मीडिया खबर के कार्यक्रम में जाना हुआ. …आमतौर पर मैं इन कार्यक्रमों में सिर्फ इसलिए जाता हूं..कि सीनियर्स के विचार सुना जाए और कुछ समझ में आए तो सीखा जाए..हालांकि वहां भी लम्बी निरर्थक बहस हुई और उसके बाद Qamar Waheed Naqviiजी Abhishek Srivastavaजी ने नई बहस छेड दी…लेकिन एक बात जिसपर किसी ने ध्यान नहीं दिया वो Nishant Chaturvedi जी की बात थी जब वो प्रथम सेशन में चुनौतियों के बारे में बताते हुए अच्छा करने के लिए सेकेंड – थर्ड लाइन को मजबूत बनाने पर जोर दे रहें थे..
दूसरे चरण में टीवी में गलती और आइडिएसन को लेकर चर्चा हुई लेकिन निशांत जी की बात को किसी ने पकड़ा नहीं..@vinod kapri जी ने तो चौकीदारों की तैनाती ही कर दी और नक़वी जी और अजीत जी कोई ठोस उपाय नहीं सुझा पाए, हालांकि वो बार – बार पॉजिटिव बहस की बात कर रहे थे…
न्यूज चैनल के संपादकों को अपने सेकेंड थर्ड लाइन को दुरूस्त करना पड़ेगा..ताकी नए रंगरूटों को चौकीदार बनाने से बचाया जाए और इससे संपादक को भी ख़बरों के अन्य आयाम के बारे में सोचने और चर्चा का वक्त मिलेगा जिसे सेकेंड थर्ड लाइन बाकी के टीम में संप्रेषित करे….
गलतियां पर नजर कई चरण पर होगा ..वरना हमेशा वही गरियाये जाते रहेंगे…Pushkar Pushp जी समुद्र मंथन से ज़हर भी निकलता है और अमृत भी …आप कार्यक्रम के रचनाकार हैं ज़हर तो पीना पड़ेगा…अमृत हम जैसे पत्रकारों को पीने दीजिए एसपी के बहाने ही सही..
(अवंतस चित्रांश के एफबी वॉल से)