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हिंदुस्तान,मोतिहारी के बदले तेवर से खलबली

हिंदुस्तान,मोतिहारी के बदले तेवर व कलेवर से जिले के दुसरे बैनर वाले अखबारों में हडकंप मच गया है. बिहार की राजधानी पटना के बाद आबादी की लिहाज से सबसे बड़े जिले पूर्वी चंपारण में अख़बार का सर्कुलेशन 25000 से ऊपर है.

इसके मुकाबले प्रतिद्वंदी अख़बारों दैनिक जागरण,प्रभात खबर, राष्ट्रीय सहारा आदि का प्रसारण एक तिहाई भी नहीं है. जिले के अनुभवी खबरचियों की मानें तो कुछ वर्ष पहले यहाँ के प्रभारी संजय उपाध्याय के जाने के बाद अख़बार में उठा-पटक की स्थिति रही. इसका असर अख़बार में छपे कंटेंट पर भी पड़ा.

हालाँकि इसी बीच मुजफ्फरपुर यूनिट से सुमित सुमन व बेतिया के हरफन मौला पत्रकार अमिताभ रंजन के आने के बाद हालत कुछ सुधरे भी. पर इनके जाते ही स्थिति जस की तस हो गई.

फिर डैमेज कंट्रोल के लिए यूनिट से मनीष सिंह को भेजा गया. लेकिन स्वभाव से दब्बू होने व आपसी राजनीति के चलते कार्यालय कर्मियों पर इनका नियंत्रण ना के बराबर रह गया था.

मैं हूँ बलात्कारी गाने के कारण पंजाबी और बॉलीवुड गायक हनी सिंह के खिलाफ एफआईआर

“मैं हूँ बलात्कारी” और “केंदे पेचायिया” जैसे अश्लीलता और भद्देपने की समस्त सीमाओं को पार करने वाले गानों को लिखने और गाने वाले पंजाबी और बॉलीवुड गायक हनी सिंह के खिलाफ एफआईआर 606/2012 दर्ज किया गया है. यह एफआईआर आईपीएस अधिकारी अमिताभ ठाकुर ने थाना गोमतीनगर, लखनऊ में दर्ज कराया है. ठाकुर ने एफआईआर में कहा है कि ये गाने अत्यंत अश्लील, उत्तेजक और अभद्र हैं और समाज में महिलाओं के प्रति असम्मान तथा गंभीर अपराध बढाने के उत्प्रेरक का कार्य करते हैं . एफआईआर धारा 292, 293 तथा 294 आईपीसी के अंतर्गत दर्ज हुआ है. हनी सिंह ने पंजाबी के अलावा हिंदी फिल्मों कॉकटेल, खिलाडी 786, रेस 2, सन ऑफ सरदार जैसी फिल्मों में भी गाना गाया है.

न्यूज़ चैनलों का एसिड टेस्ट, मातम में नये साल का जश्न

rape women

आज न्यूज़ चैनलों का एसिड टेस्ट है. हम उन चेहरों को देखने के लिए बेताब हैं जो एक दिन पहले तक खबरें पढते हुए गमगीन दिख रहे थे. क्या आज उन्हीं एंकरों के चेहरे पर नए साल का जश्न दिखेगा?

यदि ऐसा होता है तो फिर जो भी संशय था वह खतम हो जाएगा और यकीन हो जाएगा कि कठपुतली से ज्यादा इनकी कोई हैसियत नहीं. चैनलों के घडियाली आंसू का सच भी सामने आ जाएगा.

मीडिया खबर डॉट कॉम अपील करता है कि नए वर्ष का जश्न जो मनाना चाहते हैं, जरूर मनाएं. लेकिन उसका उसका सार्वजनिक प्रदर्शन न करें. नए साल की शुभकामना न दें. ये सेलिब्रेशन नहीं रेवलूशन का समय है.

उन चैनलों का बहिष्कार कीजिये जो नए साल पर गोवा की रंगीनिया और मल्लिका, बिपाशा या सन्नी लियोन के ठुमके दिखायेंगे. उसकी चिता की राख पर हम जश्न कैसे मना सकते हैं?

याद रखिये ये सेलिब्रेशन नहीं रेवलूशन का समय है और न्यूज़ चैनलों को भी रेवलूशन ही दिखाना चाहिए. नहीं तो चैनलों की नीयत पर भी संदेह होगा.

 

न्यूज़ चैनलों पर बलात्कार की खबरें पहले कहाँ थी ?

shams tahir khan anchor aajtak

समाचार चैनलों पर बलात्कार की खबरें लगातार चल रही है. अचानक से ऐसी खबरों की बाढ़ आ गयी है. पश्चिम बंगाल से लेकर गुजरात तक यानी देश के चप्पे – चप्पे से दुष्कर्म और सामूहिक दुष्कर्म के नए – नए मामले सामने आ रहे हैं.

एनडीटीवी इंडिया ने देश में दुष्कर्म की तस्वीर दिखाई. कमाल खान ने अपनी रिपोर्ट में बताया कि यूपी में अबतक चालीस नाबालिग लड़कियों के साथ बलात्कार हुआ और उसके बाद उनकी हत्या कर दी गयी.

