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श्वेता सिंह के इंटरव्यू पर अनुराग मुस्कान की चुटकी

shweta singh anchor aajtak
आजतक पर परवेज मुशर्रफ और श्वेता सिंह आमने - सामने

आजतक पर परवेज मुशर्रफ का इंटरव्यू दिखाया गया. इंटरव्यू आजतक की लोकप्रिय एंकर श्वेता सिंह ने लिया. लेकिन इस इंटरव्यू को लेकर उनकी आलोचना हो रही है और सोशल मीडिया पर गहमागहमी जारी है. वैसे तो श्वेता सिंह द्वारा लिए गए इंटरव्यू पर कई प्रतिक्रियाएं आयी.लेकिन एक प्रतिक्रिया उनके हमपेशे और एबीपी न्यूज़ के एंकर अनुराग मुस्कान की भी आयी है. इस इंटरव्यू पर उन्होंने चुटकी लेते हुए फेसबुक पर लिखा –

क्या कोई बता सकता है कि ये आजतक पर श्वेता सिंह जो परवेज़ मुशर्रफ़ का इंटरव्यू ले रही थीं ये ताज़ा इंटरव्यू था या तब का था जब वो Intern हुआ करती थीं.

anurag-fb-sweta-singhपत्रकार रजनीश के झा भी इंटरव्यू की आलोचना करते हुए लिखते हैं – “मुशर्रफ साहेब से श्वेता सिंह एक पत्रकार की हैसियत से बातचीत कर रही थीं या भारत सरकार के प्रतिनिधि के तौर पर !!
मुशर्रफ हमेशा की तरह अपने दृष्टिकोण के प्रति दृढ़ वहीं ढुल मुल श्वेता का दिगभ्रमित सवाल और पत्रकारिता ।”

कुछ और प्रतिक्रियाएं –

पुष्कर पुष्प – श्वेता सिंह का इंटरव्यू का यही ढुलमुल तरीका है।

पंकज कुमार झा – ट्वीटर पर टुकड़े-टुकड़े में देख रहा हूं, श्वेता के पास होमवर्क ज़रा कम लग रहा है. हालांकि हर पत्रकार का अपना देश होता है/होना चाहिए. वह प्रतिनिधि ही होता है विदेश में हमारा.

राजीव रंजन झा – आपके वाले कश्मीर पर तो हमने अब दावा किया है…
शब्द शायद ठीक-ठीक यही नहीं थे, पर भाव यही था।
पत्रकारिता संस्थान इस साक्षात्कार को अपने आर्काइव में सँभाल कर रख सकते हैं, बच्चों को यह सिखाने के लिए कि विदेश नीति और कूटनीति से जुड़े मसलों पर दूसरे देश के शीर्ष लोगों का साक्षात्कार करते समय कैसी-कैसी गलतियों से बचना चाहिए। टॉप 10 गलतियों की सूची बन सकती है…

सुषमा स्वराज अच्छा बोली, लेकिन बोली क्या?

सुषमा स्वराज का संयुक्त राष्ट्र संघ में भाषण
सुषमा स्वराज का संयुक्त राष्ट्र संघ में भाषण

राष्ट्रसंघ में सुषमा स्वराज अच्छा बोलीं। वे अच्छा बोलती हैं। मोदी भी अच्छा बोलते हैं। पर अहम यह जानना होता है कि बोले, पर कहा क्या? सुषमाजी ने अपनी सरकार के कार्यक्रमों का ब्योरा वहाँ दिया। लोगों में ख़ुशी इस बात की है कि उन्होंने पाकिस्तान को “करारा जवाब” दिया। एक अख़बार के मुताबिक़ बीस मिनट के भाषण में दस मिनट भारत की प्रतिनिधि ने पाकिस्तान और आतंकवाद को दिए; 42 बार उन्होंने पाकिस्तान और आतंकवाद का ज़िक्र किया, 16 दफ़ा इस्लामाबाद का नाम लिया।

विदेश मंत्री को बोलने के नम्बर हमने दे दिए; लेकिन आगे यह भी सोचना चाहिए कि क्या हम पाकिस्तान को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अलग-थलग करने की क़वायद में कहीं उसका क़द बढ़ा तो नहीं रहे? अपने मुँह से बलूचिस्तान का ज़िक्र (पहली दफ़ा) लाल क़िले पर कर अब उसे सीधे (पहली दफ़ा) राष्ट्रसंघ पहुँचा दिया। इससे क्या हम यह संदेश नहीं दे रहे कि कश्मीर और बलूचिस्तान एक ही तराज़ू के पलड़े हैं – जो कि वे नहीं हैं।

