प्रेस विज्ञप्ति
माखनलाल चतुर्वेदी पत्रकारिता विश्वविद्यालय में ‘शोध के विविध आयाम पर राष्ट्रीय’ संगोष्ठी
भोपाल, 15 नवंबर 2014। माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय के संचार शोध विभाग में “संचार शोध के विविध आयाम” विषय पर दो दिवसीय राष्ट्रीय सेमिनार के आखिरी दिन शनिवार को एपीजे इंस्टिट्यूट ऑफ कम्युनिकेशन के निदेशक डॉ. अशोक ओगरा ने बताया की मीडिया इंडस्ट्री में संचार शोध के बिना काम नहीं चलता। यह करिअर के हिसाब से बेहतरीन विकल्प है। अकेडमिक रिसर्च का मीडिया में प्रैक्टिकल उपयोग नहीं होता, लेकिन शोधकर्ताओं को उनका ज्ञान काम आता है। मीडिया इंडस्ट्री का अपना रिसर्च पैटर्न होता है। इनका उपयोग ज्यादातर टीआरपी जानने के लिए होता है। टीआरपी यह बताता है की आदमी क्या देख रखा है। लेकिन यह नहीं बताता की वह उस प्रोग्राम को क्यूँ देख रखा है। डॉ. ओगरा ने दूसरे सत्र को संबोधित किया था।
इससे पहले के सत्र में विख्यात शोध विशेषज्ञ डॉ. बीएस नागी ने विद्यार्थियों को तथ्य विश्लेषण समझाने के लिए चित्रात्मक तरीका अपनाया। इसमें उन्होंने बताया की कैसे शोधकर्ता को शोध सम्बन्धी सॉफ्टवेयर का उपयोग करना चाहिए। कुछ सालों पहले शोध में डाटा विश्लेषण के लिए बहुत मेहनत करनी पड़ती थी । महीनों का समय लग जाता था। अब तो सॉफ्टवेयर आने की वजह से काम बहुत आसान हो गया है। लेकिन चुनौतियाँ बढ़ गई हैं। तो अब डाटा को जमा करने में आलस दिखाते हैं। एक गलत डाटा पूरे शोध को खराब कर देता है।
तीसरे सत्र में एमिटी यूनिवर्सिटी के संचार विभाग की प्रोफेसर डॉ. पूजा राणा ने बताया की कैसे शोध की रिपोर्ट लिखी जाती है। उसमें किन किन बातों का ध्यान रखना चाहिए। इन्हें कितना आसान और प्रामाणिक बनाया जाना चाहिए। शोध रिपोर्ट आपके काम को दुनिया से जोड़ती है। भविष्य में होने वाले शोध के लिए साहित्य सामग्री का काम करती है। इसलिए शोध रिपोर्ट लिखते समय भी उतना ही ध्यान रखना चाहिए जितना शोध करते समय।
चौथे सत्र में सभी अतिथियों ने छात्रों के प्रश्नों के सहजता से जवाब दिए, और उनकी जिज्ञासा को शांत किया। इसके बाद संचार शोध विभाग की विभागाध्यक्ष डॉ. मोनिका वर्मा ने धन्यवाद संबोधन किया। इस मौके पर प्रबंधन विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. अविनाश वाजपेयी, जनसंपर्क एवं विज्ञापन विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. पवित्र श्रीवास्तव एवं जनसंचार विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. संजय द्विवेदी की गरिमामय उपस्थिति रही ।
दो दिवसीय संगोष्ठी के विभिन्न सत्रों में छात्रों ने शोध डिजाइन से लेकर रिपोर्ट लेखन तक की बारीकियों को विषय विशेषज्ञों से समझा।