Home Blog Page 292

फरेब के मामले में केजरीवाल ने तमाम नेताओं को पछाड़ दिया

केजरीवाल बोलते अच्छा है लेकिन काम ?
केजरीवाल बोलते अच्छा है लेकिन काम ?

नदीम एस अख्तर

KEJRIWAL HELMETअन्ना हजारे के तथाकथित आंदोलन के बाद सत्ता पाए अरविंद केजरीवाल ने जितना आम आदमी के साथ धोखा-छल-फरेब किया है और जिस कदर आधुनिक भारत में लोकतंत्र की रूह का गला घोंटा है, उसने तो जयप्रकाश नारायण की सम्पूर्ण क्रांति के बाद केंन्द्र की सत्ता पर काबिज तत्कालीन नेताओं को भी पीछे छोड़ दिया है. सच में अरविंद केजरीवाल नाम के इस आदमी ने मक्कारी और बेशर्मी में पुराने घाघ नेताओं को भी पीछे छोड़ दिया है.

“ना बंगला लूंगा और ना गाड़ी लूंगा जी, मुझे चाहिए पूर्ण स्वराज और लोकपाल बिल जी ” जैसी बातें करने वाले अरविंद सत्ता पाने के बाद ऐसे गिरगिट की तरह बदले कि अब अपने विधायकों को -संसदीय सचिव- का पद और लाभ देने के लिए गालथेथरी और लोकलाज की सारी सीमाएं पार कर चुके हैं. भ्रष्टाचार से लड़ाई और राजनीति मे शुचिता की बात करने वाले इन लोगों की दिल्ली सरकार के कई मंत्री भ्रष्टाचार-फर्जीवाड़े में पहले ही इस्तीफा दे चुके हैं.

अब ताजी बारी अरविंद के खासमखास परिवहन मंत्री गोपाल राय की है, जिन पर आरोप है कि उन्होंने एक निजी बस कंपनी को नाजायज फायदा पहुंचाया और गोपाल राय ने खराब सेहत का हवाला देते हुए इस्तीफा परिवहन मंत्री पद से तो इस्तीफा दे दिया लेकिन बाकी के सारे मंत्रालय अब भी अपने पास रखे हुए हैं.

सच पूछिए तो अरविंद केजरीवाल एंड कम्पनी ने जनता से बड़ी-बड़ी बातें करके उसे मूर्ख बनाया. उन्हें पता है कि आगे उनकी सरकार नहीं रहेगी, सो जितना माल कूटना है, कूट डालो. इसके बाद भी अगले चुनाव में कुछ सीटें मिल गईं तो बल्ले-बल्ले.

और हां, अरविंद का साथ देने आए मीडिया के एक पूर्व सम्पादक यानी गुप्ता जी की जाति का देश को कभी पता नहीं लगा, पत्रकार होने के बावजूद मुझे भी नहीं था और जानने की कोशिश भी किसी ने नहीं की होगी. लेकिन ये महोदय जैसे ही अरविंद केजरीवाल की पार्टी में गए तो दुनिया को पता चल गया कि इनका पूरा नाम -आशुतोष गुप्ता- है यानि जाति से ये बनिए हैं और अरविंद केजरीवाल भी जाति से बनिए हैं.

तो मितरों, पार्टी-पक्ष से दूर रहने की बात करने वाले इन तथाकथित आंदोलनकारी लोगों ने भारतीय राजनीति का स्तर और गिराया है और इनका सबसे बड़ा पाप है कि इन्होंने जनता के विश्वास के साथ धोखा किया है. वैसे इस पूरे अखाड़े में अरविंद के चाणक्य यानी अन्ना हजारे रालेगन सिद्धि में मौज ले रहे हैं. मीडिया भी उनसे कुछ नहीं पूछ रहा है. जेहन में सवाल उठ रहा है कि अपना मुंह बंद रखने के लिए अन्ना हजारे को कितना चढ़ावा मिला होगा ??!!

याद है ना, पार्टी-पक्ष से दूर रहने की बात करने वाले अन्ना का पतन, जब उन्होंने ममता बनर्जी के लिए एक टीवी ऐड किया था—कहा सबने पर किया सिर्फ ममता ने— और फिर रामलीला मैदान में भीड़ ना जुटने पर अन्ना ने ममता को ऐसा धोखा दिया कि दीदी भी एक मिनट के लिए सोच में पड़ गई कि राजनीति वो जानती हैं या फिर ये अन्ना हजारे !!!???

