अमित शाह ने अपने सम्बोधन में कहा है कि साइबर अपराध, आतंकवाद और सीमा सुरक्षा से जुड़ी नई चुनौतियों से िनपटने के लिए पुलिस और अर्द्धसैनिक बल के जवानों को तैयार किया जा रहा है और इसके मद्देनजर एक व्यापक आधुनिकीकरण कार्यक्रम भी चलाया जा रहा है। पुलिस का काम नई चुनौतियों और उसके आयामों से बढ़ता जा रहा है। इस लिये मानव बल का प्रौद्योगिकी को जोड़कर काम करना लक्ष्य होना चाहिए और यह काम तत्परता और तकनीक के साथ-साथ किया जाना चाहिए।

ऐसा नहीं है कि पुलिस मोबाइल हैक कर दूसरों की रकम उड़ाने वाले लोगों को गिरफ्तार नहीं कर रही। रोजाना ऐसे केस हो रहे हैं और अपराधी पकड़े भी जा रहे हैं। पिछले दो वर्षों में साइबर हमलों में ढाई लाख करोड़ का नुक्सान हो चुका है। रैनसमवेयर हमले लगातार बढ़ रहे हैं और अपराधी घरों में बैठकर काम कर रहे हैं। ये लोग काफी निष्ठुर हैं। ये अस्पतालों को भी निशाना बना रहे हैं, क्योंकि वे जानते हैं कि आपात स्थिति में अस्पताल भुगतान करेंगे ही। राष्ट्रीय साइबर सुरक्षा रणनीित का मकसद भारत में सुरक्षित, भरोसेमंद और गतिशील साइबर स्पेस सुनिश्चित करना है। पूरी दुनिया में वैश्विक कोरोना महामारी के दौरान साइबर अपराधों में 350 फीसदी की बढ़ौतरी हुई है। जालसाजों ने ज्यादातर अस्पतालों और स्वास्थ्य देखभाल प्रणालियों को निशाना बनाया है।

साइबर अपराधों के साथ सोशल मीडिया पर गुंडागर्दी भी समाज और पुलिस के लिए बड़ी चुनौती बन कर उभरी है। सोशल मीडिया प्लेटफार्मों पर फर्जी अकाउंट बनाए गए हैं। जिनके माध्यम से गंदी मानसिकता वाले लोग स्कूली बच्चियों को भी ब्लैकमेल करने से नहीं हिचक रहे। प्रेम संबंध टूटने पर लड़कियों को धमकियां दी जाती हैं कि उनकी फोटो सोशल मीडिया पर डाल कर समाज में उनको नग्न कर दिया जाएगा। ऐसी घटनाओं से लड़कियां भावनात्मक रूप से टूट रही हैं और आत्महत्याएं कर रही हैं।साइबर अपराधों से निपटने के लिए कानून तो बनाया गया लेकिन वह कारगर साबित नहीं हुआ। कोरोना काल के दौरान केरल में साइबर अपराध अचानक बढ़ गए और सोशल मीडिया पर महिलाओं को परेशान करने की घटनाएं भी बढ़ गईं। इससे महिलाओं का व्यक्तिगत जीवन न केवल प्रभावित हुआ, बल्कि सामाजिक ताना-बाना भी छिन्न-भिन्न हुआ।

अशोक भाटिया

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तीसरे एशियन लिटरेरी कंफ्लुएंस 2020 का सफल आयोजन

Asian Literary Confluence 2020

एशियन लिटरेरी सोसाइटी ने 23 अक्टूबर 2020 को बड़ी धूमधाम से तृतीय एशियन लिटरेरी कंफ्लुएंस का आयोजन किया। मुख्य अतिथि सुश्री मीनाक्षी नटराजन (प्रख्यात लेखिका और पूर्व संसद सदस्या) ने कार्यक्रम का उद्घाटन किया। श्री मनोज कृष्णन (लेखक और संस्थापक, एशियन लिटरेरी सोसाइटी) ने 2020 के दौरान संस्था द्वारा किए गए कार्यक्रमों की जानकारी दी।

उन्होंने वार्षिक वर्डस्मिथ अवार्ड्स, सागर मेमोरियल अवार्ड, गीतेश बिवा मेमोरियल अवार्ड और फ़ोटोग्राफ़ी प्रतियोगिता के विजेताओं के नामों की भी घोषणा की। इस अवसर पर डॉ. परीक्षित सिंह (प्रख्यात कवि और संस्थापक, एक्सेस हेल्थ केयर फिजिशियन, यूएसए) और श्री सुदर्शन कचेरी (सीईओ, ऑथर्सप्रेस) के साथ श्रोताओं को रु-ब-रु होने का मौका मिला।

इस सम्मलेन में कविता पाठ के एक सत्र भी आयोजित किया गया जिसमें देश-विदेश के 25 से अधिक कवियों ने अपनी कविताएँ प्रस्तुत की।शाम के सत्रों के दौरान साहित्य और कला के क्षेत्र के कई हस्तियों ने भाग लिया।

डॉ. अमरेन्द्र खटुआ (पूर्व सचिव, एमईए), श्री कुमार विक्रम (संपादक, नेशनल बुक ट्रस्ट), और डॉ. ए .जे. थॉमस (अतिथि संपादक, साहित्य अकादमी) ने भारत में एशियाई साहित्य को लोकप्रिय बनाने के बारे में अपने विचार व्यक्त किए।

