नीरज
: सवाल पूछने का अधिकार, आखिरकार खो दिया
लेकिन MMC का मामला जुदा होगा ! चाहे वो वामपंथ से पूंजीवाद के पहरुआ बने आशुतोष हों या विदेशी तासीर को अपने मुल्क देश में फैलाने के लिए राजदीप जैसे खुदगर्ज़ लोग….हर कोई सिर्फ एक लेसन सिखाएगा—How to murder mass communication ! वामपंथ के “समानता के अधिकार की अवधारणा” के उलट इस विश्व-विद्यालय में “रास्ते का रोड़ा” हटाने का हर गुण सिखाया जाएगा ! ये बेहद खतरनाक संकेत है….थोड़ा गहराई में जाएँ तो…शायद ये विश्व-विद्यालय, बागी बनाने की पौधशाला साबित हो सकता है , जो देश की सेहत के लिए ठीक नहीं होगा ! सारा काम पापी पेट के लिए होता है….चाहे वो आशुतोष व् राजदीप जैसों द्वारा किसी के पेट पर लात मार कर अपनी तिजोरी भरने का मामला हो या फिर निकाल दिए गए लोगों का रोष और प्रदर्शन ! ये पेट ही है, जो एक गरीब के सीने में ताक़तवर से भिड़ने का माद्दा देता है…ये मुआ पेट ही है जो लोगों को एक-जुट कर देता है ! ये पेट ही है जो इस पापी सवाल के चलते “पापियों” के साथ काम करने को मजबूर हैं ! अधिकार और पेट की जायज़ ज़रुरत में थोड़ा अंतर ज़रूर होता है मगर इतना भी नहीं कि दोनों को अलग कर देखा जाए ! हाँ ! पेट की नाजायज़ ज़रुरत अलग कतार में खडी होती है !
अब बात करते हैं पत्रकार प्रजाति और MMC और IIMC की ! काल्पनिक MMC का औपचारिक गठन भले ही अभी ना हुआ हो…मगर…देश में प्रत्यक्ष और परोक्ष रूप से इन दोनों संस्थाओं के प्रतिनिधी चौतरफा फैले हैं ! पत्रकारिता के पेशे में “जुगाड़” शब्द इस कदर लोकप्रिय हो चला है कि ४-५ साल के बाली तज़ुर्बे की बदौलत कई नए लोग इनपुट-आउटपुट हेड बनने में लगे हैं ! प्रिंट मीडिया में जहां १५-२० साल बाद कोई सीनियर कोरेस्पोंडेंट बनता है मगर जुगाड़ के बल पर न्यूज़-चैनल्स में कोई ८-१० साल में ही चैनल हेड हो जा रहा है तो कोई चैनल का लाइसेंस हासिल कर किसी वर्ग-विशेष, पार्टी-विशेष या व्यक्ति-विशेष की विचारधारा को प्रोत्साहित कर रहा है ! कई ऐसे चैनल के मालिक हैं….जो नोएडा-दिल्ली में आये तो चैनल चलाना तो दूर…खुद के खाने का इंतज़ाम भी बमुश्किल कर पाते थे ! किसी को कोई अम्बानी मिल गया तो किसी को बिरला तो किसी को कोई नेता …गाडी चल निकली ! आशुतोष और राजदीप जैसे मैनेजर भी धडाधड मिलने लगे ! मगर ज़मीनी स्तर के कर्मचारी ५-६ सालों बाद भी वही १०-१५ हज़ार की मासिक दिहाड़ी पर पत्रकार कहला कर खुश होते रहे ! हाँ ! इतना ज़रूर है कि.. पत्रकारिता करने के इस जज़्बे को मैं सलाम करता हूँ….क्योंकि कई ऐसे लोग मिले जिनको बिन-माँगी सलाह मैंने दिया..कि..यार, इस से तो अच्छा है कि किसी कॉल सेंटर में नौकरी कर लो…पर जवाब….”यही करना होता तो बरसों अपनी ज़िन्दगी क्यों खराब करता?
MMC के संभावित वाइस-चांसलर…आशुतोष और राजदीप जैसे दूसरे कई पत्रकारों को ये समझना होगा कि इस तरह के विष-विद्यालय को जन्म ना दें ! ये घातक चलन सिर्फ राजदीप और आशुतोष जैसों की देन नहीं है…बल्कि कई ऐसे “गुर्गे” हैं जो इसी राह पर चल निकले हैं ! पत्रकार बनने की चाह रखने वाले एक लड़के ने दीपक चौरसिया को अपना आदर्श प्रस्तुत करते हुए मुझ से पूछा कि…”सर, वो तो बड़े पत्रकार हैं ना?” मैंने पूछा…तुम्हे कैसे मालूम…उस ने मासूमियत से जवाब दिया कि…”उनका पैकेज तो करोड़ों में है ” ! यानी MMC का ये सिद्धांत आने वाले दिनों में और जोर पकड़ेगा ! बड़ा पत्रकार वो…जो येन-तेन-येन-प्रकारेण ज़्यादा पैसा पाए ! पर अम्बानी जैसों को ये नहीं पता कि २-३ लाख महीना सैलरी पा कर अपनी तिजोरी भरने वाले Murder of Mass Communication के ये प्रोफ़ेसर गिने चुने हैं , जिनको निकाल देने के बावजूद मात्र कुछ हज़ार रुपये पाने वाले सैकड़ों ऐसे पत्रकार हैं जिनके बल पर पत्रकारिता ज़िंदा रह सकती है ! न्यूज़-चैनल का बजट बिगाड़ने वाले ऊपर के पांच-दस आदमियों को निकालने की बजाय महज़ अपनी रोजी-रोटी चलाने वाले सैकड़ों लोगों को रुखसत कर देने वाला “इंसाफ़” ….बंद होना चाहिए ! वामपंथ मर भी जाए तो पेट के साथ-साथ जज़्बात ज़िंदा रहते हैं, ये बात बहुतों को तब तक समझ में नहीं आती जब तक “अन्ना-क्रान्ति” जैसा अगस्त का महीना ना आ जाए.
हालांकि ज़िम्मेदार तो वो भी हैं जो MMC के तो खिलाफ हैं…ये लोग, MMC के इन संभावित प्रोफेसरों को ही सेमीनार और फंक्शन में बतौर अतिथि और वक्ता बुलाते हैं ! ये लगभग वैसा ही वाक़या है …जैसे कोई न्यूज़ चैनल अपने यहाँ उन्हीं नेताओं को पत्रकारिता और ईमानदारी के पुरस्कार बांटने के लिए गेस्ट बनाकर बुलाता है, जिन नेताओं पर भ्रष्टाचार के छींटे हैं ! IIMC और MMC की दो नावों पर सवारी करने वाले बहुत हैं ! ऐसे में पूंजीवाद के तहत MMC की कल्पना को निरर्थक नहीं माना जा सकता है , वो भी तब जब बहुसंख्यक युवा-वर्ग अम्बानी जैसे चांसलर के विष-विद्यालयों के प्रोफेसरों को अपना आदर्श मान बैठा है !…MMC- Murder of Mass Communication- में आप का स्वागत है !
नीरज…..लीक से हटकर