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मात्र 100 लीटर पानी प्रतिदिन में जिन्दा रहने को विवश हैं विस्थापित परिवार

मंदिर निर्माण और गौ रक्षा की दुहाई देने वाली मध्य प्रदेश की भगवा सरकार का असल चेहरा विस्थापितों की बस्ती में दिखता है जो भारत के नये मन्दिरों के बतौर प्रतिष्ठित औद्योगिक केन्द्रों की स्थापना के मार्फत उजाड़े गये हंै। खेतिहरों को उजाड़कर मवेशियों को भुखे मरने के लिए मजबुर करना और उनके पुजा स्थलों पर बुलडोजर चलाना यह साबित करता है कि बिरला अम्बानी की चाटुकारिता में लगी इस भगवा सरकार का मुल चेहरा स्याह है।

इस बीच, यात्रा को रोकने की हरसंभव कोशिश करने वाली पुलिस को बड़ा झटका लगा जब संजय नामदेव को विधिक सहायता देने में लगी टीम को संजय को जेल से निकलने में सफलता मिल गयी। जेल से निकलते ही कामरेड संजय सीधे मझगवा पहुंचे और यात्रा में शामिल हो गये।

दीपक चौरसिया के फेसवैल्यू और पुण्य प्रसून की साख से चमकेगा इंडिया न्यूज़ का कबाड़खाना

इंडिया न्यूज़ कई सालों से न्यूज़ इंडस्ट्री में हैं. लेकिन उसकी पहचान अंगूठा छाप चैनल की ही अबतक बनी हुई है. कई लोग आये गए लेकिन वहां कुछ नहीं बदला.

न्यूज़ चैनल की हैसियत यही है कि न्यूज़ इंडस्ट्री में कई साल से रहते हुए भी अपने दफ्तर की तरह यह न्यूज़ इंडस्ट्री से बाहर है. चैनल के पास न धार हैं , न रफ़्तार और न कोई पहचान.

सो इसके पास कोई पत्रकार भी कायदे का नहीं. न चैनल का कोई स्टैंड हैं और न अबतक कोई ऐसी स्टोरी आयी है जिससे तहलका मच गया हो.

इसलिए इस चैनल की हालत कबाड़ख़ाने की तरह हैं जहाँ कबाड़ की जगह खबरों को ही कबाड़ की तरह ट्रीट किया जाता है. यही वजह है कि चैनल सबसे निचले पायदान पर है. फिर चैनल लाने के ईरादे में भी खोट था, सो ऐसा होना ही था.

इंडिया न्यूज़ के अग्निपथ पर दीपक चौरसिया !

deepak chaurasia tv news anchor

पैसा देने की कूबत हो तो बड़ी – से –बड़ी मीडिया हस्ती आपकी मुठ्ठी में होंगे. कातिल मनु शर्मा के परिवार का चैनल इंडिया न्यूज़ ने ऐसा बार – बार करके दिखाया है.

एम.जे अकबर समेत मीडिया जगत की कई नामचीन हस्तियाँ इंडिया न्यूज़ के दरवाजे पर ड्यूटी बजा चुके हैं. ख़ैर नौकरीपेशा आदमी को नौकरी चाहिए, जहाँ बेहतर विकल्प मिलेगा जायेंगे.

इसी कड़ी में अब नया नाम दीपक चौरसिया का जुड हो गया. उन्होंने एबीपी न्यूज़ से इस्तीफा देकर इंडिया न्यूज़ का दामन थामने का एलान कर दिया है.

अंग्रेजी वेबसाईट एक्सचेंज फॉर मीडिया से बातचीत में दीपक चौरसिया ने खबर की पुष्टि करते हुए कहा कि उन्होंने एबीपी न्यूज़ से इस्तीफा दे दिया है और दो हफ्ते बाद इंडिया न्यूज़ ज्वाइन कर लेंगे.

लेकिन दीपक चौरसिया यहाँ सिर्फ संपादक या ऐसे ही किसी बड़े पद पर नहीं जा रहे , बल्कि उनकी हैसियत मालिक की भी होगी. सूत्रों के मुताबिक़ चैनल में उनकी हिस्सेदारी भी होगी.

मतलब साफ़ है कि चैनल की रुपरेखा को संवारने का ज़िम्मा भी दीपक का ही होगा. इस लिहाज से उनके लिए यह ज़िम्मेदारी किसी अग्निपथ पर चलने से कम नहीं होगा. क्योंकि चैनल की वर्तमान हालत कोई खास अच्छी नहीं और दर्शकों के बीच भी कोई पहचान नहीं. ऐसे में दीपक के सामने मुश्किलें बड़ी होगी.

लेकिन दीपक उस्तादों के उस्ताद हैं . दूरदर्शन में वे एक बार ये कमाल वे कर चुके हैं जब दूरदर्शन का संसाधनों का सही तरीके से इस्तेमाल करके उन्होंने प्राइवेट चैनलों में हडकंप मचा दिया.

( देर से मगर दमदार )

एबीपी न्यूज़ कहाँ तुम चले गए थे !

सामूहिक दुष्कर्म की पीड़िता की मौत के मातम में लोगों ने नए साल का जश्न नहीं मनाया. न्यूज़ चैनलों ने मातम को जश्न में तब्दील नहीं होने दिया और जश्न से टीवी स्क्रीन को दूर रखा.

वर्ष 2013 के आगमन पर जश्न की रंगीनियाँ और पटाखों के शोर की बजाये न्यूज़ चैनलों पर मोबत्तियां और इन्साफ की पुकार की आवाज़ देखी – सुनी गयी.

