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शंघाई से टुनाईट विद दीपक चौरसिया

शंघाई से टुनाइट विद दीपक चौरसिया
शंघाई से टुनाइट विद दीपक चौरसिया




सूचना

प्रख्यात पत्रकार और इंडिया न्यूज़ के एडिटर-इन-चीफ दीपक चौरसिया का कार्यक्रम ‘टुनाईट विद दीपक चौरसिया’ का आज शंघाई(चीन) से प्रसारण होगा.इसे रात आठ बजे इंडिया न्यूज़ पर देखा जा सकता है.

शंघाई से टुनाइट विद दीपक चौरसिया
शंघाई से टुनाइट विद दीपक चौरसिया




इंसानों के बाद अब एलियंस को भी सतायेंगे राम-रहीम : MSG द वॉरियर – लॉयन्स हर्ट

राम रहीम की तीसरी फिल्म




राम रहीम की तीसरी फिल्म
राम रहीम की तीसरी फिल्म

डेरा सच्चा सौदा प्रमुख गुरमीत राम रहीम इंसानों को सताने के बाद अब एलियंस को भी बख्सने के मूड में नहीं है. MSG सीरीज की उनकी तीसरी फिल्म “MSG द वॉरियर – लॉयन्स हर्ट” बनकर रिलीज के लिए तैयार है और इस बार वे एलियंस से मारधाड़ करते नज़र आयेंगे. 5 सितम्बर को यूट्यूब पर इसका ट्रेलर डाला गया जिसे अबतक 3,626,392 लाख लोग अबतक देख चुके हैं. फिल्म राम रहीम के इर्द-गिर्द नहीं बल्कि पूरी तरह से राम रहीम के लिए ही बनाई गयी है. कहने का मतलब है कि लॉयन्सहर्ट यानि राम रहीम इस फिल्म के हीरो तो हैं ही उसके अलावा स्क्रिप्ट राइटर, डायरेक्टर , डॉयलोग राइटर , कॉस्ट्यूम डिजाइनर , प्रॉप डिजाइनर हैं, प्लेबैक सिंगर और विजुअल इफैक्ट्स के सुपरवाइजर भी राम रहीम ही है. वैसे एलियन से अपनी गदा से लड़ते राम-रहीम हीरो कम और जोकर ज्यादा लगते हैं. बहरहाल आप देखिये ट्रेलर का वीडियो. यूँ आप जानते ही हैं कि फिल्म भक्तों के लिए बनाई गयी और पैसे भी उनके ही लगे हैं. सो फिल्म हिट-फ्लॉप से बाहर है. वैसे राम-रहीम के भक्तों के बॉक्स ऑफिस पर तो फिल्म सुपरहिट है ही. कोई शक.

मीडिया ने कन्हैया को बड़ा बनाया,लेकिन जमीन खोखली रह गयी

कन्हैया ने रिपोर्टर से पूछा कि क्या आप ज़ी न्यूज़ से हैं
कन्हैया ने रिपोर्टर से पूछा कि क्या आप ज़ी न्यूज़ से हैं

यह बड़ा दिलचस्प मामला है कि देश भर में मशहूर हो जाने के बावजूद कन्हैया अपनी पार्टी को जेएनयू छात्र संघ चुनाव में अकेले लड़ने के काबिल नहीं पा रहे. साल भर चले छात्र आंदोलन का नतीजा यह निकला कि वामपंथ अपने सबसे मजबूत किले जेएनयू में ही कमजोर हो गया…

कभी जेएनयू में छात्र संघ के चुनाव में मुख्य मुकाबला लेफ्ट के दो अलग-अलग धड़ों के बीच होता था. इस बार वहां सभी वाम दल एकजुट होकर एबीवीपी को रोकने की कोशिश कर रहे हैं. नेशनल फेम कन्हैया की पार्टी ने तो अपना कोई कैंडिडेट तक नहीं दिया है.

हवाई क्रांतियों का यही हश्र होता है. ये मीडिया में छायी रहती हैं, जमीन पर खोखली रह जाती हैं.

