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हिंडन नदी पर हिंडनबर्ग को तलाशते रवीश कुमार

ravish kumar

रवीश कुमार टेलीविजन पत्रकारिता में अपने अलग अंदाज के लिए जाने जाते हैं। उनकी भाषा और प्रस्तुतिकरण की शैली भी अनोखी है। यही वजह है कि वे समकालीन पत्रकारों में सर्वाधिक चर्चित और लोकप्रिय पत्रकारों में से एक हैं। हालांकि एनडीटीवी से बाहर निकलने के बाद वे किसी मीडिया संस्थान के साथ तो नहीं जुड़े हैं लेकिन यूट्यूब पर उनकी स्टोरीज लगातार आ रही है। इसी क्रम में हिंडन और हिंडनबर्ग को लेकर उन्होंने एक अलग ही स्टोरी कर दी।

दरअसल हिंडनबर्ग की स्टोरी के बाद अदानी ग्रुप का साम्राज्य हिल गया तो कुछ लोगों ने रवीश कुमार की तरफ भी उंगली उठा दी। बस उसी का जवाब देने के लिए वे उत्तरप्रदेश के हिंडन नदी पर चले गए और उसे हिंडनबर्ग से जोड़कर एक अलग ही तरह की स्टोरी कर डाली।

वीडियो स्टोरी के पहले सेकेंड में ही वे हिंडन नदी पर हिंडनबर्ग के फाउंडर नाथन एंडरसन को पुकारते और where are you कहते नजर आते हैं। बहरहाल हिंडन नदी पर हिंडनबर्ग को तलाशते रवीश कुमार का यह वीडियो सोशल मीडिया पर चर्चा के केंद्र में बना हुआ है। कोई इसकी तारीफ कर रहा था तो कोई इसकी आलोचना।

आजतक ने अपने एंकरों को आसमान में टाँग दिया !

aajtak anchor hanging

बजट की मेगा कवरेज के लिए चैनलों की बीच जबरदस्त होड़ लगी रहती है। सब एक-दूसरे से आगे निकल जाने की जद्दोजहद में लगे रहते हैं। यही वजह है कि चैनलों पर जमकर प्रयोग होते हैं। इसी क्रम में आजतक ने अपने एंकरों को आसमान में टाँग दिया।

दरअसल आजतक ने एक नया प्रयोग करते हुए बजट की चर्चा के लिए खास इंतजाम किया और 160 फीट की ऊंचाई पर अपने एंकरों और अतिथियों को बैठाकर परिचर्चा की।

हालांकि कई दर्शकों को आजतक का यह प्रयोग पसंद आया। लेकिन एंकरों और गेस्ट का दिल एक बार तो दहला जरूर होगा।
इतनी ऊंचाई से डर तो लगता ही है। वैसे प्रोमो चलने के बाद लटका आजतक हैशटैग ट्रेंड करने लगा और मजेदार कमेंट्स आने लगे।

एक दर्शक ने लिखा –
अगर रस्सी टूट गई ना तो देश से 8 साल पुराना आधा गोदी मीडिया 8 सेकंड में ही साफ हो जाएगा। 🤣

दूसरे कमेन्ट में अमन पाल लिखते हैं –
ये पत्रकार कम नौटंकी वाले ज्यादा लगते है
अगली बार एक 30 फीट का गड्ढा खोद कर उसके अंदर जाकर नौटंकी करना 😂😂

भारत एक्सप्रेस में एंकर अदिति त्यागी

Aditi tyagi anchor

तेज तर्रार न्यूज एंकर अदिति त्यागी ने एंकरिंग की अपनी नयी पारी की शुरुआत नए समाचार चैनल भारत एक्सप्रेस से की है। भारत एक्सप्रेस की लॉन्चिंग के दौरान कार्यक्रम को अदिति ने ही मॉडरेट किया था। यहाँ उन्होंने बतौर ग्रुप एग्जिक्यूटिव एडिटर जॉइन किया है।

अदिति त्यागी अपनी तेज तर्रार एंकरिंग के लिए जानी जाती हैं और इसके पहले वे जी न्यूज में थी जहाँ से कुछ दिनों पहले ही उन्होंने इस्तीफा दिया था। इसके पहले उन्होंने टीवी टुडे के साथ भी काम किया था।

उन्हें 19 साल का पत्रकारिता के क्षेत्र में अनुभव है और टेलीविजन के अलावा टीवी, प्रिंट, डिजिटल और रेडियो में एंकरिंग, रिपोर्टिंग, प्रॉडक्शन का अनुभव प्राप्त है।

