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रवीश को अर्णब का तो बंगला दिखाई दिया लेकिन डॉ प्रणय रॉय और राजदीप का बंगला नहीं दिखा !

ravish kumar arnab goswami

अर्नब गोस्वामी की गिरफ्तारी को लेकर रवीश कुमार ने सोशल मीडिया पर लेख लिखा था जिसमें व्यंग्य में उन्होंने अर्नब के आलिशान घर का भी जिक्र करते हुए लिखा था – ( अर्णब की पत्रकारिता रेडियो रवांडा का उदाहरण है – रवीश कुमार )

” मैं अर्णब का घर देखकर हैरान रह गया।मैं तो बस अर्णब के घर की ख़ूबसूरती में समा गया। कल्पनाओं में खो गया। ड्राईंग रूम की लंबी चौड़ी शीशे की खिड़की के पार नीला समंदर बेहद सुंदर दिख रहा था। अरब सागर की हवाएं खिड़की को कितना थपथपाती होंगी। यहां तो क़ैदी भी कवि हो जाए। मुझे इस बात की खुशी हुई कि अर्णब के दिलो दिमाग़ में जितना भी ज़हर भरा हो घर कैसा हो, कहां हो, कैसे रहा जाए इसका टेस्ट काफी अच्छा है। उसमें सौंदर्य बोध है। बिल्कुल किसी नफ़ीस रईस की तरह जो अपने टी-पॉट की टिकोजी भी मिर्ज़ापुर के कारीगरों से बनवाता हो। मैं यकीन से कह सकता हूं कि अर्णब के अंदर सुंदरता की संभवानाएं बची हुई हैं। लेकिन सोचिए रोज़ समंदर के विशाल ह्रदय का दर्शन करने वाले एंकर का ह्रदय कितना संकुचित और नफ़रतों से भरा है। “

रवीश के इसी लेख पर एनडीटीवी के पूर्व पत्रकार ‘समरेन्द्र सिंह’ ने तंज कसते हुए लिखा –

रवीश कुमार जी ने अर्णब के सुंदर मकान की तारीफ की है। जिन दिनों मैं एनडीटीवी में था उन दिनों डॉ प्रणय रॉय भी बंगले में रहते थे। दिल्ली की पॉश कॉलोनी ग्रेटर कैलाश में उनका बंगला था। किराए का था या खरीदा हुआ ये मैं नहीं जानता। लेकिन रहते वो बंगले में ही थे। राजदीप सरदेसाई ने भी तभी पंचशील में बंगला बनाया था। शेखर गुप्ता तो सैनिक फॉर्म्स में रहते हैं। घर परिवार के सदस्यों के साथ उनके पास विदेशी नस्ल के सात कुत्ते भी हैं। इसका जिक्र खुद उन्होंने किया है। शेखर गुप्ता का टेस्ट भी बहुत फाइन है। सौंदर्यबोध अच्छा है। शेखर गुप्ता एनडीटीवी से भी जुड़े रहे हैं।

एनडीटीवी से लंबे समय तक जुड़े एक पत्रकार का बंगला पृथ्वीराज रोड पर है। दिल्ली के लुटियंस जोन में। एनडीटीवी में कई ऐसे लोग हैं जो बंगलों में रहते हैं। लेकिन रवीश को अर्णब का बंगला दिखाई दिया। बाकी लोगों का बंगला दिखाई नहीं दे रहा है। जिन दिनों एनडीटीवी घाटे में चल रहा था उन दिनों भी विक्रम चंद्रा को करोड़ों रुपये की तनख्वाह मिलती थी। खुद प्रणय रॉय और राधिका रॉय भी करोड़ों रुपये बतौर पगार लेते थे। एनडीटीवी के शेयरों का भाव 500 रुपये से गिर कर 30 रुपये हो गया था और हजारों शेयर होल्डर बर्बाद हो गए थे, लेकिन उसके मालिक और सीईओ करोड़ों रुपये की पगार उठाते थे। रवीश कुमार को उन लोगों पर भी दो शब्द कहने चाहिए।

मैं इस मसले पर ज्यादा बोलना नहीं चाह रहा था। लेकिन रवीश जी को रोते हुए देख कर लगता है कि एनडीटीवी पर भी कुछ वीडियो बनने चाहिए। एनडीटीवी ने अनगिनत फिक्सिंग की है। एक अधिकारी ने उन्हें दूरदर्शन पर प्रोग्राम दिया तो उसके दामाद को पॉलिटिकल एडिटर बना दिया। दूसरे अधिकारी ने एक नया प्रोग्राम दिया तो उसकी बहू को एंकर बना दिया। एनडीटीवी फिक्सिंग के आधार पर ही खड़ा हुआ। चुनाव के बीच सरकार बनाने और सरकार गिराने के हिसाब से रिपोर्टिंग की है। खुद रवीश कुमार और डॉ प्रणय रॉय ने ऐसी रिपोर्टिंग की है। आधे घंटे और एक घंटे के विशेष बनाए हैं। मैं इन सबको केंद्र में रख कर सीरीज बना रहा हूं। अगले कुछ दिन में मैं बोले भारत पर पहला लिंक शेयर करूंगा। अगर आपने बोले भारत को सब्स्क्राइब नहीं किया है तो कर लीजिए। आपको खबर मिलती रहेगी।

