न्यूज़ चैनल दर्शकों की नब्ज समझते हैं और उस नब्ज को समझते हुए उसपर अमल भी करते हैं.
दिल्ली में हुए सामुहिक दुष्कर्म मामले में अनाम लड़की की मौत से संवेदना की ऐसी लहर चली कि उसमें नए साल का जश्न भी फीका पड़ गया.
उम्मीद थी कि नए साल का जश्न न्यूज़ चैनलों पर भी नहीं दिखेगा. यह एक तरह से न्यूज़ चैनलों के लिए एसिड टेस्ट था और इस टेस्ट में वे पास होते दिख रहे हैं.
किसी भी न्यूज़ चैनल पर अबतक जश्न नहीं. 12 बजे के पहले आजतक पर चल रहा था – जश्न नहीं जज्बात की रात. इंडिया टीवी नए साल की जश्न की मनाही कर रहा था.
आईबीएन-7 पर दुष्कर्म से संबंधित परिचर्चा चल रही थी. खबरों के दृष्टिकोण से न्यूज़ चैनलों का नए साल में नया कदम.
उम्मीद है कि नए साल में भी यही संयम कायम रहेगा लेकिन 12 बजते ही बचते – बचाते भी एबीपी न्यूज़ ने गेटवे ऑफ इंडिया, मुंबई में जश्न मना रहे लोग और छोड़े जाने वाले पटाखों को दिखा ही दिया. लेकिन फिर तुरंत संवेदना की खबर पर वापस आ गया.
एनडीटीवी इंडिया फिल्म से संबंधित कार्यक्रम दिखाता रहा. लेकिन आजतक जज्बा नहीं जज्बात पर टिका रहा. सबसे खराब शुरुआत न्यूज़24 की रही. वहां पर वीना मल्लिक के नेतृत्व में पावर प्राश की महफ़िल सजी थी.