अभिषेक श्रीवास्तव
मैंने एक बार बनारस की पत्रकारिता में बतकही की भूमिका पर एक किस्सा एक लेख में लिखा था कि कैसे अस्सी चौराहे पर औसत से लंबे एक व्यक्ति को एक शाम अचानक देखकर उसके बारे में लोगों ने बतकही शुरू की और बात यहां तक पहुंची कि अगले दिन के अखबारों ने शहर में सीबीआइ के संभावित छापे की खबर प्रकाशित कर डाली। दरअसल, उस अनजान लंबे व्यक्ति को लोगों ने सीबीआइ/आइबी/सीआइडी आदि का मान लिया, फिर इस तथ्य को घंटे भर में स्थापित किया और दो-चार पत्रकारों की सहज बुद्धि ने शहर में छापा पड़ने का अंदाज़ा लगा डाला। आइए, इस कहानी का एक ताज़ा संस्करण देखें।
हमारे प्रधानजी कल जिस गांव को गोद लेने जा रहे हैं, बनारस के रोहनियां स्थित उस जयापुर पर अकबर ने हमला किया था या औरंगज़ेब ने, इसकी पहेली अब सुलझ गई है। दरअसल, न्यूज़ 24 के संवाददाता उस गांव में गए थे। सूत्रों के मुताबिक उन्हें एक गांववाले ने बाइट में बताया, ”इहां बाबर क हमला भयल रहे। मार के भगा देवल गयल ओके।” जब संवाददाता ने और विवरण पूछा तो गांववाले ने कहा, ”कलिहां जागरण वाले आयल रहलन। उनके बतवले रहली कि इहां अकबर क फौज आयल रहल। अइसहीं राजा क नाम बदल-बदल के सबके बतावत हई।” इस तरह से दो दिनों के भीतर बनारस के लोगों ने बाबर से लेकर औरंगज़ेब तक सबका हमला जयापुर पर करवा दिया।
आज का पाठ समाप्त। धन्यवाद।
(स्रोत-एफबी)