(लेखक के फेसबुक वॉल से साभार)

भारत के स्मार्टफोन बाजार में जबरदस्त उछाल

samsung mobile

कोरोना की वजह से भले पूरी दुनिया के बाजारों में मंदी छायी हुई है, लेकिन भारत का स्मार्टफोन बाजार इससे अछूता है।

भारतीय स्मार्टफोन बाजार में सितंबर तिमाही में सालाना आधार पर 17 फीसदी की तेजी दर्ज की गई है। ग्लोबल रिसर्च फर्म इंटरनेशनल डेटा कॉपोर्रेशन (आईडीसी) की रिपोर्ट के मुताबिक, सितंबर तिमाही में भारत के लिए कुल 5.43 करोड़ स्मार्टफोन शिपमेंट (बिक्री) हुई है। सालाना आधार पर यह 17 फीसदी का उछाल है। आईडीसी के त्रैमासिक मोबाइल फोन ट्रैकर ने कहा कि जुलाई-सितंबर तिमाही में अमेरिका और चीन दोनों बाजारों में गिरावट दर्ज की गई है। मगर शीर्ष तीन बाजारों में भारत ने ही इस अवधि में एकमात्र ऐसा देश रहा जहां स्मार्टफोन बाजार में उछाल देखा गया।

रिपोर्ट के मुताबिक, इस साल स्मार्टफोन की मांग में ई-कॉमर्स कंपनियों का शेयर काफी ज्यादा रहा है। कुल बिक्री में 48 फीसदी बिक्री ऑनलाइन चैनल के जरिए की गई। ई-रीटेलर्स की बिक्री में सालाना आधार पर 24 फीसदी की तेजी दर्ज की गई। ग्राहकों को ऑनलाइन ऑफर्स ने अच्छा-खासा लुभाया।

वहीं ऑफलाइन चैनलों में भी वृद्धि दर्ज की गई। सालाना आधार पर इसमें 11 फीसदी की तेजी दर्ज की गई।

आईडीसी की रिपोर्ट के मुताबिक, ऑनलाइन स्टोर्स की बिक्री में अभी तेजी आएगी, क्योंकि ग्राहकों को यहां ऑफलाइन रीटेल के मुकाबले ज्यादा बेहतर ऑफर मिल रहे हैं।

सैमसंग ने तीसरी तिमाही में 1.21 करोड़ यूनिट की रिकॉर्ड शिपमेंट के साथ 38 फीसदी की मजबूत वृद्धि दर्ज की।

आईडीसी ने कहा कि भारत वैश्विक स्तर पर सैमसंग का सबसे बड़ा स्मार्टफोन बाजार बन गया है, जो तीसरी तिमाही में अमेरिका से आगे निकल गया है और वैश्विक स्तर पर इसका 15 फीसदी बाजार पर कब्जा हो गया है।

प्रीमियम स्मार्टफोन (500 डॉलर से अधिक) सेगमेंट में सितंबर तिमाही में सालाना आधार पर 91 फीसदी की तेजी दर्ज की गई। इस सेगमेंट में एप्पल, सैमसंग, वनप्लस जैसे ब्रांड का दबदबा दिखा। (एजेंसी)

व्हाट्सएप पेमेंट सर्विस के जरिए अब भेजा जा सकेगा पैसा

whatsapp india

दो साल के इंतजार के बाद व्हाट्सएप पेमेंट सर्विस को 160 से अधिक समर्थित बैंकों के साथ यूनिफाइड पेमेंट इंटरफेस (यूपीआई) पर लाइव जाने के लिए नेशनल पेमेंट्स कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (एनपीसीआई) से मंजूरी मिल गई है। भारत में 40 करोड़ से अधिक व्हाट्सएप यूजर्स अब सुरक्षित रूप से दोस्तों और परिवार को पैसे भेज सकते हैं, और भुगतान सुविधा अब आईफोन और एंड्रॉइड उपयोगकतार्ओं के लिए उपलब्ध है। यह ऐप के नए संस्करण में उपलब्ध हैं।

