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देवघर प्रभात खबर में पलायन का दौर जारी, पैरवी पुत्रों की पौ बारह

प्रभात खबर के देवघर संस्करण में इन दिनों भगदर सी स्थिति है. अभी तक पांच पत्रकारों ने यहाँ से इस्तीफा दे दिया है. ये सभी अपने क्षेत्र के मंझे हुए पत्रकार थे. यूं कह ले देवघर संस्करण की ये रीढ़ की हड्डी थे.

देवघर संस्करण को बाय – बाय कहनेवालो में उप संपादक परासर प्रभात, वरुण राय और वरीय उप संपादक सुमन झा शामिल हैं. जबकि कुछ दिन पूर्व छोड़ जाने वालो में वरीय उप संपादक राकेश कुमार सिंह, संवाददाता राकेश पुरोहितवार शामिल है. इनमें से अधिकांश ने हिंदुस्तान अखबार का दामन थाम लिया है जबकि सुमन झा ने दैनिक जागरण मेरठ में अपनी नयी पारी की शुरुआत की है.

अखबार के देवघर संस्करण के भीतरखाने से जो जानकारी बाहर आ रही है. सूत्र बताते है कि यहाँ की कार्य प्रणाली समर्पित पत्रकारों के अनुकूल नहीं रह गयी है. यहाँ तक पता चल रहा है कि कई और बहुत जल्द ही देवघर संस्करण से अपना नाता तोड़ने की तैयारी में हैं.

दिलचस्प यह है कि अन्य प्रतिद्वंदी अखबार का प्रबंधन यहाँ के असंतुष्ट पत्रकारों से लगातार संपर्क बनाये हुए है. लेकिन प्रभात खबर का प्रबंधन इस ओर उदासीन रवैया अपनाये हुए है.

रंगकर्मी विनीत पर फॉरवर्ड प्रेस के पत्रकार को धमकाने का आरोप

फॉरवर्ड प्रेस ,नई दिल्ली ,15जनवरी .नेशनल स्कूल ऑॅफ ड्रामा, नई दिल्ली में 14 जनवरी को अवसर था रंगकर्म की एक त्रैमासिक पत्रिका के विमोचन का। समारोह में मौजूद थे अरविंद गौड़, पत्रिका के संपादक राजेश चंद, मोहल्ला लाइव के संस्थापक अविनाश दास, रंगकर्मी विनीत और वंदना।

शाम के करीब छह बजे विमोचन समारोह विचार समारोह में बदल गया और फिर विचार समारोह आपसी झगड़े में तब्दील हो गया। वंदना ने अरविंद गौड़ के विरूद्ध जैसे ही बोलने की कोशिश की रंगकर्मी विनीत ने वंदना को पहले तो धक्का देने की कोशिश की और फिर बात को दबाने की कोशिश करने लगे।

विनीत यहां पर भी नहीं रूके और फॉरवर्ड प्रेस के प्रतिनिधि जितेन्द्र कुमार ज्योति को धमकाते हुए कहा कि आपको कौन यहां आने बोला, अपने कैमरे को बंद कर। आपसे बाहर में हम बात करेंगे ,देख लेंगे ।

आखिर क्या था वह मुददा जो वंदना सबके सामने कहना चाह रही थी और विनीत इसे रोकने की कोशिश कर रहे थे ? इस मामले पर हमने अरविंद गौड़ से दूरभाष से संपर्क करके सच्चाई जानने की कोशिश की तो उन्होंने कहा कि यह कोई मामला नहीं है और इसे तूल देने की कोशिश न करे।

राणाजी माफ करियो,बाजा बजाकर राजा बन गए

rana yasvanat

मीडिया की दुनिया तेजी से बदल रही है. नैतिकता तो दूर, बात की भी कोई वैल्यू नहीं रही. अब देखिए कैसे महुआ ग्रुप के ग्रुप एडिटर राणा यशवंत इंडिया न्यूज़ के ग्रुप मैनेजिंग एडिटर बन गए.

कुछ महीनों पहले ही जब महुआ न्यूज़ के पत्रकार आंदोलनरत थे तब बड़ी – बड़ी बातें की थी. पत्रकारों के हितचिन्तक बने फिर रहे थे और सरोकारी होने का दावा करते हुए पत्रकारों का साथ न छोड़ने के लिए कृतसंकल्प नज़र आये.

लेकिन मौका मिलते ही एक ऐसी जगह रफ्फूचक्कर हुए, जिसका कभी बाजा बजाया था और अब वहीं के राजा बन बैठे.

प्रभात खबर ने महात्मा गांधी को राष्ट्रपति बनाया !

संवाददाता की कम जानकारी, संपादक का अनदेखापन, पेज इंचार्ज की गैर जिम्मेवारी या फिर यह सभी कुछ?

12 जनवरी के प्रभात खबर, पटना में शहर में महात्मा गांधी की प्रमिता अनावरण को लेकर एक खबर छपी। इसकी पहली पंक्ति देखिए- ‘‘26 जनवरी को गांधी मैदान में चर्चित राष्ट्रपति महात्मा गांधी की भव्य प्रतिमा का अनावरण किया जाना है ……’’ इन पंक्तियों में इस तरह से गलत टाइपिंग या छपाई की गुंजाइश भी नजर नहीं आती, जो कि राष्ट्रपिता से चर्चित राष्ट्रपति हो जाए। इस रिपोर्ट में यों तो गलतियां और भी हैं, पर अभी बात सिर्फ तथ्यपरक गलतियों की। यह अखबार के खास पेज- प्रभात खबर लाइफ@पटना की उस दिन की प्रमुख खबर थी। अन्य अखबारों में खबरों में भी कई बार गलतियां देखने को मिलती हैं। इन दिनों अक्सर ही अखबार पढ़ते हुए ऐसा देखने को मिलता है। जबकि एक खबर, लिखे जाने से लेकर छप जाने तक कई नजरों से होकर गुजरता है।

गीताश्री बनी ‘बिंदिया’ की प्रधान संपादक, आउटलुक से नाता टूटा

geeta shree आउटलुक से इस्तीफा देकर ‘गीताश्री’ ने पर्ल ग्रुप के चैनल ‘बिंदिया’ का दामन थाम लिया है. बिंदिया में उनकी नियुक्ति प्रधान संपादक के पद पर हुई है.

आउटलुक हिंदी में वे असिस्टेंट एडिटर के तौर पर काम कर रही थी. लंबे अरसे से वे आउटलुक से जुड़ी हुई थी. आउटलुक के अलावा उन्होंने वेबदुनिया डॉट कॉम के साथ भी पूर्व में काम किया.

बिंदिया महिलाओं पर केंद्रित पत्रिका है और पर्ल ग्रुप प्रकाशित करती है. अबतक शुभ किरण इसका काम संभाल रही थी. लेकिन गीताश्री के आने के बाद उन्हें कार्यकारी संपादक के पद से ही संतुष्ट होना पड़ेगा.

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