गुजरात के मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी बुधवार को दिल्ली के श्रीराम कालेज ऑफ कामर्स में छात्रों के सामने व्याख्यान दे रहे थे। वहां उन्होंने उत्पाद के पैकेजिंग को जरूरी बताया और इस पैकेजिंग को मीडिया में उन्हें भविष्य का प्रधानमंत्री बताते हुए बढ़िया कवरेज भी दी गई। कह सकते हैं कि अब मोदी ने भी अपनी पैकेजिंग और बढ़िया कर ली है और गुजरात से बाहर निकल दिल्ली में स्वयं का बेहतर प्रस्तुतीकरण कर दिया है और इस काम में मीडिया उनका लगातार बखूबी साथ दे रहा है।
मीडिया लगातार उनकी पैकेजिंग को प्रस्तुत कर रहा है। खबरों में जहां उनके सोच-नजरिये की चर्चा की जाती है वहीं संवाददाता छात्रों से सीधा-सीधा यह सवाल करते हैं कि (आज की बात, एबीपी न्यूज, शाम सात बजे, 6 फरवरी 2013) आप गुजरात के मुख्यमंत्री को सुन रहे थे या भविष्य के प्रधानमंत्री को ? (यह नहीं कि क्या सुना-गुना?) यानी कि छात्रों के मुंह ये यह उगलवाने की कोशिश कि मोदी ही होंगे अगले पीएम।
पिछले कुछ दिनों, बल्कि महीनों से यही देखने में आ रहा है कि बार बार मीडिया अगला पीएम मोदी होंगे- की चर्चा कर रहा है। वह सवाल नहीं उठा रहा बल्कि जबाव दे रहा है, भविष्यवाणी कर रहा है। या कह सकते है कि मोदी को भविष्य का प्रधानमंत्री प्रोजेक्ट कर रहा है !
भविष्य के प्रधानमंत्री को लेकर मीडिया कई सर्वे कर रहा है। इसमें लोगों को भविष्य का प्रधानमंत्री के तौर पर अपने विकल्प बताने को नहीं कहा जाता, बल्कि उनसे नरेन्द्र मोदी और राहुल गांधी या नरेन्द्र मोदी और अन्य- जैसे दो विकल्प में से चुनने को कहा जा रहा है। और इस तरह के कमजोर सर्वे के नतीजे को दिखाकर मीडिया मोदी को जनता की पसंद बताते हुए उन्हें अगला पीएम घोषित कर दे रहा है।
आज मीडिया, खासकर खबरिया चैनल नरेन्द्र मोदी की बात करते हुए या उनसे संबंधित खबर दिखाते हुए बारबांर अगला प्रधानमंत्री, भविष्य का प्रधानमंत्री कह कर ही खबर दिखा रहे हैं। आखिर क्यों ? क्या मोदी होंगे देश के अगले प्रधानमंत्री इस सवाल को मीडिया ने ही उठाना शुरू किया और फिर इस बहस को बढ़ाते हुए इसे खबरों और चर्चा के माध्यम से जिंदा रखे हुए है। हालांकि चुनावों में अभी समय है, फिर भी ऐसा लगता है कि इन चैनलों के पास भावी प्रधानमंत्री के अलावा और कोई मुद्दा शेष नहीं है।
नरेन्द्र मोदी की चर्चा करते हुए मीडिया गुजरात के विकास की बात करती है, कई हिन्दी अंग्रेजी अखबार भी उनके गुणगाण में नमो नमो करते हैं, लेकिन राज्य के विकास की या मोदी की ही वास्तविक आलोचना, चाहे वह सकारात्मक हो या नकारात्मक, करने की जरूरत कोई नहीं समझता।
देश का अगला प्रधानमंत्री कौन होगा- यह तो आने वाला समय ही बताएगा। यह नेताओं/राजनीतिक दलों के काम के आधार पर चुनावों में जनता ही तय करेगी। लेकिन सवाल उठता है कि आखिर मीडिया नरेन्द्र मोदी को बारंबार भविष्य को प्रधानमंत्री के तौर पर क्यों प्रोजेक्ट कर रही है ?
(लेखिका पत्रकार हैं.)
बिल्कुल सही लिखा है लेखिका ने मीडिया ने अपनी हदें पार कर के मोदी को प्रधानमंत्री का उम्मीदवार बनवाने में कोई कसर नही छोड़ी
बिल्कुल सही लिखा है लेखिका ने मीडिया ने अपनी हदें पार कर के मोदी को प्रधानमंत्री का उम्मीदवार बनवाने में कोई कसर नही छोड़ी