बलूचिस्तान पाकिस्तान का अंदरूनी मामला है, जैसे कश्मीर हमारा। कश्मीर के हादसों पर पाकिस्तान के बयानों को हम उचित ही अपने अंदरूनी मामले में दख़ल क़रार देते आए हैं। बलूचिस्तान के मामले में हमारा यह अतिउत्साह किस रूप में देखा जाएगा? यह कहकर कि पाकिस्तान बलूचिस्तान में दमन कर रहा है, कहीं ऐसा पसमंज़र तो पेश नहीं करेगा कि हम ख़ुद पर लगने वाले दमन के आरोपों को बलूचिस्तान की ओट दे रहे हैं?

क्या ज़ी न्यूज़ नेटवर्क के राष्ट्रद्रोह का प्रमाण है जिंदगी चैनल?

जिंदगी चैनल पर धारावाहिक हमसफर
जिंदगी चैनल पर धारावाहिक हमसफर

zindgi-revampजी जिंदगी चैनल ने पाकिस्तानी टीवी सीरियलों( पीटीवी) के माध्यम से भारतीय टीवी दर्शकों के बीच जो अपनी अलग पहचान बनाई है, वो इसे भुला पाएगा ? जिस बेहूदगी से जी नेटवर्क का चैनल जी न्यूज लगातार युद्ध की तरफदारी कर रहा है, क्या उससे ये सवाल नहीं किया जाना चाहिए कि-

– अगर पाकिस्तान के लोग इस देश के दुश्मन हैं तो फिर वो दुश्मन देश के टीवी सीरियल क्यों प्रसारित करता रहा है ?

– यदि पाकिस्तान की संस्कृति देशद्रोह की संस्कृति है तो वो क्या अब तक वहां की संस्कृति पर आधारित सीरियलों का प्रसारण करके देश के दर्शकों को देशद्रोह बनाने का काम नहीं करता रहा है ?

– यदि स्त्रियों का तार्किक होना, अपने हक की बात करना दुश्चरित्र होना है तो क्या जी जिंदगी पाकिस्तान के सीरियलों का प्रसारण करके भारतीय स्त्री दर्शकों को चरित्रहीन हो जाने के लिए नहीं उकसाता आया है ?

– यदि पाकिस्तान की संस्कृति भारतीय संस्कृति से न केवल उलट है बल्कि इसके हित में नहीं है तो क्या जी नेटवर्क ऐसे कार्यक्रमों का प्रसारण करके अपने ही देश के दर्शकों से अपनी संस्कृति से दूर कर दुश्मन देश की संस्कृति को बढ़ावा नहीं दे रहा ?

( ये सारे सवाल आप में से किसी को भी बकवास लग सकते हैं, मुझे भी लेकिन इसी समूह का एक चैनल जब पाकिस्तान के बहाने भारतीय दर्शकों को बदहवास, उग्र और विवेकहीन बनाने का काम करने लग जाए , ऐसे में ये सवाल तो जरूर ही बनते हैं कि फिर क्यों जी जिंदगी के माध्यम से ये समूह पाकिस्तान के लोकप्रिय सीरियलों का प्रसारण करता रहा ? क्या इसका अर्थ ये न लगाया जाए कि न्यूज चैनल का बिजनेस पाकिस्तान के बहाने जहर उगलने में है और वहीं मनोरंजन चैनल का राजस्व अलग किस्म के पाकिस्तान के सीरियल दिखाने से है. चैनल की राष्ट्रभक्ति बैलेंस शीट से तय होती है न कि स्वाभाविक तौर पर ?

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इंडिया टुडे का न्यूजरूम या सरगम इलेक्ट्रॉनिक्स ?

इंडिया टुडे का न्यूजरूम या सरगम इलेक्ट्रौनिक्स
इंडिया टुडे का न्यूजरूम या सरगम इलेक्ट्रौनिक्स

ऐसा लगता है, हम सरगम इलेक्ट्रॉनिक्स आ गए हों :

इन दिनों इंडिया टुडे का न्यूजरूम जहां से ग्राउंड जीरो की खबरें प्रसारित हुआ करती हैं, ऐसा लगता है जैसे नवरात्र और दीपावली में बंपर बिक्री होने की संभावना को लेकर किसी इलेक्ट्रॉनिक शॉप/ शोरूम की तरह सजाए गए हो. चारों तरफ भक-भक दीया-बत्ती.

