केजरीवाल साहब, माफ कीजिएगा.मीडिया को लेकर आप अब जो कह रहे हैं, वो काफी हद तक सच होते हुए भी इस मसले पर आपके साथ नहीं हूं. ये आप ही रहे हैं जिन्होंने उस मीडिया को उस वक्त क्रेडिट दी थी जब इसकी साख मिट्टी में मिल चुकी थी. उसी कॉर्पोरेट मीडिया से आपने बेस्ट सिटिजन का अवार्ड लिया था.
आपके साथ तब जनता थी, आपको अलग से क्रेडिबिलिटी की कोई जरूरत नहीं थी लेकिन नहीं..आपने कहा कि अगर मीडिया के लोग साथ नहीं होते तो हम कहां यहां पहुंच पाते.
केजरीवाल साहब, अफसोस है कि मीडिया के मामले में आपने किसी भी दूसरी राजनीतिक पार्टी/नेता से अलग नहीं किया. अब आप जो कह रहे हैं वो सही होते हुए भी भरोसमंद बयान नहीं है. हम कल भी मीडिया को उसी तरह देख रहे थे, आज भी देख रहे हैं..आपकी समझ बदलती रही है.
(स्रोत-एफबी)