प्रख्यात हिंदी कवि डॉ. ओम निश्चल और डॉ. लक्ष्मी शंकर बाजपेयी ने सोशल मीडिया के युग में हिंदी साहित्य के बदलते स्वरुप विषय पर श्रोताओं को सम्बोधित किया ।

मॉडर्न इंग्लिश लिटरेचर में फेमिज्म पर हुई चर्चा में श्री युयुत्सु शर्मा (प्रख्यात कवि, नेपाल), सुश्री संथिनी गोविंदन (प्रख्यात लेखिका) और सुश्री मंदिरा घोष (कोषाध्यक्ष, कविता सोसाइटी, इंडिया) पैनलिस्ट थीं।

जानी-मानी लेखिकाएं सुश्री अमृता भल्ला, सुश्री बीना पिल्लई और सुश्री मीना मिश्रा ने दक्षिण एशियाई साहित्य और भारतीय सिनेमा पर हुई चर्चा में भाग लिया।

मशहूर हिंदी कवयित्री सुश्री ममता किरण, सुश्री रेणु हुसैन और सुप्रसिद्ध लेखिका डॉ. कमल कुमार ने हिंदी भाषा और साहित्य पर अपने विचार व्यक्त किए।

जानी-मानी कलाकार सुश्री लिप्पी परीदा और मशहूर फ़ोटोग्राफ़र श्री रोहित सूरी ने “द आर्ट ऑफ़ फ़ोटोग्राफ़ी” जैसे दिलचस्प विषय पर कलाप्रेमियों को सम्बोधित किया।

सम्मलेन के इन सत्रों का संचालन सुश्री अनिता चंद (प्रशासिका, एएलएस), डॉ. अपर्णा बागवे (प्रशासिका, एएलएस), सुश्री किरण बाबल (राजदूत, एएलएस), डॉ. स्वास्ति धर (सम्पादिका, जेएएसीएल), सुश्री निशा टंडन (लेखिका एवं कवयित्री), और सुश्री पूनम कंवल (लेखिका एवं कवयित्री) ने किया।

कोरोनावायरस महामारी के मद्देनज़र इस बार यह वार्षिक सम्मलेन ऑनलाइन आयोजित की गई थी जिसे सभी प्रतिभागियों और दर्शकों से बेहद सकारात्मक प्रतिक्रिया मिली।

मिर्जापुर का क्रेज देखकर जब कालीन भैया हुए दंग !

pankaj tripathi kalin bhaiya mirjapur
मिर्जापुर में कालीन भैया के दमदार किरदार में पंकज त्रिपाठी

मिर्जापुर’ का ज़बरदस्त क्रेज़ देखकर पंकज त्रिपाठी हुए दंग : साल 2018 में, मिर्जापुर ने अमेज़न प्राइम वीडियो के साथ वेब-सीरीज़ की दुनिया में अपना कदम रखा था और तभी से यह सभी के दिलों में छाया हुआ है। यह जल्द ही भारत में एकमात्र वेबसीरीज बन गयी, जिसने प्रशंसकों को बीच इस तरह का पागलपन देखा है। इतना ही नहीं, फैन्स ने दूसरे सीज़न के लिए मांग उठाना शुरू कर दिया।

एक्टर पंकज त्रिपाठी ने एक दिलचस्प घटना साझा करते हुए बताया, “मैं ग्लासगो, यूके में 83′ फिल्म की शूटिंग कर रहा था। शूटिंग के दौरान लोग उस जगह के आसपास इकट्ठा हो गए और मैंने सोचा कि शायद यह इसलिए है क्योंकि वे एक भारतीय फिल्म की शूटिंग देखने के लिए उत्साहित हैं। वह भीड़ सिर्फ भारतीयों की नहीं थी, विदेशी भी वहाँ जमा हो गए और शूटिंग पूरी करने के बाद जब मुझे उनसे मिलने का मौका मिलता था, तो वे केवल एक ही सवाल पूछते थे कि- कालीन भैया, आप स्क्रीन पर कब वापस आएंगे?”

“मैं मिर्जापुर के विशाल फैनडम को देखकर दंग रह गया, जिसने ब्रिटेन तक अपना रास्ता तय कर लिया है। जब मैं अन्य परियोजनाओं के लिए भी शूटिंग कर रहा था, तब भी क्रू मेंबर्स और आसपास के सभी लोग मिर्जापुर के बारे में जानने के लिए उत्सुक रहते थे।”

हम वास्तव में सोचते हैं कि मिर्जापुर का जादू दर्शकों पर इस कदर शुमार था कि उन्होंने कभी भी सीज़न 2 की मांग उठाना बंद नहीं किया। अमेज़ॅन प्राइम वीडियो का सोशल मीडिया अकाउंट और सभी कलाकारों के सोशल मीडिया अकाउंट्स पर सिर्फ एक सवाल के साथ बमबारी की गई – सीज़न 2 कब आएगा?

मिर्जापुर का दूसरा सीज़न 23 अक्टूबर 2020 को आ चुकी है जिसे अपेक्षा के अनुरूप खूब देखा-सुना जा रहा है।

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