फेसबुक के सीईओ मार्क जुकरबर्ग ने शुक्रवार को एक बयान में कहा, “मैं आज उत्साहित हूं कि व्हाट्सएप को पूरे भारत में भुगतान शुरू करने की मंजूरी दी गई है। हम भारत के नेशनल पेमेंट्स कॉरपोरेशन के साथ इस पर काम कर रहे हैं और यह सुनिश्चित कर रहे हैं कि यह सुरक्षित और विश्वसनीय है।”

उन्होंने आगे कहा, “और हमने इसे भारत के यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस का उपयोग करके बनाया है, जो किसी के लिए भी विभिन्न ऐप पर तुरंत भुगतान स्वीकार करना आसान बनाता है और साथ ही लोगों के लिए शानदार सेवाएं प्रदान करने के लिए कंपनियों के लिए भी यह सहज होगा।”

भुगतान अब व्हाट्सएप के 10 भारतीय क्षेत्रीय भाषा वर्जन में उपलब्ध है।

जुकरबर्ग ने कहा, “आपको सिर्फ बैंक और उसका डेबिट कार्ड चाहिए जो यूपीआई सपोर्टेड हो और आप इसे सीधे सेट कर सकते हैं। आप इसे व्हाट्सएप के नए संस्करण में पा सकते हैं।”

व्हाट्सएप ने भारत में 2018 में ही पेमेंट फीचर का परीक्षण शुरू कर दिया था, लेकिन रेगुलेटरी बाधाओं और डेटा अनुपालन मुद्दों के कारण फीचर लॉन्च नहीं कर सका।

कंपनी ने सूचना दी, “हमें भारत में पांच अग्रणी बैंकों के साथ काम करने को लेकर खुश है, ये बैंक, आईसीआईसीआई बैंक, एचडीएफसी बैंक, एक्सिस बैंक, भारतीय स्टेट बैंक और जियो पेमेंट्स बैंक हैं। लोग यूपीआई समर्थित ऐप का उपयोग करके किसी को भी व्हाट्सएप पर पैसे भेज सकते हैं।”

व्हाट्सएप ने कहा कि भुगतान सुविधा को सुरक्षा और गोपनीयता सिद्धांतों के एक मजबूत सेट के साथ डिजाइन किया गया है, जिसमें प्रत्येक भुगतान के लिए एक व्यक्तिगत यूपीआई पिन दर्ज करना शामिल है।

गौरतलब है कि अगस्त में एनपीसीआई द्वारा भारतीय रिजर्व बैंक को सूचित किया गया था कि व्हाट्सएप ने डेटा लॉकलाइजेशन की आवश्यकताओं को पूरा करता है।

ब्राजील जून में व्हाट्सएप भुगतान सेवा शुरू करने वाला पहला देश बन गया है।

भारत में व्हाट्सएप भुगतान सेवा अन्य प्रमुख प्रतियोगी जैसे कि पेटीएम, गूगल पे और फोनपे सहित अन्य के बीच कड़ी प्रतिस्पर्धा लाएगा। (एजेंसी)

मजरूह सुल्तानपुरी की रूह से पूछो, अर्नब के साथ जो हुआ कम हुआ !

majruh sultanpuri

अनुराग पुनेठा, टेलीविजन पत्रकार

एक दिलचस्प किस्सा है, क्योंकि प्रेस की आज़ादी का मुद्दा ज़ेरे बहस है.
हिंदुस्तान के एक बडे मशूहरो मारूफ शायर हुये थे “मजरूह सुल्तानपुरी”
वही- ‘मै अकेला ही चला था, जानिबे मंजिल मगर लोग पास आते गये और कारवां बनता गया’ लिखने वाले.

फिल्मों में सबसे लंबे समय तक काम किया, सहगल से लेकर सलमान तक. उन्होंने अपनी रचनाओं के जरिए देश, समाज और साहित्य को नयी दिशा दी,

उनका लिखा– “जब दिल ही टूट गया तो जी के क्या करेंगे” उस वक़्त के आशिकों के लिए राष्ट्रीय गीत था. सहगल को यह गीत इतना पसंद था, वे चाहते थे कि इसे उनके जनाजे में जरूर बजाया जाए.

खैर बात 1949 के आसपास की है, जब देश आज़ाद हो चुका था, नेहरू सर्वे सर्वा थे- समाजवादी सपनों के नये भारत के स्वंयभू कस्टोडियन, बापू का वरदहस्त मिल ही चुका था, चुनौती में कोई नही था, और चुनौती उनको पसंद थी भी नही.

उन दिनो बंबई में मजदूरों की एक हड़ताल हो गयी, मजरूह प्रोग्रेससिव राइटर एसोसिएशन के सदस्य थे. वो मजदूरों के हक में पंहुच गये, और अपने बेखौफ़ लहजे में सुना डाली नज़्म…

मन में ज़हर डॉलर के बसा के,
फिरती है भारत की अहिंसा.
खादी की केंचुल को पहनकर,
ये केंचुल लहराने न पाए.
ये भी है हिटलर का चेला,
मार लो साथी जाने न पाए.
कॉमनवेल्थ का दास है नेहरू,
मार लो साथी जाने न पाए.

