बिहारशरीफ। नालंदा में तथाकथित डमी मीडिया चैनल वाले पत्रकारों की प्रतिष्ठा गिरा रहे हैं : नालंदा जिला मुख्यालय बिहारशरीफ में इन दिनों अवैध चैनल की भरमार हो गई है। इनके घटियापन की झलक विधानसभा चुनाव में नामांकन के समय देखने को मिल रही है। जैसे ही प्रत्याशी नामांकन कर बाहर निकलते हैं अवैध चैनल वाले माइक वाला लोगो लेकर दौड़ पड़ते हैं जिससे प्रिंट मीडिया एवं रजिस्टर्ड चैनल के पत्रकारों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ता है ।
बिहार में विधानसभा चुनाव चल रहा है। नालंदा में भी द्वितीय चरण के अंतर्गत 3 नवंबर को मतदान होना है। इन दिनों विभिन्न दलों के प्रत्याशी नामांकन के लिए बिहारशरीफ विभिन्न विधानसभा के रिटर्निग अफसर के यहां जा रहे हैं ।
जब नामांकन के बाद प्रत्याशी बाहर निकलते हैं, तो अवैध चैनल वाले लोग उन पर टूट पड़ते हैं ।अपना- अपना नाम वाला लोगो प्रत्याशी के मुंह पर सटा देते हैं जिससे प्रिंट मीडिया के पत्रकारों को अपने अखबार के लिए एक फोटो ले पाना भी मुश्किल हो जाता है। प्रिंट मीडिया के साथ-साथ रजिस्टर्ड चैनल वाले पत्रकारों को कवरेज करने में बहुत मुश्किल हो जाता है।
अवैध चैनल वाले ही प्रत्याशी के इंटरव्यू के बाद खर्चा पानी मांगने चले जाते हैं। प्रत्याशी रुपया दे भी देता है, यह कह कर कि सब लोग बांट लीजिएगा। अवैध चैनल वाले प्रत्याशी से रुपया ले लेते हैं और गिरोह के लोग आपस में बांट लेते हैं। प्रत्याशी कहता है कि मीडिया को इतना पैसा दिया। प्रत्याशी तो पूरे पूरे मीडिया जगत के बारे में अपना राय बना लेता है कि सब बिकाऊ है ।अवैध चैनल वाले रुपए वसूल रहा है । पूरे अखबार जगत माले लोगों की बदनामी हो रही है।
जानकार यह कहते हैं कि जो प्रशासन को इन पर लगाम लगाना चाहिए। वहीं प्रशासन अपने गुणगान करवाने के लिए इन्हें बजात्ता जनसंपर्क विभाग द्वारा सरकारी कार्यक्रमों सें संबंधित समाचार हेतु व्हाट्सएप ग्रुप में नाम जोड़ देती है। कहा तो यहां तक जाता है कि इन लोगों को चुनाव आयोग द्वारा पास तक भी उपलब्ध करवाई जाती है। आखिर इन काली कमाई वाले अवैध चैनलों के खिलाफ कार्रवाई कौन करेगा?
(नालंदा से संजय कुमार की रिपोर्ट)