युवा पत्रकार तरुण वत्स ने अमर उजाला से अपनी नयी पारी की शुरुआत की है। इससे पहले वह राष्ट्रीय न्यूज एजेंसी यूनीवार्ता के खेल डेस्क पर बतौर उप-संपादक अपनी सेवायें दे रहे थे।
तरुण को हाल में 32वां डॉ. राधाकृष्णन राष्ट्रीय मीडिया पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। मीडिया खबर डॉट काम पर रिसर्च कर चुके तरुण वत्स नई दुनिया, नेशनल दुनिया और आईएनएस मीडिया के लिये फ्रीलांसिंग कर चुके हैं।
दिल्ली विश्वविद्यालय से ग्रेजुएट तरुण ने जामिया मिलिया इस्लामिया से पीजी डिप्लोमा किया है। उन्होंने गुरू जंभेश्वर विश्वविद्यालय से एमए की डिग्री भी ली है। नई पारी के लिए मीडिया खबर डॉट कॉम की तरफ से उन्हें ढ़ेरों शुभकामनाएं.
फोटोग्राफर ने लगाया वेबसाईट पर फोटो चोरी का आरोपफोटोग्राफर ने लगाया वेबसाईट पर फोटो चोरी का आरोप
दो स्क्रीन शॉट हैं। दो अलग-अलग वेबसाइटों की। आपको दोनों वेबसाईट पर एक ही फोटो दिख रही होगी। असल में जिग्नेश जब दिल्ली आए थे तो उनकी यह फोटो मैंने ‘कैच न्यूज’ के लिए क्लिक की थी। कैच न्यूज पर फोटो, क्रेडिट के साथ है। नेशनल दस्तक ने इसी फोटो को उठाकर अपनी एक रिपोर्ट में चिपका लिया है।
वैसे तो यह कांपी राईट का उल्लंघन है और इसके लिए नोटिस भेजा सकता है। लेकिन यहाँ मैं उस मानसिकता की बात करना चाहता हूँ जो कहता है कि एक फोटो ही है न? उठा लो और लगा लो बिना क्रेडिट-व्रेडिट के। इस मानसिकता से कई संपादक और पत्रकार ग्रस्त हैं।
तो साहब यह नहीं चलेगा। अगर आपके पास फोटो नहीं है। आपको फ्री में चाहिए तो पहले पूरा क्रेडिट दीजिए। उस फोटोग्राफर का सम्मान कीजिए जिसकी फोटो से आप अपनी रिपोर्ट को चमका रहे हैं। ये यहां से उठाया और वहां लगा लिया नहीं चलेगा। मैं नेशनल दस्तक के संपादक जी को मेल करूंगा। एक शिकायती मेल।
प्रेस विज्ञप्ति – मुज़फ्फरपुर में जुटेंगे मीडिया दिग्गज-
मुजफ्फरपुर, मीडिया खबर मीडिया कॉनक्लेव
मुजफ्फरपुर. आगामी 18 सितंबर को बिहार के मुजफ्फरपुर में पहली बार ‘मुजफ्फरपुर,मीडिया खबर मीडिया कॉन्क्लेव’ का आयोजन किया जा रहा है. राष्ट्रीय स्तर के इस आयोजन में देशभर के दिग्गज पत्रकार शामिल होंगे और दिनभर चलने वाले कॉन्क्लेव में अलग-अलग मुद्दों पर अपनी राय रखेंगे. बिहार में ये इस तरह का पहला आयोजन है और इसमें बिहारी पत्रकारों का जुटान भी होगा.
कॉन्क्लेव में होने वाली परिचर्चा के केंद्र में बिहार, किसान और राष्ट्रीय मीडिया होगा.ये परिचर्चा कई सत्रों में होगी जिसमें ‘राष्ट्रीय मीडिया में बिहार’ के अलावा ‘मेनस्ट्रीम मीडिया में बिहार के किसान’ जैसे विषयों पर बातचीत होगी. इसके अलावा बिहार में मीडिया के अर्थशास्त्र पर भी बात होगी.