मजदूर जोश में आ गये. जमकर तालियां बजी, नारेबाज़ी हुयी.

खबर नेहरू तक पंहुची, चाचा नेहरू लाल हो गये। उन्होने तुरंत फोन खडखडाया, मुंबई के गर्वनर को, गर्वनर थे “मोरारजी देसाई”, आदेश कि टाइट करो इस “मार लो कहने वाले को”.

मोरारजी देसाई ने तुरंत आका के हुक्म की तालीम की, मजरूह और उनके साथ बलराज साहनी को तुरंत धर दबोचा गया, और आर्थर रोड जेल में ठूंस दिया.

छोडने की शर्त रखी कि माफी मांग लो, तो छोड देंगे.

मजरूह भी ठहरे अख्खड- नही मांगी माफी, उनके लिये नेहरू के क़द से बडी उनकी कलम थी,

मजरूह सुल्तानपुरी को 2 साल की सजा सुना दी गयी.

आजाद भारत में खिलाफ बोलने या लिखने का पहला मामला..

एसी फैरिस्त लंबी है)..संदेश ये दिया गया कि लोग पजामें में रहें, वर्ना …

किस्सा समाप्त

और हां मजरूह सुल्तानपुरी के सामने नरेन्द्र मोदी की क्या हैसियत ?

तो क्या हुआ कांग्रेस के नेता अब तक उनको 50 से ज्यादा गालियां दे चुके है।

मौत का सौदागर, नीच, “चौकीदार चोर है, “गदहा”, “नामर्द”, “साला मोदी” “Chop Narendra Modi into pieces” “चोर और नटवरलाल”, “नमक हराम”, हिटलर, “आतंकी जैसे दिखते हैं मोदी” , “चूतिया को भक्त बनाना और भक्तों को पर्मानेंट चूतिया बनाना”, “जवानों के खून के दलाल”, “सांप, बिच्छू और गंदा आदमी”, “रैबिज से पीड़ित” , “पागल कुत्ता” , “गंदी नाली का कीड़ा”…इत्यादि

कौन पार्टी मुकाबला करेगी?

मोदी को अपशब्द कहना ही तो पत्रकारिता है,

और हां इस किस्से का अर्नब गोस्वामी से कोई लेना देना नही है, वो गोदी मीडिया है, उसके साथ जो हुआ , वो कम हुआ.
मजरूह सुल्तानपुरी की रूह से पूछो।

(लेखक के एफबी वॉल से साभार)

टीवी बंद नहीं किया तो पिता की ले ली जान !

tv

टीवी बंद करने से मना करने पर एक पूर्व सैनिक ने पिता की ली जान ले ली. उत्तर प्रदेश के कानपुर में एक रिटायर्ड सैनिक ने अपने 80 वर्षीय पिता की सिर्फ इसलिए गोली मारकर हत्या कर दी क्योंकि उन्होंने देर रात एक शो देखने के दौरान टीवी बंद करने से मना कर दिया था।

पुलिस ने कहा कि अशोक कटिहार, सेवानिवृत्त सैनिक और उनके पिता लाला राम के बीच एक तीखी बहस हुई, क्योंकि वह टीवी बंद नहीं करना चाहते थे।

घटना गुरुवार रात नसीरपुर गांव में हुई।

अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक (एएसपी) अनूप कुमार ने कहा, “बहस के दौरान, अशोक ने उन्हें धक्का दिया और बाद में अपनी लाइसेंसी डबल बैरल बंदूक से गोली चला दी।”

प्रारंभिक जांच और घटनास्थल से पता चलता है कि अशोक ने अपने पिता लाला राम, जो कोई कार्यक्रम देख रहे थे, को टीवी बंद करने के लिए कहा था। जब उसके पिता ने इनकार कर दिया, तो बहस हुई और अशोक पिता को गोली मारकर फरार हो गया।

गंभीर रूप से घायल उसके पिता ने बाद में दम तोड़ दिया।

अशोक सेना से सेवानिवृत्त हुआ था और नसीरपुर गांव में बुजुर्ग माता-पिता सहित परिवार के अन्य सदस्यों के साथ रहता था।

पारिवारिक सूत्रों ने कहा कि अशोक शराबी था और अक्सर छोटी-छोटी बात पर लड़ने लगता था।

एएसपी ने कहा, “मामले में 302 सहित आईपीसी की संबंधित धाराओं के तहत एक प्राथमिकी दर्ज की गई है। आरोपी की गिरफ्तारी के लिए अलग-अलग टीमों का गठन किया गया है, जो घटना के बाद से अपनी बंदूक के साथ फरार है।” (एजेंसी)

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