उल्लेखनीय है कि भारत एक्सप्रेस में इनके दो शो ‘अदिति की अदालत’ और ‘साहस’ नाम से प्रसारित होंगे।

एनडीटीवी इंडिया में रवीश कुमार की पारी का अंत

ravish kumar news anchor

सुप्रसिद्ध टेलीविजन न्यूज एंकर रवीश कुमार अंततः एनडीटीवी इंडिया से अलग हो गए हैं। उन्होंने मैनेजमेंट को अपना त्यागपत्र दे दिया जिसे स्वीकार कर लिया गया। उनके त्यागपत्र पर वरिष्ठ पत्रकार राजेश बादल लिखते हैं –

एनडीटीवी अस्त हो गया – राजेश बादल, वरिष्ठ पत्रकार

संस्था के नाम पर भले ही एनडीटीवी मौजूद रहे, लेकिन पत्रकारिता के क्षेत्र में अनेक सुनहरे अध्याय लिखने वाले इस संस्थान का विलोप हो रहा है । हम प्रणॉय रॉय और राधिका रॉय की पीड़ा समझ सकते हैं । छोटे से प्रोडक्शन हाउस को जन्म देकर उसे चैनलों की भीड़ में नक्षत्र की तरह चमकाने वाले इस दंपत्ति का नाम यकीनन परदे पर पत्रकारिता की दुनिया में हरदम याद किया जाएगा ।उनके कोई बेटा नहीं था, लेकिन एनडीटीवी पर उन्होंने जिस तरह सर्वस्व न्यौछावर किया ,वह एक मिसाल है । अलबत्ता जिस ढंग से इस संस्था की आत्मा को बाहर निकालकर उसे प्रताड़ित किया गया ,वह भी एक कलंकित कथा है । चाहे कितने ही शिखर संपादक आ जाएं, कितने ही बड़े प्रबंधक ,पैसे वाले धन्ना सेठ आ जाएं, उसे हीरे मोती पहना दें , लेकिन यश के शिखर पर वे उसे कभी नहीं पहुंचा सकेंगे ।ठीक वैसे ही ,जैसे एस पी सिंह के बाद कोई संपादक रविवार को वह ऊंचाई नहीं दे सका और आज तक चैनल की मांग में तो सिंदूर ही एस पी का लगाया हुआ है ।बाद के संपादक एस पी की अलौकिक आभा के सामने कुछ भी नहीं हैं ।कहने में कोई हिचक नहीं कि एक व्यक्ति किसी भी संस्थान को बुलंदियों पर ले जाता है और एक दूसरा व्यक्ति उसे पतन के गर्त में धकेल देता है । टीवी पत्रकारिता के पिछले पच्चीस बरस में हमने ऐसा देखा है ।इसलिए एन डी टीवी का सूर्यास्त देखना बेहद तकलीफदेह अहसास है ।

ज़ेहन में यादों की फ़िल्म चल रही है । स्वस्थ्य पत्रकारिता के अनगिनत कीर्तिमान इस समूह ने रचे।अपने पत्रकारों को आसमानी सुविधाएं और आज़ादी दी ।क्या कोई दूसरी कंपनी आपको याद आती है ,जो लंबे समय तक अपने साथियों के काम करने के बाद कहे कि आपका शरीर अब विश्राम मांगता है । कुछ दिन संस्थान के ख़र्च पर सपरिवार घूमने जाइए ।आज किसी चैनल को छोड़ने के बाद उसके संपादक या रिपोर्टर को चैनल पूछता तक नहीं है ।लेकिन इस संस्था ने सुपरस्टार एस पी सिंह के अचानक निधन पर बेजोड़ श्रद्धांजलि दी थी और अपना बुलेटिन उनकी एंकरिंग की रिकॉर्डिंग से खोला था । प्रतिद्वंद्वी समूह के शिखर संपादक को ऐसी श्रद्धांजलि एनडीटीवी ही दे सकता था ।भोपाल गैस त्रासदी के नायक रहे मेरे दोस्त राजकुमार केसवानी जब साल भर पहले इस जहां से कूच कर गए तो इस संस्थान ने ऐसी श्रद्धांजलि दी कि बरबस आंसू निकल पड़े ।तब केसवानी जी को यह संस्था छोड़े बरसों बीत चुके थे । ऐसा ही अप्पन के मामले में हुआ । अनगिनत उदाहरण हैं, जब उनके साथियों ने मुसीबत का दौर देखा तो प्रणॉय रॉय संकट मोचक के रूप में सामने आए । अनेक प्रतिभाओं को उन्होंने गढ़ा और सिफ़र से शिखर तक पहुंचाया ।

