माननीय प्रधानमंत्री ने संपूर्ण लॉकडाउन से पहले देश के शीर्ष डॉक्टर्स, आईसीएमआर के अधिकारियों, मंत्रियों, मीडिया मुगलों से चर्चा कर ली थी, लेकिन काश लाखों मजदूरों के भविष्य के बारे में वह विचार कर लेते तो आज ये स्थिति नहीं बनती। लाखों की संख्या में नौकर-मजदूर वर्ग अपने गांवों की ओर पलायन कर रहा है। बिना किसी सुरक्षा, सुविधा और सावधानी के कस्बों-गांवों में पहुंचते इन लाखों लोगों में अगर किसी को भी वायरस हुआ, तो कल्पना करना मुश्किल होगा कि सुदूर गांवों में क्या हालत बनेगी। हम और आप अपने-अपने घर में आने वाले छह महीनों का राशन भरे बैठे हैं, लेकिन जिसके पास अगले तीन दिन खाने का इंतजाम नहीं उसकी भी प्रधानमंत्री सोच लेते तो बड़ी मेहरबानी होती। ईश्वर न करे कि महामारी गांव-कस्बों में दस्तक दे, लेकिन अगर ऐसा हो गया तो इसके जिम्मेदार देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी होंगे।
1. लॉकडाउन ही उपाय था। मोदी ने लॉकडाउन करके क्या गलत किया?
– बिल्कुल सही और जरूरी कदम है लॉकडाउन। पर क्या प्रधानमंत्री जी को नहीं मालूम था कि वह लॉकडाउन करने वाले हैं। क्या उन्हें नहीं मालूम था कि लॉकडाउन के बाद क्या स्थिति बन सकती है?
2. देश को बचाने के लिए ठोस निर्णय लेने होते हैं, और इंतजार करते तो स्थिति बद से बदतर हो जाती।
– सही बात है, लेकिन जनवरी के आखिर में केरल में केस मिला, मार्च के पहले सप्ताह में देश में और भी मामले सामने आना शुरू हुए तब ठोस उपायों पर सोचना चाहिए था। तैयारी जैसी भी कोई चीज होती है, काश मोदी जी की टीम ने तैयारी की होती।
3. बीमारी की गंभीरता पहले समझ नहीं आती। ऐसे में क्या उपाय था?
– कोरोना टेस्ट किट बनाने वाली निजी एजेंसियों ने दो महीने पहले से किट पर काम शुरू कर दिया था। उन्हें मालूम था कि देश में गंभीर परिस्थितियां बनने वाली हैं। फिर क्या सरकार को इसकी जरा भी भनक नहीं थी?
4. मोदी जी ने ट्वीट करके लोगों से मार्मिक अपील की कि यात्रा न करें, गांवों की ओर न लौटें। भारत के लोग ही समझदार नहीं है, तो इसमें मोदी की क्या गलती है?
– मोदी जी देश के ही प्रधानमंत्री हैं, देश की नब्ज़ समझते हैं। उन्हें मालूम होना चाहिए था कि जब काम बंद हो जाएगा तो मजदूर कहां जाएगा, खाने के लिए नहीं होगा तो क्या करेगा। जाने का साधन नहीं होगा, तो पैदल जाएगा।
5. तो अब क्या उपाय है?
– उपाय है, अगर सरकार वाकई चाहे तो! जो जहां है..उसे नज़दीकी जिला मुख्यालय, हॉस्टल, रैन बसेरों, धर्मशालाओं….जहां जैसी सुविधा हो रोककर, क्वारेंटीन करके खाने-पीने की व्यवस्था की जाए। सुरक्षा-सावधानी से अपने-अपने घरों की ओर ले जाने की व्यवस्था की जाए। (रोमेश साहू के एफबी वॉल से साभार)