जदयू प्रत्याशी के उम्र संबंधी गलत शपथ पत्र को नालंदा के पत्रकारों ने नहीं छापा

JDU candidate Hari Narayan Singh's wrong age affidavit

बिहारशरीफ। बिहार के पूर्व शिक्षा मंत्री एवं हरनौत विधानसभा क्षेत्र से जदयू प्रत्याशी हरि नारायण सिंह के उम्र संबंधी गलत शपथ पत्र मामले में यहां के पत्रकारों ने निष्पक्ष पत्रकारिता नहीं की। जदयू प्रत्याशी ने 2015 के चुनाव में अपनी उम्र 75 वर्ष बताई थी। परंतु , 2020 में जो शपथ भरा गया है उसमें उन्होंने अपनी उम्र 73 साल बतायी है।

इस संबंधी खबरें सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हुई। परंतु, नालंदा का मीडियाकर्मीयों ने इस समाचार को अपने अखबारों में जगह नही दी। कई लोगों का कहना है कि प्रत्याशी द्वारा खबरें नहीं छापने के एवज में मोटी रकम दी गयी है जबकि गलत हलफनामे के कारण इनकी सदस्यता , चुनाव जीतने के बाद भी समाप्त हो सकती हैं । आखिर 5 साल उम्र बढ़नी चाहिए थी। परंतु, दो साल उम्र कम हो गयी।

2010 के नए परिसीमन में हरनौत विधानसभा क्षेत्र का भूगोल बदल गया है ।पहले हरनौत और रहुई प्रखंड को मिलाकर हरनौत विधानसभा क्षेत्र था।नए परिसीमन में हरनौत और रहुई को अलग कर बिहारशरीफ विधानसभा क्षेत्र में मिला दिया गया और चंडी विधानसभा क्षेत्र को विलोपित कर चंडी और नगरनौसा प्रखंड को हरनौत में शामिल कर लिया गया। भौगोलिक क्षेत्र बदलने के साथ-साथ हरनौत का सामाजिक समीकरण भी बदल गया।

1952 से ही चंडी विधानसभा क्षेत्र था। 1977 में हरनौत विधानसभा क्षेत्र का गठन किया गया था ।2014 में चंडी विधानसभा क्षेत्र का विलोपन चंडी के मतदाताओं के सम्मान पर भारी आधार माना जा रहा है और यह सब करनी है मुख्यमंत्री नीतीश कुमार तथा आठवी वार विधायक रहे हरिनारायण सिंह का। हरनौत के जदयू विधायक हरिनारायण सिंह की वास्तविक आयु 80 के पार है ।2015 के विधानसभा चुनाव में उन्होंने नामांकन में अपनी उम्र 75 वर्ष लिखा था और इस बार 2020 में इन्होंने नामजद के पर्चे में अपनी आयु 73वर्ष लिखा है ।यह भी अपने-अपने अहम सवाल है।
2010 के विधानसभा चुनाव में विधायक हरिनारायण सिंह ने अपने बेटा अनिल कुमार की टिकट के लिए जदयू सुप्रीमों नीतीश कुमार से गुहार की थी। पर नीतीश ने साफ मना कर दिया था और कहा था कि हरिनारायण बाबू आपको खुद से लड़ना है तो लड़िये।

जदयू के अंदर सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार इस बार भी अपने बेटा के टिकट के लिए पैरवी की थी लोग कहां बताते हैं कि बेटा के टिकट पक्की करने के लिए उन्होंने पार्टी फंड  में तीन करोड़ रुपया भी जमा करवाया पर बात फिर भी बात नहीं बनी और अंत में नीतीश ने उन्हें एक बार फिर से प्रत्याशी बना दिया।

दूसरे शब्दों में कहा जाए तो इस बार हरिनारायण बाबू को पार्टी फंड में जमा किए गए तीन करोड़ के बदले में जदयू का टिकट दिया गया है। हरनौत की उम्मीदवारी को लेकर उपयोग तत्वों की गहन जांच पड़ताल करने पर ही पुष्टि हो सकती है। पर इतना तो तय है कि जब कहीं धुआं उठता दिखाई पड़े तो तय है कि वहां पर आग लगी हुई होगी। जदयू के शीर्ष इन बातों की पुष्टि नहीं कर रहे हैं। पर हरनौत विधानसभा क्षेत्र में यह चर्चा का विषय बना हुआ है।

पार्टी के अंदरूनी सूत्रों का दावा है कि 2010 के विधानसभा चुनाव में नीतीश ने हरिनारायण सिंह को यह कहकर उम्मीदवार बनाया था कि यह उनके लिए अंतिम मौका है तो इस बार फिर हरिनारायण जी को टिकट दिए जाने के पीछे पार्टी फंड में जमा की गई राशि का ही हाथ होने की पूरी की संभावना है । यह इंगित करता है कि जनता दल यू में टिकटों के पीछे थैली का खेल शुरू हो गया! और इस खेल में कहीं न कही स्थानीय मीडिया भी जरुर शामिल है, वर्ना उम्र संबंधी इतनी बड़ी खबर नहीं छुपती।

नालंदा से संजय कुमार की रिपोर्ट

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