@FB

हिन्दी चैनलों की बीजेपी से ‘दोस्ती’

नदीम एस अख्तर

टीवी पर देखकर आप तय कर सकते हैं कि किन-किन हिन्दी चैनलों की बीजेपी से ‘दोस्ती’ हो गई है और वे बेवजह कैराना मामले को जबरदस्त हाइप दे रहे हैं। खूब खबर चला रहे हैं, बहस-डिबेट करवा रहे हैं और उनकी कोशिश है कि कैराना मामले को जिंदा रखा जाए।

बीजेपी को और क्या चाहिए, मनमांगी मुराद मिल रही है। बात ये नहीं है कि कैराना का फर्जी मामला उठाकर बीजेपी यूपी में साम्प्रदायिक ध्रुवीकरण करना चाहती है। बात यहां पब्लिक परसेप्शन की है और झूठ को हर मंच से इतनी बार बोलो कि पब्लिक को ये सच लगने लगे। और बीजेपी के इस एजेंडे में कुछ हिन्दी चैनल उनका खूब साथ दे रहे हैं।

आश्चर्यजनक रूप से एनडीटीवी इंडिया जैसा प्रणव राय वाला चैनल भी कैराना मामले को खूब तूल दे रहा है। अब किसकी गर्दन कहां अटकी है ये मुझे नहीं पता, पर एनडीटीवी इंडिया में मुझे ये एक खास किस्म का शिफ्ट नजर आ रहा है।

दूसरी बात। अगर कैराना मामले में जरा भी सच्चाई है तो प्रधानमंत्री और गृह मंत्री तो यूपी से ही सांसद हैं। क्यों नहीं वे दूध का दूध और पानी का शर्बत करने के लिए कोई केंद्रीय टीम कैराना भेजते या न्यायिक जांच ही करा लेते हैं!!?? कैराना में बीजेपी की टीम जांच करने क्यों गई है, ये समझ से परे और हास्यास्पद है। पीएम साहब और गृहमंत्री जी!! आप विपक्ष में नहीं सरकार में हैं। सो रूदाली रूदन बंद करिए और सरकार की तरह बिहेव करिए। सिर्फ टीवी पे बयानबाजी करके और अखिलेश यादव को कोस कर आपकी पार्टी क्या साबित करना चाहती है, ये पब्लिक अच्छे से समझ रही है। उसकी समझ को हल्के में ना लीजिएगा, अटलजी और प्रमोद महाजन के काल वाले इंडिया शाइनिंग का चीरहरण याद तो होगा ना आप लोगों को!!??

सो काम करिए और पब्लिक को बरगलाना छोड़िए। बिहार ने पहले ही बोलती बंद करवा दी है, अब यूपी में भी भद्द पिटवाएंगे क्या!!?? दोनों सहोदर हिन्दी बेल्ट है, जरा संभल के मोदी जी, अमित शहंशाह साहेब!!! मियां की जूती मियां के सिर वाली कहावत का मतलब तो जानते होंगे ना आपलोग!!!

@fb

प्रेस कांफ्रेंस में जब झूठ बोले केजरी काका!

मोदी जी, मान गये आपको, तुस्सी ग्रेट हो

मोदी जी, मान गये आपको, तुस्सी ग्रेट होकेजरी काका झूठ बोलने की मशीन हैं। मशीन इसलिए कह रहा हूं, क्योंकि एक तो दे दनादन… झूठ पर झूठ… ऊपर से लाज भी नहीं आती। ग़ज़ब की ढिठाई है।

आज उन्होंने प्रेस कांफ्रेंस करके एक “बड़ा खुलासा” किया कि दिल्ली में साहिब सिंह वर्मा से लेकर शीला दीक्षित तक के राज में संसदीय सचिव होते थे। लेकिन यह “छोटा खुलासा” नहीं किया कि इन सबके राज में दिल्ली में सिर्फ़ एक संसदीय सचिव होते थे, लेकिन उन्होंने इक्कीस बना डाले। इतना ही नहीं, उन्हें मालूम था कि उन्होंने ग़लत किया है, इसलिए अपने ग़लत को सही करने के लिए उन्होंने संसदीय सचिव पद को ऑफिस ऑफ प्रॉफिट से बाहर करने के लिए बिल भी पास कराया। अगर उन्होंने ग़लत नहीं किया होता, तो बिल पास कराने की ज़रूरत ही नहीं थी।

देश में “भ्रष्ट” नेता तो कई होंगे, लेकिन केजरी काका “भ्रष्ट” होने के साथ-साथ “फ्रॉड” भी हैं!

