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एनडीटीवी में ज़ी न्यूज़ का भूत

निखिल आनंद

ndtv-surgical-strike2 sushant-singh-ndtvआज एनडीटीवी उच्चस्तरीय सूत्रों के हवाले से सर्जिकल स्ट्राइक पर वही खबरें चला रहा है जो जीन्यूज 15-16 दिनों से चला रहा है। पता नहीं कॉपी राईट का मामला बनता है कि नहीं लेकिन ये तो पक्का कॉपी- पेस्ट है भाई! ऐसा लगता है कि एनडीटीवी पर ही सर्जिकल स्ट्राइक हो गया है आप सब भी देखें और मजे लें। लोकतंत्र में अगर आप किसी से नाराज हैं, किसी से वैचारिक विरोध- प्रतिरोध है, किसी की मोनोपोली व प्रोपोगंडा के खिलाफ हैं तो दूसरे पक्ष की हिपोक्रेसी व मुखौटे पर भी नजर रखिये किसी भी मिडिया- पत्रकार, पार्टी- नेता को आउटराइटली रिजेक्ट न करे, तथ्यपरक विश्लेषण करें, भावनाओं में न बहें। किसी एक को नहीं सभी पक्ष- विचार को देखें, सुने, पढ़ें, समझें और अपना दिमाग लगाकर विचार बनायें #ZeeNews #NDTV #Media #SurgicalStrike

(निखिल आनंद के फेसबुक वॉल से)

ये सीरिया नहीं सरहद पर अपना ही बर्बाद क़स्बा है

indian-borderसीरिया के किसी बर्बाद क़स्बे जैसी दिखने वाली ये तस्वीर हमारी ही सरहद के पास के एक गाँव की हैं ..बारूद से जली कार , गोलों से उजड़ा हुआ मकाँ , जमीदोंज छत , और राख हुई चौखट जंग की विभीषिका के एक ट्रेलर की तरह है …3 अक्तूबर को दुश्मनों के चंद गोलों ने सरहद क्या लांघी , सीमा के पास बसे गाँवों के दर्जनों घर यूँ ही नेस्तनाबूद हो गए …तिनका तिनका जोड़कर लोगों ने जो आशियाना बनाया था , वो बारूद की भेंट चढ़ गया ..ऐसे धरों में रहने वाले कई लोग खुशकिस्मत थे कि अस्पताल पहुँच गए और ज़िंदगी की डोर थामे रह गए ..लेकिन हर बार क़िस्मत साथ नहीं होती .. कई बार सीमा पार आने वाले गोलों पर बेक़सूर बच्चों/बुज़ुर्गों /महिलाओं का नाम लिखा होता है …आधी रात को घर की छत पर अचानक बारूद की बारिश होती है और पूरा परिवार झुलस जाता है …कोई बचता है ..कोई मरता है लेकिन तनातनी के हर दौर में ये सिलसिला चलता रहता है …

हम लोग सीमा पर बरसने वाले इन गोलों और गोलियों की भयावहता को महसूस किए बग़ैर जंग की वकालत करते रहते हैं …सरहद पर मामूली तनातनी का अंजाम जो लोग भुगतते हैं , उनसे पूछिए कि चंद गोलों से उनकी जिंदगी कितनी बेज़ार हो जाती है …पाँच दिन पहले ऐसे ही गाँव में हमारे संवाददाता मनीष प्रसाद भी गए थे ..उनकी भेजी तस्वीरें देखकर ऐसा लग रहा था कि हम अलप्पो की तस्वीरें देख रहे हों …
मौक़ा मिले तो आज के एक्सप्रेस में सरहद के पास रहने वालों के बारे मे। पढ़िए …
फोटो -एक्सप्रेस

(अजीत अंजुम के वॉल से)

प्रधानमंत्री के दबाव में जब नाम भूले एंकर सईद अंसारी !

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सईद अंसारी,एंकर,आजतक (Google Image)

24 घंटे के न्यूज़ चैनलों में दिन-रात ख़बरों की आवाजाही होती है और उसका साफ़ दबाव न्यूज़ एंकरों पर देखा जा सकता है. इसी वजह से कई बार कई एंकरों की ज़बान लड़खड़ा जाती है और वे कुछ के बदले कुछ कह देते हैं.

कई साल पहले आजतक के सुप्रसिद्ध एंकर सईद अंसारी के साथ ऐसा ही हुआ जब उन्होंने मैं हूँ सईद अंसारी की जगह मैं हूँ प्रधानमंत्री कह दिया और फिर उसे सुधारा,लेकिन तब तक ये सब ऑन एयर हो चुका था और लोग हंसी में कहने लग गए कि प्रधानमंत्री के दबाव में नाम भूल गए सईद अंसारी.

हालांकि सईद एक बेहतरीन एंकर हैं और सबसे जुदा भी हैं लेकिन गलती तो किसी से भी हो सकती है.आखिर इंसान जो ठहरे. देखिये वीडियो.

