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एबीपी न्यूज़ कहाँ तुम चले गए थे !

सामूहिक दुष्कर्म की पीड़िता की मौत के मातम में लोगों ने नए साल का जश्न नहीं मनाया. न्यूज़ चैनलों ने मातम को जश्न में तब्दील नहीं होने दिया और जश्न से टीवी स्क्रीन को दूर रखा.

वर्ष 2013 के आगमन पर जश्न की रंगीनियाँ और पटाखों के शोर की बजाये न्यूज़ चैनलों पर मोबत्तियां और इन्साफ की पुकार की आवाज़ देखी – सुनी गयी.

चैनलों पर स्लो पेश से ख़बरें चली. गंभीरता बनी रही और दुष्कर्म के विविध पहलुओं पर चर्चाएँ भी चलती रही.

लेकिन साल खत्म हो रहा था और पूरे साल का एक राउंडअप भी दिखाना जरूरी था. एनडीटीवी इंडिया ने फ़िल्मी दुनिया की खबर दिखाई तो एबीपी न्यूज़ ने एक नायाब तरीका निकाला. उसने एक कार्यक्रम बनाया, ‘कहाँ तुम चले गए’.

‘कहाँ तुम चले गए’ में उन हस्तियों के बारे में बताया जा रहा है जिनका पिछले साल निधन हो गया. उनका प्रोफाइल भी बताया गया. बेहद उम्दा तरीके से चीजों को दिखाया गया.

इच्छाशक्ति हो तो रास्ते निकल ही आते हैं. एबीपी न्यूज़ का यह कार्यक्रम इसका बेहतरीन नमूना है. कार्यक्रम देखकर कहने को यही जी में आया कि एबीपी न्यूज़ कहाँ तुम चले गए थे ? एबीपी न्यूज़ के संपादक शाजी ज़मा को बधाई.

आजतक की पत्रकारिता बनाम मेल टुडे की पीत पत्रकारिता

aajtak no celebrationदिल्ली में हुए सामूहिक दुष्कर्म और उस अनामी लड़की की मौत के बाद देश भर में शोक, संवेदना के साथ – साथ आक्रोश की लहर फैल गयी है. यहाँ तक कि लोगों ने नए साल का जश्न भी नहीं मनाया और रातभर कैंडल मार्च और नुक्कड़ नाटक के माध्यम से ऐसे मामलातों के खिलाफ अपना विरोध दर्ज कराते रहे.

न्यूज़ चैनलों पर लगातार ये खबरें चलती रही और इंडिया टुडे ग्रुप के चैनल आजतक ने साफ़ तौर पर लिखा कि जश्न नहीं जज्बात की रात. वाकई में ये जज्बात की रात थी और आने वाली कई और रातें जज्बात की रात रहेगी. दूसरे चैनल भी ऐसा ही करते और कहते नज़र आये.किसी चैनल पर कोई जश्न नहीं.न्यूज़ चैनलों पर पिछले 15 दिनों से उसी अनामी लड़की को लेकर खबरें चल रही है. इस दौरान कुछ –कुछ तमाशे भी हुए, आलोचना भी हुई. लेकिन इस सबके दरम्यान चैनलों ने एक काबिलेतारीफ काम किया कि उस लड़की या उसके परिवार की कोई भी पहचान टीवी स्क्रीन के माध्यम से जाहिर नहीं की.

आजतक जो इस खबर को लीड कर रहा था उसने भी नहीं जाहिर किया और न किसी और चैनल ने. यहाँ तक कि मनोहर कहानियां माना जाने वाला इंडिया टीवी ने भी इस नैतिकता का पालन किया और उसका काल्पनिक नाम दामिनी रख दिया. उसकी मौत के बाद भी ये सिलसिला जारी रहा.

लेकिन न्यूज़ चैनलों ने जो काम नहीं किया, संयम रखा, वह काम अंग्रेजी अखबार मेल टुडे ने कर दिया. पत्रकारिता की नैतिकता को धत्ता बताते हुए, मेल टुडे ने अपने संस्करण में सामूहिक दुष्कर्म की पीड़ित लड़की का नाम और घर की असली तस्वीर छाप दी और उस परिवार की निजता को तार – तार कर पीत पत्रकारिता का नमूना पेश किया.

दिल्ली पुलिस ने केस भी दर्ज कर लिया है. लेकिन सवाल उठता है कि एक ही ग्रुप के न्यूज़ चैनल और अखबार में अलग – अलग तरह की मानसिकता क्यों?

आजतक ने एक ओर जहाँ इस मामले में पत्रकारिता के बुनियादी सिद्धांतों का पालन किया तो दूसरी तरफ उसी इंडिया टुडे ग्रुप के अखबार मेल टुडे ने पीड़िता के नाम और उसके घर का पता छाप कर पीत पत्रकारिता की नयी मिसाल कायम की?

अक्सर हम न्यूज़ चैनलों पर सनसनी और पत्रकारिता के बुनियादी सिद्धांतों को तोड़ने का आरोप लगाते हैं लेकिन प्रिंट मीडिया भी इस मामले में पीछे नहीं और कई बार तो वह न्यूज़ चैनलों से भी आगे निकल जाता है. इसी ग्रुप की पत्रिका इंडिया टुडे के सेक्स सर्वे के कवर पेज को हम पहले देख चुके हैं.