आतंकवाद और देश में असुरक्षा का माहौल समाचार चैनलों के लिए उत्सवधर्मिता है, ये आपको ऐसे चैनलों के स्टूडियो का हुलिया देखकर ही समझ आ जाएगा. नहीं तो जहां बात हत्या की, हमला की, मौत की हो रही हो वहां इतना ज्यादा चमकीलापन भला क्यों जरूरी है ?

आप दो मिनट पर खबर को लेकर ध्यान नहीं टिका सकते. एक ड्रोन सायं से गुजरता है और बम गिराकर फिर एक चक्कर काटता है. अभी इससे कपार बैलेंस में आए नहीं कि एक सैनिक ठांय. आपके मन में सीधा सवाल उठेगा कि अरुण पुरीजी जब आपको कार्टून में इतनी ही दिलचस्पी है तो अलग से कार्टून चैनल ही क्यों नहीं खोल लेते ? आपको भला किस चीज की कमी है ? जैसे दर्जनभर चैनल पहले से हैं, उसमे एक और सही.

कम से कम हम जैसे दर्शक जो दिनभर की चिल्ल-पों से बड़ी मुश्किल से प्राइम टाइम में आपके आगे जुटते हैं, उसे बार-बार ये आभास तो न हो कि सामने वीडियो गेम चल रहा है और हम बार-बार प्वाइंट स्कोर करने से रह जा रहे हैं.

आपको शायद अंदाजा न लगता हो कि ऐसे ग्राफिक्स, क्रोमा का दर्शकों पर क्या असर पड़ता है और इन सबके बीच एंकर कैसा दिखता है ? हमें एकदम से ऐसा लगता है कि स्क्रीन पर एंकर सबसे गैरजरूरी एलिमेंट है. वो न रहे तो इस गोलाबारी में हम कुछ ज्यादा ही प्वाइंट स्कोर कर लें.

ये सब सीएनएन इंटरनेशनल की बहुत ही भद्दी नकल है. ये सब धूम-धड़ाके वाले कारनामे वो भी करता है लेकिन अपने एंकर को कबाड़ बनाकर नहीं. मुझे नहीं पता कि एक ही तरह की कई मिनटों तक ग्राफिक्स और वॉल से दर्शकों का क्या भला होता होगा लेकिन हमें ये जरूर महसूस होता है कि ऐसे में राजदीप सरदेसाई जैसे अनुभवी, बेहतरीन एंकर ( जो दुर्भाग्य से न्यूज चैनल में इक्का-दुक्का ही हैं) नमूने की शक्ल में नजर आते हैं.

इंडिया न्यूज, इंडिया टीवी, सुदर्शन जैसे चैनल ये सब करे तो बात समझ आती है कि न्यूज गैदरिंग में खर्चे की कटौती के लिए इन्हीं सब ताम-झाम में अपने दर्शकों को अपने में उलझाए रखना चाहते हैं लेकिन आपके संवाददाता तो सीधे ग्राउंड जीरो पर मौजूद होते हैं. वो उडी, एलओसी से रिपोर्टिंग कर रहे होते हैं. ऐसे में इस तरह के झंडीमार न्यूजरूम की क्या जरूरत रह जाती है ?

दुर्गा को लेकर ईटीवी की मुहिम रंग लायी

दुर्गा को लेकर ईटीवी की मुहिम रंग लायी
दुर्गा को लेकर ईटीवी की मुहिम रंग लायी

नीलकमल

दुर्गा को लेकर ईटीवी की मुहिम रंग लायी
दुर्गा को लेकर ईटीवी की मुहिम रंग लायी

मैंने अपने 15 साल के पत्रकारिता जीवन में दुर्गा की कहानी जैसी स्टोरी, ना कही देखी , ना सुनी थी। इसलिए आज मैं बेहद खुश हूं,क्योंकि ETV के मुहिम की वजह से , दो साल की दुर्गा अपनी माँ की गोद में पहुच गयी।
दुर्गा की कहानी आपको पढ़ने में तो फ़िल्मी लगेगी , लेकिन ये दुर्गा ,गुड्डू शाह और मुनन देवी के ज़िन्दगी की हकीकत है।

