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एक चोरी की तस्वीर पूरी बिहार की तस्वीर बन जाती है

एक चोरी की तस्वीर पूरी बिहार की तस्वीर बन जाती है। उस तस्वीर को बिहार के ही लोग ‘हें हें ‘कर बिहार से पूरे विश्व में फ़ैलाते हैं। उन्हें बिहार की एक तस्वीर से मजाक उड़ाने में आत्मीय ख़ुशी होती है।

एक क्राइम की खबर से इन बिहारियों का सर झुक जाता है और पूरे विश्व में उस खबर के साथ लोगों को डराते हैं कि बिहार घुसने पर लोगों का गला काट दिया जाता है।

एक घटना से बिहारी होने पर शर्मिंदा होने वालों ऐसे बिहारी ने यह खबर दुनिया को नहीं दी कि उरी में देश के लिए शहीद होने वालों में सबसे अधिक ब्रेव आर्मी बिहार के ही थे। उरी का बदला लेने पाक में घुस कर मारने वालों में सबसे अधिक बिहार के ही जवान थे। आज से पिछली सभी युद्धों में भी बिहारी ने ही जान देकर देश की हिफाजत की।

लेकिन आपने इन ‘इलीट’ बिहारी को इनकी बहादुरी पर प्राउड बिहारी की फीलिंग होते नहीं देखा होगा।
फील प्राउड टू बी बिहारी।

ओम थानवी का मोदी भक्तों पर सर्जिकल अटैक

ओम थानवी,वरिष्ठ पत्रकार
ओम थानवी,वरिष्ठ पत्रकार

कल सर्जिकल स्ट्राइक की खबर आने के बाद वामपंथ खेमे में ख़ामोशी छाई थी. लेकिन आज ये ख़ामोशी टूटती नज़र आयी जब तर्क के नए तीर-कमान के साथ वामपंथी विचारधारा के पत्रकार सोशल मीडिया पर एक के बाद एक प्रकट होने लगे. इसी कड़ी में वरिष्ठ पत्रकार ओम थानवी ने आज फेसबुक पर वीडियो शेयर करते हुए लिखा –

“पहली बार पहली बार” को फिर जुमला बनाकर उछालने वाले, सेना की शौर्यपूर्ण कार्रवाई के बीच राजनेताओं में शेर और देवताओं की प्रतिमाएँ खोजने-उकेरने वाले भारत के पूर्व सेनाध्यक्ष जनरल बिक्रम सिंह को ज़रा ग़ौर से सुनें। उन्होंने कहा – “ईमानदारी से बताता हूँ कि इस तरह के ऑपरेशन हम नियंत्रण रेखा पर पहले भी कर चुके हैं; पार जा कर चुके हैं।”
तब इतना कूदना काहे का, जोशीलों?







सरहद पे बहुत तनाव है क्या? कुछ पता तो करो चुनाव है क्या?

ओम थानवी,वरिष्ठ पत्रकार

priti-gandhi-tweetसरहद पे बहुत तनाव है क्या?
कुछ पता तो करो चुनाव है क्या?
राहत इंदोरी का यह शे’र मुझे भाजपा नेता प्रीति गांधी का कल जारी एक ट्वीट देख बरबस याद आया:
“पंजाब सीमा से लगा प्रांत है, उम्मीद है वे (पंजाब के मतदाता) समझेंगे कि वक़्त की पुकार है एक मज़बूत, फ़ैसले लेने वाली सरकार चुनें। अपना वोट समझदारी से दें।”
सेना की हमलावर कार्रवाई के बीच मुंबई में बैठी भाजपा नेता का यह कैसा सरोकार है? क्या भाजपा जंग/सीमाई झड़प/स्ट्राइक आदि की भी चुनावी ब्रांडिंग करने जा रही है?
बहुत अफ़सोसनाक़। राष्ट्रीय भावना कोई चुनावी दोहन की चीज़ होती है? हालाँकि मोदी ख़ुद आम चुनाव में सामरिक मुद्दे (‘मुझे देर नहीं लगती; घर में घुस कर मारो’) भावोत्तेजक शक्ल में उठा चुके हैं … प्रीति बस कुछ जल्दी मचा बैठीं! @fb

उर्मिलेश का स्टेट्स अजीत अंजुम ने शेयर किया और पड़ने लगी गालियाँ

उर्मिलेश उर्मिल,वरिष्ठ पत्रकार
उर्मिलेश उर्मिल,वरिष्ठ पत्रकार
उर्मिलेश उर्मिल,वरिष्ठ पत्रकार
उर्मिलेश उर्मिल,वरिष्ठ पत्रकार