@fb अभिरंजन कुमार

स्मृति ईरानी पर लटकी मोदी की तलवार!

smriti iraniसूत्रों की माने तो मंत्रिमंडल विस्तार और फेरबदल में स्मृति ईरानी के पर कतरने की तैयारी की जा रही है. स्मृति ईरानी को कैबिनेट से हटाया जा सकता है या विभाग बदला जा सकता है.

गौरतलब है कि मोदी सरकार जल्द मंत्रिमंडल विस्तार और फेरबदल करने वाली है. इन दिनों बिहार के मंत्री से ट्विटर विवाद को लेकर स्मृति ईरानी एक बार फिर चर्चा में हैं. वैसे कैबिनेट मंत्री बनने के बाद से ही विवादों से उनका गहरा रिश्ता रहा है. हैदराबाद यूनिवर्सिटी से लेकर जेएनयू और इलाहाबाद यूनिवर्सिटी तक स्मृति ईरानी से जुड़े हैं तमाम विवाद. इसके अलावा मीडिया से बदसलूकी और फर्जी डिग्री रखने का आरोप भी उनपर लगता रहा है.

स्मृति ईरानी को लोकसभा चुनाव हारने के बावजूद केंद्र में कैबिनेट मंत्री बनाया गया था. वे वर्तमान में गुजरात से राज्यसभा सांसद हैं और 8 अगस्त 2017 को स्मृति ईरानी का कार्यकाल खत्म हो रहा है.

शिक्षा पर भारी लालू-नीतिश का सेकुलरवाद

करीब आठ सौ साल पहले जब ‪#‎नालंदा‬ विश्वविद्यालय को ‪#‎बख्तियार_खिलजी‬ के नेतृत्व में शांतिदूतों ने जलाया था और सैकड़ों आचार्यों की हत्या की थी तब भी ‪#‎बिहार‬ की शिक्षा को उतनी चोट नहीं पहुँची थी जितनी ‪#‎लालू_नीतीश‬ के ‘‪#‎सामाजिक_न्याय‬’ और ‘‪#‎सेकुलरवाद‬’ ने पहुँचायी है।

सीपी सिंह

बिहार के पटवाटोली टोली गाँव के 14 छात्रों ने इस साल आईआईटी परीक्षा पास की है।पिछले साल 16 छात्रों ने सफलता पाई थी।शिक्षा के प्रति इस गहरे लगाव और इस कारण मिली उपलब्धि को सलाम।
*
करीब आठ सौ साल पहले जब ‪#‎नालंदा‬ विश्वविद्यालय को ‪#‎बख्तियार_खिलजी‬ के नेतृत्व में शांतिदूतों ने जलाया था और सैकड़ों आचार्यों की हत्या की थी तब भी ‪#‎बिहार‬ की शिक्षा को उतनी चोट नहीं पहुँची थी जितनी ‪#‎लालू_नीतीश‬ के ‘‪#‎सामाजिक_न्याय‬’ और ‘‪#‎सेकुलरवाद‬’ ने पहुँचायी है। खिलजी के बावजूद बिहार की शिक्षा बची रही क्योंकि तब शिक्षा समाज के हाथ में थी, सरकार के नहीं।
*
आज शिक्षा में राज्य ‪#‎सरकार‬ की भूमिका एक दबंग या माफिया की तरह है जिसका उदाहरण है
‪#‎बिशुन_राय_महाविद्यालय‬ के टाॅपर छात्र-छात्राओं का जगजाहिर फर्जीवारा जो सरकारी अधिकारियों से मिलीभगत के बिना संभव नहीं था।
*
दूसरी तरफ है समाज का सर्जनात्मक प्रयास जिसके उदाहरण हैं सुपर-30 और ‪#‎गया‬ का ‪#‎पटवाटोली‬ गाँव।
बुनकरों के इस गाँव से 14 छात्रों ने ‪#‎आईआईटी‬ में सफलता पाई है।यह असली कबीरपंथी गाँव है जो मन से ‪#‎दलित‬ नहीं है और आज पूरी दुनिया के लिए मिसाल है।
*
आज के बख्तियार खिलजी लालू नीतीश को और दलितापा का स्यापा करनेवाले गिरोह को ठेंगा दिखाते हुए अपनी मंजिले मकसूद की ओर बढ़ते युवाओं को नमन । @fb

सोशल मीडिया पर मीडिया खबर

665,311FansLike
4,058FollowersFollow
3,000SubscribersSubscribe

नयी ख़बरें