चैनलों पर स्लो पेश से ख़बरें चली. गंभीरता बनी रही और दुष्कर्म के विविध पहलुओं पर चर्चाएँ भी चलती रही.

लेकिन साल खत्म हो रहा था और पूरे साल का एक राउंडअप भी दिखाना जरूरी था. एनडीटीवी इंडिया ने फ़िल्मी दुनिया की खबर दिखाई तो एबीपी न्यूज़ ने एक नायाब तरीका निकाला. उसने एक कार्यक्रम बनाया, ‘कहाँ तुम चले गए’.

‘कहाँ तुम चले गए’ में उन हस्तियों के बारे में बताया जा रहा है जिनका पिछले साल निधन हो गया. उनका प्रोफाइल भी बताया गया. बेहद उम्दा तरीके से चीजों को दिखाया गया.

इच्छाशक्ति हो तो रास्ते निकल ही आते हैं. एबीपी न्यूज़ का यह कार्यक्रम इसका बेहतरीन नमूना है. कार्यक्रम देखकर कहने को यही जी में आया कि एबीपी न्यूज़ कहाँ तुम चले गए थे ? एबीपी न्यूज़ के संपादक शाजी ज़मा को बधाई.

आजतक की पत्रकारिता बनाम मेल टुडे की पीत पत्रकारिता

aajtak no celebrationदिल्ली में हुए सामूहिक दुष्कर्म और उस अनामी लड़की की मौत के बाद देश भर में शोक, संवेदना के साथ – साथ आक्रोश की लहर फैल गयी है. यहाँ तक कि लोगों ने नए साल का जश्न भी नहीं मनाया और रातभर कैंडल मार्च और नुक्कड़ नाटक के माध्यम से ऐसे मामलातों के खिलाफ अपना विरोध दर्ज कराते रहे.

न्यूज़ चैनलों पर लगातार ये खबरें चलती रही और इंडिया टुडे ग्रुप के चैनल आजतक ने साफ़ तौर पर लिखा कि जश्न नहीं जज्बात की रात. वाकई में ये जज्बात की रात थी और आने वाली कई और रातें जज्बात की रात रहेगी. दूसरे चैनल भी ऐसा ही करते और कहते नज़र आये.किसी चैनल पर कोई जश्न नहीं.न्यूज़ चैनलों पर पिछले 15 दिनों से उसी अनामी लड़की को लेकर खबरें चल रही है. इस दौरान कुछ –कुछ तमाशे भी हुए, आलोचना भी हुई. लेकिन इस सबके दरम्यान चैनलों ने एक काबिलेतारीफ काम किया कि उस लड़की या उसके परिवार की कोई भी पहचान टीवी स्क्रीन के माध्यम से जाहिर नहीं की.

आजतक जो इस खबर को लीड कर रहा था उसने भी नहीं जाहिर किया और न किसी और चैनल ने. यहाँ तक कि मनोहर कहानियां माना जाने वाला इंडिया टीवी ने भी इस नैतिकता का पालन किया और उसका काल्पनिक नाम दामिनी रख दिया. उसकी मौत के बाद भी ये सिलसिला जारी रहा.

लेकिन न्यूज़ चैनलों ने जो काम नहीं किया, संयम रखा, वह काम अंग्रेजी अखबार मेल टुडे ने कर दिया. पत्रकारिता की नैतिकता को धत्ता बताते हुए, मेल टुडे ने अपने संस्करण में सामूहिक दुष्कर्म की पीड़ित लड़की का नाम और घर की असली तस्वीर छाप दी और उस परिवार की निजता को तार – तार कर पीत पत्रकारिता का नमूना पेश किया.

दिल्ली पुलिस ने केस भी दर्ज कर लिया है. लेकिन सवाल उठता है कि एक ही ग्रुप के न्यूज़ चैनल और अखबार में अलग – अलग तरह की मानसिकता क्यों?

आजतक ने एक ओर जहाँ इस मामले में पत्रकारिता के बुनियादी सिद्धांतों का पालन किया तो दूसरी तरफ उसी इंडिया टुडे ग्रुप के अखबार मेल टुडे ने पीड़िता के नाम और उसके घर का पता छाप कर पीत पत्रकारिता की नयी मिसाल कायम की?

अक्सर हम न्यूज़ चैनलों पर सनसनी और पत्रकारिता के बुनियादी सिद्धांतों को तोड़ने का आरोप लगाते हैं लेकिन प्रिंट मीडिया भी इस मामले में पीछे नहीं और कई बार तो वह न्यूज़ चैनलों से भी आगे निकल जाता है. इसी ग्रुप की पत्रिका इंडिया टुडे के सेक्स सर्वे के कवर पेज को हम पहले देख चुके हैं.

न्यूज़ चैनलों में तो टीआरपी और ब्रेकिंग न्यूज़ की हड़बड़ी में कई बार ऐसी गलतियां हो जाती है, लेकिन अखबारों को क्या हड़बड़ी?

न्यूज़24 के मैनेजिंग एडिटर अजीत अंजुम ने भी अपने एफबी वॉल पर इस संदर्भ में टिप्पणी करते हुए लिखा है कि, ‘मुझे हैरत है कि मेल टुडे जैसे अख़बार ने आज रेप पीड़ित लड़की का असली नाम और घर की तस्वीर कैसे छाप दी है. इंडिया टुडे समूह के अखबार मेल टुडे के संपादक को क्या ये नहीं पता कि रेप पीड़ित की पहचान जाहिर करना अपराध है. इस गैरजिम्मेदाराना हरकत के लिए अखबार को माफी मांगनी चाहिेए.

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