संदेह के घेरे में मीडिया की ‘मर्दानी’,जानिए एक सहयात्री की जुबानी पूरी कहानी

रोहतक की दो लड़कियों की बहादुरी की कथा मीडिया ऐसे दिखा रहा है जैसे 'मर्दानी' का सीक्वेल देख रहे हैं
रोहतक की दो लड़कियों की बहादुरी की कथा मीडिया ऐसे दिखा रहा है जैसे 'मर्दानी' का सीक्वेल देख रहे हैं

नागेन्द्र परमार

रोहतक की दो लड़कियों की बहादुरी की कथा मीडिया ऐसे दिखा रहा है जैसे 'मर्दानी' का सीक्वेल देख रहे हैं
रोहतक की दो लड़कियों की बहादुरी की कथा मीडिया ऐसे दिखा रहा है जैसे ‘मर्दानी’ का सीक्वेल देख रहे हैं
रोहतक में लड़कियो द्वारा लड़कों की बस में पिटाई को मीडिया ने नमक मिर्च लगाकर “राष्ट्रीय मुद्दा” बना दिया. दोनों लड़कियों को फ़िल्मी अंदाज में ‘मर्दानी’ तक का दर्जा दे दिया और लड़कों की पिटाई करने वाली दोनों लड़कियां यूँ बन गयी – ‘मीडिया की मर्दानी’. लेकिन अब पूरा मामला संदेह के घेरे में है और साथ में मीडिया की विश्वसनीयता भी सवालों के घेरे में है कि कि कैसे मीडिया ने बिना जांच-पड़ताल के स्टोरी को कुछ ऐसे एंगल से दिखाया कि लड़कियों को वीरता अवार्ड मिले और लड़कों को जूते. परिणाम ये हुआ कि उन दोनों लड़कों के भविष्य पर ग्रहण लग गया.दरअसल दोनों लड़कों की भर्ती सेना में होनी थी लेकिन मीडिया की धुंआधार एंटी रिपोर्ट की भेंट चढ़ गयी.

खैर इस देश में जो मीडिया बताए वही सच होता है. सरकार भी आँख मूंद के उसे ही सत्य मानती है. ये लड़कियां थाना खुर्द तहसील ‪#‎खरखोदा‬ की हैं. इनकी बस खराब हो गयी तो दूसरी बस में सारी सवारी को ड्राईवर ने बैठा दिया, बस का no. था HR-69 6150 . इस बस में ये लड़के बैठे थे इनके पीछे एक बुजुर्ग औरत बैठी थी. तब ये लडकियां बस में सवार हुई और अपने सीट नंबर जो खराब बस में इन्हें मिला था ,के लिए उस बुजुर्ग औरत और इनमे से एक लड़के को उठाने की जिद करने लगी कि ये सीट हमारी है. तब उन लड़कों ने उस बुजुर्ग औरत को न उठने के लिए कहा. फिर भी वो बेचारी इन लड़कियों के तंग करने पर बस में पड़े टायर पर बैठ गयी. तब उन लडको में से एक को भी उठाने लगी तो उन्होने भी इनको भी भला बुरा कहना शुरू कर दिया कि कहाँ – कहाँ से आ जाती है, बड़े-बूढ़े का भी लिहाज नही है. #गुंडागर्दी कर रही हैं. तब वो लड़की बोली तुझे हम देख लेंगी . तब लड़के ने कहा कि नंबर ले ले मेरा और जब जी करे तब देख लिए. तब उस लड़की ने अपना फोन एक लड़की को दिया की mms बना इसकी ऐसी-तैसी करके दिखाती हूँ. और बेल्ट निकाल कर मारने लगी. सारी सवारी इनको रोकती रही की मारो मत. अगर उन लड़कों का कसूर होता तो सवारी उनकी तरफदारी थोड़े करती क्योंकि ये हरियाणा है दिल्ली नहीं.

लेकिन सरकार अंधी है. उन बेचारों का आर्मी में चयन हो गया था और ज्वाइनिंग (joining) होनी थी. लेकिन झूठी मीडिया और लड़कियों की वजह से खत्म हो गया. बिना किसी जांच(inquiry) के सरकार ने वाह-वाह लूटने के लिए उस बस के ड्राईवर और कंडक्टर को सस्पेंड (suspend) कर दिया. जब की वो ऐसे बंदे हैं की किसी लड़की के साथ अगर कोई छेड़खानी करता तो खुद उसको बस से उतार देते थे. वो बुजुर्ग औरत उन लड़कियों के खिलाफ FIRFIR करने गयी थी .पुलिस बोली – ताई इब त उन लड़कियां की चालअगी.

भाइयों मन बड़ा कुंठित होता है की इस देश में कानून ,सरकार बिना की छानबीन के गंदे मीडिया के सहारे चल रहे है .

(नोट : ये स्टोरी उसी बस में सफर करने वालो की जुबानी है.)

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