मुजफ्फरपुर में होने वाले कॉन्क्लेव के आयोजन की घोषणा दिल्ली के इंडिया इंटरनेशनल सेंटर में 26जून को आयोजित मीडिया खबर मीडिया मीडिया कॉन्क्लेव और एसपी सिंह स्मृति व्याख्यान,2016 के दौरान मीडिया खबर डॉट कॉम के संपादक पुष्कर पुष्प द्वारा की गयी थी. गौरतलब है कि यही कॉन्क्लेव पिछले आठ सालों से दिल्ली में आयोजित किया जा रहा है और उसी के बिहार चैप्टर के रूप में मुजफ्फरपुर में आयोजन किया जा रहा है. यह आयोजन मुजफ्फरपुर के युवाओं के संगठन वॉयस ऑफ मुजफ्फरपुर के सहयोग से किया जा रहा है. इसमें आप सभी सादर आमंत्रित हैं. विवरण इस तरह से है –
विषय : सेशन1 – राष्ट्रीय मीडिया में बिहार सेशन2 – बिहार में मीडिया का अर्थशास्त्र सेशन3 – राष्ट्रीय मीडिया में कहाँ हैं बिहार के किसान? सेशन4 – सांस्कृतिक कार्यक्रम
दिनांक : रविवार 18 सितंबर , 2016
समय : 11 AM TO 05 PM
स्थान : द पार्क, जुब्बा साहनी पार्क मार्केट, क्लब रोड, मिठनपुरा, मुजफ्फरपुर, बिहार
पिछले कुछ दिनों से शहाबुद्दीन की रिहाई को 70 सालों में सबसे खतरनाक खबर बतायी जा रही है। इस मुद्दे पर जाहिर है-स्वभाविक है, नीतीश कुमार-लालू प्रसाद और सिकुलर लोग टारगेट पर हैं। अधिकतर लोगों का टारगेट राजनीति है न कि मुद्दा।
इसमें कोई संदेश नहीं है कि शहाबद्दीन बिहार के सबसे बड़े गुंडों में एक है। कई उसके शिकार रहे हैं। वह बिहार क्या किसी भी समाज में खुला रहने के लायक नहीं है। भले ही अब उसकी रिलेवेंसी न रही हो। आज शहाबुद्दीन के शिकार लोगों की दुहाई देकर जो रो रहे हैं क्या उन्हें पता चला कि नीतीश-बीजेपी सरकार के दौरान कैसे उनके खिलाफ सारे केस लगातार कमजोर हाेते गये? तब आवाज उठायी गयी? नहीं। उसके खिलाफ 11 साल से केस चल रहे हैं जिसमें 8 साल बीजेपी बिहार सरकार में रही। क्यों नहीं इन केसों को जल्द से जल्द पैकअप करवा तब कनविक्ट करवाया गया?
शहाबुद्दीन को बेल हाईकोर्ट ने दी। संभव है कि बिहार सरकार ने केस कमजोर तरीके से लड़ी होगी। लेकिन हाई कोर्ट या सुप्रीम कोर्ट के स्तर पर सिर्फ सरकार का विवेक या तर्क नहीं चलता है ।लाेग ऐसी दलील दे रहे हैं कि मानो नीतीश कुमार ने खुद अपनी कुंजी से उन्हें जेल से निकाला हो। कोर्ट भी अपनी जिम्मेदारी से भाग नहीं सकता है।
शहाबुद्दीन का जेल से निकलना पूरे सिस्टम का फेल्योर है। इसके लिए सिर्फ लालू-नीतीश का फुटबाल खेलना सोशल मीडिया पर बहस या चैनल टीआरपी के लिए ठीक है।
और हां,लालू-नीतीश के लिए शहाबुद्दीन प्रेम को मान भी लें तो नरेन्द्र मोदी के लिए शहाबुद्दीन प्रेम क्यों है? पिछले कुछ महीने पहले बिहार के तमाम पत्रकारों और क्रांतिकारियों का पोस्ट पढ़ लेती तो सीबीआई आज शहाबुद्दीन को मर्डर केस में अरेस्ट कर लेती और उसे छूटने का मौका नहीं मिलता। सीवान के पत्रकार मर्डर केस में तमाम लोगों ने स्कार्टलैंड पुलिस से भी बढ़िया जांच कर घटना के दो दिनों के अंदर फेसबुक पर बता दिया था कि किस तरह शहाबुद्दीन ने उसे मरवाया था। ऐसे ऑलरेडी सॉल्व केस को सॉल्व करना तो दूर सीबीआई ने अभी तक प्राइमरी जांच भी शुरू नहीं की। क्यों? वह भी तब जब बीजेपीे ने सीबीआई की जांच इसलिए मांगी थी कि 72 घंटे में शहाबुद्दीन के खिलाफ कार्रवाई हो सके। अभी भी देरी नहीं हुई है। अगर वास्ता शहाबुद्दीन है तो लालू-नीतीश को छोड़ये,उन्हें अभी तुरंत केद्र सरकार अरेस्ट करवा सकती है,उसपर दबाव बनाएं।
और इधर नीतीश बाबू,आपका अगला पटना से निकलकर दिल्ली की ओर बढ़ता है या नालंदा की ओर यह इस मुद्दे पर आप किस तरह हैंडल करते हैं उससे पता चलेगा।
और लालूजी,चुके हुए शहाबुद्दीन पर दांव खेला तो आप दूसरे को छोड़ दीजिये,लिखकर सेव कर लीजिये, आप मेजारेटी मुस्लिमों का सपोर्ट खो लेंगे।