वीडियो अब अनुपलब्ध है

मोदी सरकार के आगे नतमस्तक एनडीटीवी!

वरिष्ठ पत्रकार एस एन विनोद ट्विटर पर संदेहाताम्क लहजे में लिखते हैं -” कुछ तो असहज घटित हुआ है NDTV में।’राष्ट्रीय सुरक्षा’के नाम पर अनुकूल खबरों का प्रसारण, प्रतिकूल खबरों पर आंतरिक निगरानी! NDTV ने बरखा दत्त द्वारा लिए गये पी चिदंबरम के इंटरव्यू का प्रसारण रोका।प्रसारण की घोषणा चैनल पहले कर चुका था। ”



ndtv-rajnitiएसएन विनोद की बातें अपने आप में ही बहुत कुछ कह जाती है. दरअसल ये सारे सवाल चिदम्बरम के इंटरव्यू को न दिखाने से शुरू हुआ.उसके बाद ख़बरों में राष्ट्रीय सुरक्षा और राजनीति आदि से संबंधित ग्राफिक्स चलाया गया. इसी को लेकर पत्रकार बिरादरी में कानाफूसी तेज हो गयी है. कोई कह रहा है कि मोदी सरकार के दवाब के आगे एनडीटीवी आखिरकार झुक गयी है और इसी कारण चिदम्बरम का इंटरव्यू प्रोमो दिखाने के बाद नहीं दिखाया गया. इस संदर्भ में अम्बरीष कुमार सोशल मीडिया पर संक्षेप में सिर्फ इतना लिखते हैं – एनडीटीवी भी भारी दबाव में…

barkha-chidmbramदूसरी तरफ वरिष्ठ टीवी पत्रकार प्रभात शुंगलू टिप्पणी करते हुए बेहद रोचक अंदाज़ में सरकार और चैनल का नाम लिए बिना सोशल मीडिया पर लिखते हैं – “नेश्नलिस्ट सरकार की नेश्नलिस्ट पार्टी के नेश्नलिस्ट राष्ट्रीय अध्यक्ष ने अपने पार्टी के राष्ट्रीय कार्यालय से नेश्नलिस्ट मीडिया को कल नोबेल पुरस्कार के तर्ज़ पर नेश्नलिस्ट तमगे से नवाज़ा। पिछले ढाई सालों में ‘गैर-नेश्नलिस्ट’ मीडिया का ढाई सौ बार सर्जिकल स्ट्राइक हुआ। और उसे नेश्नलिस्ट बना के ही दम लिया गया। कुछ हथियार डालने को मजबूर किये गये। कुछ ने प्रतिरोध में चूं तक नहीं की। आखिरी परफेक्ट सर्जिकल स्ट्राइक दो दिन पहले थी, साउथ दिल्ली की तरफ वाले LOC पर।”

ऐसे में ये सवाल उठना जायज हैं कि चिदम्बरम का इंटरव्यू न दिखाकर एनडीटीवी ने इसपर मुहर लगा दी है कि मोदी सरकार के आगे चैनल नतमस्तक हो गया है और जल्द ही एनडीटीवी के स्क्रीन पर दूरदर्शन नज़र आएगा.




आम आदमी पार्टी नरम हिन्दुत्व का कार्ड खेल रही है

आम आदमी पार्टी और समाजवादी पार्टी बढ़-चढ़कर भाजपा के वोट बैंक में सेंधमारी करने के लिए तरह तरह भाजपा मार्का बयान दे रहे हैं,नरम हिन्दुत्व का कार्ड खेल रहे हैं,आरएसएस के जनाधार को पाने के लिए ये दोनों दल इस तरह की घटिया राजनीतिक हरकतें कर रहे हैं,अखलाक के हत्यारे को मुआवजे की घोषणा उसी कड़ी का अंग है।इस तरह की हरकतें प्रतिक्रियावादी तबकों का वोट दिला सकती हैं , समाजवादी सरकार बनाने में मदद कर सकती हैं लेकिन इससे जनता फासिस्ट बनती है।फलत: आरएसएस या फंडामेंटलिस्ट संगठन उससे बाद में लाभ उठाते हैं।

यह हिन्दुत्व का नाटक है जो लोकतंत्र को अपराधीकरण की ओर ठेल रहा है,यूपी में राममंदिर का ताला खुलवाकर या नरम हिन्दुत्व की राह पर चल कर कांग्रेस ने अंत में भाजपा को पूर्ण बहुमत की सरकार थाली में सजाकर दी है।

मोदी फिनोमिना को ताकतवर बनाने में नरम हिन्दुत्व के कांग्रेसी मॉडल की बड़ी भूमिका है,अब समाजवादी पार्टी और आम आदमी पार्टी नरम हिन्दुत्व का कार्ड खेल रही है,यह खेल आत्मघाती तो है ही,लोकतंत्र के लिए भी जहर है।@fb 

प्रो.जगदीश्वर चतुर्वेदी

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