न्यूज़ चैनलों में तो टीआरपी और ब्रेकिंग न्यूज़ की हड़बड़ी में कई बार ऐसी गलतियां हो जाती है, लेकिन अखबारों को क्या हड़बड़ी?

न्यूज़24 के मैनेजिंग एडिटर अजीत अंजुम ने भी अपने एफबी वॉल पर इस संदर्भ में टिप्पणी करते हुए लिखा है कि, ‘मुझे हैरत है कि मेल टुडे जैसे अख़बार ने आज रेप पीड़ित लड़की का असली नाम और घर की तस्वीर कैसे छाप दी है. इंडिया टुडे समूह के अखबार मेल टुडे के संपादक को क्या ये नहीं पता कि रेप पीड़ित की पहचान जाहिर करना अपराध है. इस गैरजिम्मेदाराना हरकत के लिए अखबार को माफी मांगनी चाहिेए.

न्यूज़ चैनलों पर नए साल का जश्न नहीं

aajtak no celebrationन्यूज़ चैनल दर्शकों की नब्ज समझते हैं और उस नब्ज को समझते हुए उसपर अमल भी करते हैं.

दिल्ली में हुए सामुहिक दुष्कर्म मामले में अनाम लड़की की मौत से संवेदना की ऐसी लहर चली कि उसमें नए साल का जश्न भी फीका पड़ गया.

उम्मीद थी कि नए साल का जश्न न्यूज़ चैनलों पर भी नहीं दिखेगा. यह एक तरह से न्यूज़ चैनलों के लिए एसिड टेस्ट था और इस टेस्ट में वे पास होते दिख रहे हैं.

किसी भी न्यूज़ चैनल पर अबतक जश्न नहीं. 12 बजे के पहले आजतक पर चल रहा था – जश्न नहीं जज्बात की रात. इंडिया टीवी नए साल की जश्न की मनाही कर रहा था.

आईबीएन-7 पर दुष्कर्म से संबंधित परिचर्चा चल रही थी. खबरों के दृष्टिकोण से न्यूज़ चैनलों का नए साल में नया कदम.

बेबस बाला, बर्बर बलात्कार और देश के दर्द की दास्तान

मुंबई। खेत रोए, खलिहान रोए। पेड़ रोए, पखेरू रोए। हर आंख में आंसू और हर दिल में दर्द का दावानल। पूरा देश आहत। हर मन मर्माहत। सबसे बड़ी नेता सोनिया गांधी सोई नहीं। तो, मजबूर होकर मनमोहन सिंह भी एयरपोर्ट भागे। एक विशेष विमान में सिंगापुर से उस युवती की लाश शनिवार की रात यानी रविवार को तड़के भारत आई। तो, उसको लेने दोनों दिल्ली के हवाई अड्डे पर हाजिर थे। पहले ऐसा कभी नहीं हुआ। पहली बार हुआ। जब उसे इलाज के लिए सिंगापुर ले जाया गया था, तो वह जिंदा थी। पर, लौटी तो लाश। सदा के लिए सो गई, पर पूरे देश को जगा गई। सारा देश दुखी। जया बच्चन जार जार रोईं। तारा भंडारी तार तार दिखीं। शबाना आजमी सुबक कर रोईं। गिरिजा व्यास गमगीन। और स्मृति इरानी सन्न हैं।

दिल्ली सामूहिक बलात्कार मामले में मेल टुडे के खिलाफ मामला दर्ज

नयी दिल्ली, 31 दिसम्बर. दिल्ली पुलिस ने मेल टुडे के खिलाफ दर्ज किया जिसमें आरोप है कि समाचार पत्र ने राजधानी दिल्ली में सामूहिक बलात्कार पीड़ित उस 23 वर्षीय पैरा-मेडिकल के बारे में ऐसी जानकारी छापी जिससे उसकी पहचान उजागर हो सकती है। पीडिता की दो दिन पहले मौत हो गई थी।

भारतीय दंड संहिता की धारा 228 ए के तहत मामला वसंत विहार पुलिस थाने में दर्ज किया गया है।

सूत्रों ने बताया कि समाचार पत्र के संपादक, प्रकाशक, मुद्रक, दो संवाददाताओं और संबंधित छायाकारों के खिलाफ मामला दर्ज किया गया है। इस अपराध के लिए जुर्माने के अलावा दो वर्ष तक की सजा हो सकती है।

आईएनएस की खबर :

New Delhi: Delhi Police Monday registered a criminal case against five people, including the publisher and editor of English tabloid Mail Today, for disclosing the identity of the Delhi gang-rape victim, an official said.The others named are the printer, a reporter and a photographer.

According to Delhi Police spokesperson Rajan Bhagat, the tabloid, owned by the Living Media Group that also publishes the well-known India Today weekly, carried the victim’s name, photographs of her brother and her southwest Delhi house in Mahavir Enclave.

“We have registered a case under Section 228(A) of the IPC (Indian Penal Code),” Bhagat told IANS. Section 228(A) bars disclosing the identity of the victim of certain offences, including rape. Being a cognizable offence, it attracts two years imprisonment. The case has been registered at the Vasant Vihar police station in south Delhi.

Mail Today Editor Sandeep Bamzai told IANS that he does not know about the police case. “I don’t know anything about the case. I have not received any police complaint,” Bamzai said.

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