पत्रकारिता में कभी दूरदर्शन के परदे पर विनोद दुआ के साथ हर चुनाव में विश्लेषण करने वाले प्रणॉय रॉय का साप्ताहिक वर्ल्ड दिस वीक अदभुत था । जब उन्होंने एक परदेसी समूह के लिए चौबीस घंटे का समाचार चैनल प्रारंभ किया तो उसके कंटेंट पर कभी समझौता नहीं किया । सरकारें आती रहीं, जाती रहीं, पर एनडीटीवी ने उसूलों को नहीं छोड़ा । हर हुकूमत अपनी नीतियों की समीक्षा इस चैनल के विश्लेषण को ध्यान में रखते हुए किया करती थी । एक धड़कते हुए सेहतमंद लोकतंत्र का तकाज़ा यही है कि उसमें असहमतियों के सुरों को संरक्षण मिले और पत्रकारिता मुखर आलोचक के रूप में प्रस्तुत रहे । इस नज़रिए से समूह ने हमेशा पेशेवर धर्म और कर्तव्य का पालन किया ।

मेरी छियालीस साल की पत्रकारिता में एक दौर ऐसा भी आया था ,जब मैं आज तक को जन्म देने वाली एस पी सिंह की टीम का हिस्सा बना था और इस संस्था से भावनात्मक लगाव सिर्फ़ एस पी के कारण आज भी है । उनके नहीं रहने पर भी यह भाव बना रहा ।दस साल बाद जब मैं आज तक में सेंट्रल इंडिया के संपादक पद पर काम कर रहा था तो मेरे पास एन डी टी वी समूह का खुला प्रस्ताव आया था कि अपनी पसंद का पद और वेतन चुन लूं और उनके साथ जुड़ जाऊं । तब एस पी सिंह की निशानी से मैं बेहद गहराई से जुड़ा हुआ था ।इसलिए अफ़सोस के साथ मैने उस प्रस्ताव को विनम्रता पूर्वक अस्वीकार कर दिया था । पर उसका मलाल हमेशा बना रहा । एक अच्छे संस्थान की यही निशानी होती है ।

प्रणॉय और राधिका की जोड़ी ने ज़िंदगी में बहुत उतार चढ़ाव देखे हैं ।यह दौर भी वे देखेंगे । मैं यही कह सकता हूं कि चाहेंगे तुमको उम्र भर, तुमको न भूल पाएंगे । ऐसे शानदार और नायाब संस्थान को सलाम करिए ।

चित्रा त्रिपाठी को साहित्य आजतक में देख दर्शक बाग-बाग

chitra Tripathi in sahitya aajtak

तेज तर्रार न्यूज एंकर चित्रा त्रिपाठी ने हाल में जिस तेजी से देश के दो समाचार चैनलों के बीच आवाजाही की कि उनके चाहने वाले दर्शक भी थोड़े कन्फ्यूज हो गए। असमंजस इस बात को लेकर कि वे एबीपी न्यूज में हैं या आजतक में ! उल्लेखनीय है कि कुछ समय पहले ही उनके द्वारा आजतक छोड़कर एबीपी न्यूज ज्वाइन करने की खबर आयी थी। फिर वे एबीपी न्यूज में दिखने भी लगी। लेकिन अभी वे वहाँ जमती और दर्शक यूज टू होते तबतक फिर से उनके आजतक की वापसी की खबर आ गयी। लेकिन इस तेज आवाजाही से बहुत सारे दर्शक अनभिज्ञ थे। लेकिन जब दिल्ली में हो रहे साहित्य आजतक में मंच पर चित्रा त्रिपाठी को शो को होस्ट करते देखा तो उनके प्रशंसक उन्हें देखकर बाग-बाग हो उठे।

मुस्कान नाम की उनकी एक प्रशंसक ने अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि मेजर ध्यानचंद स्टेडियम में चल रहे साहित्य आजतक में अपने पसंदीदा साहित्यकार-गीतकार और एंकरों को देखना अपने आप में आनंददायक अनुभव था। मुझे सबसे ज्यादा खुशी तब तब हुई जब मैंने अपनी फेवरेट एंकर चित्रा त्रिपाठी को शो होस्ट करते देखा। हालांकि उनके साथ सेल्फी लेने की मेरी तमन्ना पूरी नही हुई, लेकिन उन्हें सामने बैठकर देखना-सुनना भी मेरे लिए आनंददायक क्षण था।

(प्रतिभा की रिपोर्ट)

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