सोशल मीडिया पर जिस पत्रकार को जितनी गालियाँ मिले वो उतना लोकप्रिय माना जाता है. राजदीप और रवीश जैसे बड़े पत्रकार सोशल मीडिया के गालियों का रोना भी रोते हैं और उसी में घुसे भी रहते हैं. लेकिन जब गालियाँ कम पड़ती है तो जान-बूझकर कुछ ऐसा लिखते हैं ताकि गालियाँ पड़े ही पड़े. नहीं तो उन्हें लगता है कि अपनी टीआरपी कम हो गयी. आजकल वरिष्ठ पत्रकार उर्मिलेश उर्मिल भी उन्हीं के नक़्शे कदम पर चल पड़े हैं. गालियों से टीआरपी बढ़ने का गणित उन्हें भी मालूम पड़ गया है. तभी उन्होंने एक स्टेट्स लिखा –

“हां, आप मुझसे नफरत कर सकते हैं क्यों कि मैं युद्ध से प्रेम नहीं करता, उससे नफरत करता हूं। सिर्फ किताबें पढ़कर ऐसा नहीं करता। मैंने पत्रकार के रूप में एक युद्ध(करगिल-1999) भी कवर किया है। मैंने युद्ध होते हुए देखा है। गावों को तबाह होते देखा है। कस्बों को खाली और उदास होते पाया है। जिन्दगी को अचानक थमते देखा है।

लेकिन उनके इस स्टेटस पर किसी तरह की नफरत नहीं फैली और न आलोचनात्मक टिप्पणी आयी. लेकिन जैसे ही इस स्टेट्स को इंडिया टीवी के मैनेजिंग एडिटर अजीत अंजुम ने शेयर किया कि सोशल मीडिया के रणबांकुरे उनकी खबर लेने लगे और ऐसे उर्मिलेश की नफरत की चाह पूरी हुई. देखें कुछ स्टेट्स :

Mahendra Rajpurohit Narwa Purohitan Urmish babu ye bat to pak ko to samghao
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Dharmendra Choudhary
Dharmendra Choudhary ये उर्मिलेश पत्रकार की खाल में छिपा वामपंथी एजेंट है।
इसका एकमात्र मकसद भारत का नुकसान करना है।
भारत हमेशा से सबसे शांतिप्रिय देश रहा है।
परंतु कोई जब बेवजह लड़ने पर आ जाए तब पीछे हटना कायरता है।
बेहतर होगा उर्मिलेश ये प्रवचन अपने पाकिस्तानी आकाओं को दें।
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Randhir Singh
Randhir Singh कल तक ताने मार रहे थे अंजुम जी मोदी के केरल में दिए हुए भाषण के उप्पर पोस्ट पे पोस्ट चेपे जा रहे थे, कब मोदी बदला लेगा के नाम पे ताने मार रहे थे और आज युद्ध की परेशानिया बताने लगे।
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Lucky Bhalla
Lucky Bhalla सारे सिखाने वाले इसी देश को क्यों सिखाते हैं।क्या भारत खुद से अलग हुआ था धर्म को लेकर ?? मज़हब के नाम पर देश बाँट दिए लोगों ने उसके बाद भी नसीहत हमें ही क्यों ?? इतना तो उनको नसीहत देने वाले नहीं होंगे जिन्होंने धर्म के नाम पर देश बाँट दिया।
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पाकिस्तानी टीवी न्यूज़ चैनलों के स्क्रीन पर बेचैनी और हताशा

पाकिस्तानी टीवी न्यूज़ चैनलों पर हताशा
पाकिस्तानी टीवी न्यूज़ चैनलों पर हताशा

अजीत अंजुम,मैनेजिंग एडिटर, इंडिया टीवी

कई लोग सर्जिकल स्ट्राइक पर सवाल खड़े कर रहे हैं..

कितने आतंकी मारे ?

2-4 मारे कि 40 -50 मारे ?

Pok में घुसकर मारा या नहीं ?

सबूत क्या है ?

सेना ने अब तक कोई वीडियो या तस्वीर क्यों नहीं जारी की ?

पाक क्यों हल्ला कर रहा है कि उसने हमारे 8 जवानों को जवाबी हमले में मार दिया ?

इन सवालों के बीच असली बात ये है कि कई सालों बाद पाक भारत के इस तेवर से हिला ज़रूर है ..पाकिस्तान के टीवी चैनलों पर भारत को कोसना नई बात नहीं लेकिन इस बार उनकी बेचैनी और हताशा भी साफ झलक रही है . पाक को ये संदेश तो गया है कि अगर वो अपनी हरकत से बाज नहीं आया तो घर में घुसकर आतंकी ठिकानों पर गोले भी दागे जा सकते हैं ..दुनिया को भी ये संदेश गया है कि ज़रूरत पड़ने पर भारत ऐसी कार्रवाई भी कर सकता है …पाक को छाती पीटने दीजिये ..कहने दीजिये कि भारतीय सेना झूठ बोल रही है …
ये एक अच्छी शुरुआत है ..

(लेखक के एफबी वॉल से साभार)

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