दरअसल, बीते बुधवार (21 सितंबर) को मुझे पटना में, गुड्डू और मुनन नाम के पति पत्नी रोते-बिलखते मिले।
जब मैंने कारण पूछा और उन्होंने बताया,तो कलेजा कांप उठा।दरअसल,रोहतास के दिनारा के रहने वाले इस निसंतान दंपत्ति को, 30 सितंबर 2014 को इनके ही गांव में एक नवजात बच्ची मिली थी।पति पत्नी नवजात बच्ची को लेकर दिनारा थाना पहुचे।तब थाना प्रभारी ने बच्ची को उन्हें यह कर वापस सौप दिया की जब तक, इस नवजात के असली माँ-बाप का पता नही लगता , तबतक इसकी देखभाल करे।निसंतान दंपत्ति ने बड़े हर्ष के साथ बच्ची को अपने घर ले गए,और बच्ची का नाम रखा दुर्गा।देखते देखते दो साल हो गए।दुर्गा को पालने वाली यशोदा बनी मुनन देवी,उसका पति गुड्डू शाह और मुनन देवी के ससुराल के साथ साथ , मायके वालों का भी दिल का रिश्ता दुर्गा से साथ जुड़ गया।लेकिन दो साल बाद यानि अगस्त 2016 को, एक दिन अचानक दुर्गा के घर दिनारा थाना का एक दारोगा पंहुचा, और पति पत्नी को कहा कि वो दुर्गा को लेकर थाने चले।जब मुनन देवी और गुड्डू शाह दुर्गा के साथ थाने पहुचे।उनसे कहा गया कि बाल कल्याण समिति का कहना है कि,दुर्गा को आप लोगो ने अवैध् ढंग रखा है।फिर CWC के सदस्य द्वारा डॉक्टर को दिखाने के नाम पर दुर्गा को थाने से ले जाया गया।मुनन देवी ने भी साथ जाने की ज़िद की तो उसे जबरन थाने पर बिठाये रखा गया।फिर पता चला की CWC ने दुर्गा को गया के चाइल्ड एडॉप्शन सेंटर भेज दिया है।

दुर्गा को लेकर ईटीवी की मुहिम रंग लायी
दुर्गा को लेकर ईटीवी की मुहिम रंग लायी

इस घटना के बाद मुनन देवी और उसके परिवार के साथ,गांव के मुखिया और गांव वाले, दुर्गा को वापस लाने रोहतास के बाल कल्याण समिति के दफ्तर पहुचे।लेकिन उन्हें कहा गया कि, दुर्गा अब उन्हें नही मिलेगी।हा, बाल कल्याण समिति की तरफ से ये जरूर कहा गया कि दुर्गा के बदले मुनन देवी को लड़का दे दिया जायेगा।लेकिन यशोदा बनी मुनन देवी ने बाल कल्याण का ये ऑफर ठुकरा कर, दुर्गा को वापस पाने की लड़ाई लड़ने लगी। इस दंपत्ति ने मदद के लिए कई दरवाज़े खटखटाये,लेकिन मदद कही से नही मिली।

etv-durgaफिर मदद की आस में दंपत्ति पटना पहुचे और मेरी नज़र इस दंपत्ति पर पड़ी।इनकी समस्या सुन, उसी वक्त मैंने दुर्गा को उसकी यशोदा के गोद में पहुचाने का संकल्प लिया।फिर मैंने स्टोरी बनायी,जैसा की सर्वविधित है ETV पर खबर चलने का असर जरूर होता है।मैंने बिहार की समाज कल्याण मंत्री से भी बात की।उन्होंने भी पूरी कहानी सुन मदद का भरोसा दिलाया। और नतीजा यह निकल कर आया की चार दिन खबर दिखाये जाने के बाद, दुर्गा फिर से अपने माँ की गोद में पहुच गयी।

इस मुहीम में मुझे मेरे साथी स्वयंसेवक बृजेश तिवारी का भी भरपूर सहयोग मिला।अब तीन महीने के अंदर क़ानूनी प्रक्रिया पूरी करने के बाद, दुर्गा क़ानूनी रूप से भी मुनन देवी और गुड्डू शाह की हो जायेगी।लेकिन कुछ सवाल अभी भी मेरे जेहन में तैर रहे है ,जैसे;-

1.रोहतास के बाल कल्याण समिति की अध्यक्ष ने क्यों कहा कि दुर्गा के बदले लड़का ले लो।
2.जिस कानून की दुहाई देते हुए बाल कल्याण ने दुर्गा को लौटाने से मना कर दिया था।खबर चलने के बाद उसी कानून के तहत उन्होंने दुर्गा को सौंपा।तो दुर्गा को रखने के पीछे बाल कल्याण समिति का कोई उद्देश्य था।
खैर, अच्छी बात यह है कि दुर्गा अब अपनी माँ के गोद में खुश है।और माँ का कहना है वो दुर्गा को बड़ी ऑफिसर बनायेगी।

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