गुजरात में बारह साल की बच्ची के साथ सामूहिक दुष्कर्म. उसने अस्पताल में आत्महत्या की कोशिश की और अब जिंदगी – मौत के बीच झूल रही है.

पश्चिम बंगाल में 40 साल की महिला के साथ 8 लोगों ने पहले सामूहिक दुष्कर्म किया और फिर हत्या करके तालाब में फेंक दिया. उसके पति को भी बुरी तरह से जख्मी कर दिया.

एनडीटीवी इंडिया ही क्या बाकी के न्यूज़ चैनलों पर भी ये ख़बरें लगातार चल रही है. आईबीएन – 7 पर खबरें देखेंगे तो वहां भी आपको आधे घंटे में 20 मिनट की खबर दुष्कर्म से ही संबंधित मिलेगी. एबीपी न्यूज़ और आजतक पर भी कुछ – कुछ ऐसा खबरों का फ्लेवर मिलेगा. खबरों को देखते हुए ऐसा लगता है कि हम बलात्कारियों के देश में रह रहे हैं जहाँ हर पल किसी की अस्मत लुटी जा रही है.

लेकिन अहम सवाल पैदा होता है कि ये ख़बरें पहले कहाँ थी और आचानक से कैसे आ गयी? ऐसा तो हो नहीं सकता कि अचानक से बलात्कार की ख़बरों में इजाफा हो गया हो?

दिल्ली में हुए सामुहिक दुष्कर्म मामले के बाद ही दुष्कर्म से संबंधित खबरों में इजाफा हुआ और कई घिनौने मामले सामने आये. इनमें से कुछ ख़बरें पुरानी है जो पहले सामने नहीं आये या आये तो चलताऊ ढंग से , जिसे किसी ने नोटिस ही नहीं किया.

ऐसे में ये सवाल जायज है दुष्कर्म से संबंधित ये खबरें न्यूज़ चैनलों ने पहले क्यों नहीं दिखाई? वैसे उस अनामी लड़की की चिता की राख अभी ठंढी भी नहीं हुई थी कि कल न्यूज़ चैनलों पर क्रिकेट का जश्न शुरू हो गया था. आगे नया साल है ही. उसकी मौत के मातम और अपने उत्सव के बीच न्यूज़ चैनल एक दिन भी इंतजार कर सके. संवेदना शब्द ही बनकर रह गए?

फिर ऐसा क्यों न लगे कि दुष्कर्म पर न्यूज़ चैनल घड़ियाली आंसू बहा रहा है.? इसके अलावा समाचार चैनलों की खबरों में दिल्ली का महत्व ज्यादा होता है और वहां हुआ दुष्कर्म सबसे बड़ा दुष्कर्म. यह दोहरा मापदंड क्यों?

तभी पत्रकार आलोक पुंज सवालिया लहजे में कहते हैं कि क्यूँ ये खबर नहीं है मीडिया के लिए, एक और शर्मनाक वाकया जो बिहार के समस्तीपुर जिले का है. कल्याणपुर थाना के वासुदेवपुर गांव में इंटर की एक छात्रा को अगवा कर उसके साथ सामूहिक दुष्कर्म किये जाने का मामला सामने आया है. ये खबर कल शाम की है पर किसी भी राष्ट्रीय चैनल ने इस खबर को अबतक उठाया नहीं है. शायद प्रोफाइल लो होगा या फिर बिहार के समस्तीपुर का मामला है जो जगह हाय प्रोफाइल नही हो राष्ट्रीय चैनल के लिए. खैर एक और मामला तो है जो बेहद शर्मनाक है.

अभिसार आजतक से विदा हुए या विदा किये गए?

abhisar sharam - the eye of the predator

 

आजतक के प्रमुख एंकर अभिसार शर्मा आजतक छोड़ चुके हैं. दरअसल ये खबर बड़ी नहीं है. मुद्दा ये है कि उन्होंने इस्तीफा अपनी मर्जी से दिया या उन्हें परिस्थितिवश इस्तीफा देना पड़ा.

दरअसल हम कोई गॉसिप नहीं कर रहे. लेकिन उनके इस्तीफे देने के तरीके और समय की वजह से संदेह होता है. अभिसार की आजतक से विदाई ऐसे समय पर हुई जब सामूहिक दुष्कर्म मामले में खबरों का तूफ़ान आया हुआ था. उसके अलावा नया साल भी सामने ही था.

फिर जब भी कोई तरीके से आजतक से जाता है तो नोटिस देता है. नोटिस पीरियड को पूरा करता है और इस दौरान यदि एंकर है तो खबरें भी पढता है. इसी साल आजतक की सोनिया सिंह ने जब इस्तीफा दिया था तो ऐसी ही प्रक्रिया से गयी थी. सब जानते थे कि आजतक में उनका अंतिम बुलेटिन किस दिन होने वाला है.

लेकिन अभिसार के मामले में ऐसा नहीं हुआ. वे अचानक से स्क्रीन से गायब हो गए और उनके इस्तीफे की खबर इंडस्ट्री में फैल गयी. ऐसे में सवाल उठता ही है कि अभिसार आजतक से विदा हुए या विदा किये गए?

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