(पुष्य मित्र के एफबी वॉल से)

संपादक कुर्सी बचाने में लगे हैं और मालिक मीडिया फैक्ट्री

संपादक कुर्सी बचाने में लगा है, मालिक अपनी अख़बार-टीवी वाली फैक्ट्री बचाने में, रिपोर्टर इज़्ज़त बचाने में लगा है और राजनेता अपनी तिजोरी बचाने में। ये मीडिया, वो मीडिया। लूटो और खाओ। हम हिंदुस्तानी गुस्सा कर के भी क्या कर लेंगे, पहले तो रोज़ी रोटी देखनी होगी। लगता है ईमानदार सिर्फ वही बचा है, जिसे मौका नहीं मिला। बाकी देश को बचाने में सरहद पे सिर्फ सेना लगी है। देश के अंदर रहने वाले तो मौका मिलते ही उन्हें भी बेच देते हैं। कभी ताबूत घोटाला, कभी बोफोर्स घोटाला, कभी जैकेट घोटाला और पता नहीं कितने घोटाले!!!

बहरहाल आप-हम अपनी दाल रोटी की फ़िक्र करें। देश की फ़िक्र सिर्फ सोशल मीडिया पे होती है। फिर भूल जाते हैं हम और तीज-ईद की बधाई देने में जुट जाते हैं। कुछ नहीं मिला तो एफबी दोस्तों को जन्मदिन की मुबारकबाद दे के ही काम चला लेते हैं।

फिर टीवी देखते हैं, किसी नए तमाशे की तलाश में। आज कौन हलाल हो रहा है। आज कौन से मायालोक के दर्शन होंगे, किस अद्भुत-अविश्वसनीय-अकल्पनीय की व्याख्या होगी, किसको डीएनए टेस्ट में पास किया जाएगा, प्राइम टाइम में कौन भारी पड़ेगा, किस दरवाजे पर कितनी ज़ोर से दस्तक होगी और newshour बोलके कौन कितना noise दो घंटे फैलाएगा।

इसके बाद हम सो जाएंगे। एक गहरी नींद में। ख्यालों की सुनहरी दास्तां लेकर। दूध की नदी बहाएंगे और सोने की चिड़िया उड़ाएंगे। फिर मसुवाती नींद सुबह अचानक खुलेगी और हम नाड़ा बाँध अचानक से तैयार हो जाएंगे। दुनियादारी की गली जाने को। एक-दूसरे को कुचलते हुए। बस बीच-बीच में सोशल मीडिया पे आते रहेंगे। चिंता जताते रहेंगे, पीछे से माल कूटते रहेंगे, आगे से नैतिकता झाड़ते रहेंगे, दाएं से आग लगाते रहेंगे, बाएं से सद्भावना का सन्देश देते रहेंगे। फिर टीवी खोलेंगे। उसी नूरा-कुश्ती का मज़ा लेंगे, ज्ञान की दुनिया में गोते लगाएंगे, सजग नागरिक होने की आहुति देंगे, फ़र्ज़ निभाएंगे और डाटा पैक ऑफ कर सो जाएंगे। फिर एक सपना आएगा, एक बंगला न्यारा बनाएंगे तभी बगल वाला चिल्लाएगा कि भैया-दे दो हमारा पांच रुपैया बारह आना…और फिर जिसका लिया-कभी न दिया की रट लगाते हुए हमारी नींद खुल जाएगी। कसमसाते हुए फिर कस के नाड़ा बांधा जाएगा और फिर शुरू हो जाएगी Rat Race. भागते रहो-भागते रहो। रुके तो एक्सीडेंट का खतरा है, पीछे वाला ठोक देगा, चालान कटेगा अलग। तो भागते रहो। यही दुनिया है, यही देशप्रेम है, यही तरक्की है, यही जीवन है, यही ज्ञान है और यही बौद्धिकता है।

(पत्रकार नदीम एस अख्तर के एफबी वॉल से)

टाइम्स नाउ का जेनरल कम्पार्टमेंट

टाइम्स नाउ आज से कुछ साल पहले जो जेनरल कम्पार्टमेंट होने लग गया था, अब मुख़र्जीनगर के किसी एसएससी कोचिंग सेंटर की होर्डिंग लगने लगा है. ऐसी होर्डिंग जिसमे अपने यहाँ से कोचिंग लेनेवाले की पासपोर्ट साइज़ फोटो अपनी ब्रांडिंग के लिए चिपका देते हैं. मेरा तो आधा समय शक्ल खोजने, पहचानने और सुपर पढ़ने में चला जाता है.
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