भोपाल। राजनीतिक विचारक और भारत नीति प्रतिष्ठान के निदेशक प्रो. राकेश सिन्हा का कहना है कि यह चुनाव वास्तव में सांस्कृतिक राष्ट्रवाद विचारधारा की जीत है। देश के लोगों ने नरेंद्र मोदी को तीन बातों के लिए वोट दिए एक मजबूत केंद्र-स्वस्थ शासन, दो सीमा और सम्मान की सुरक्षा के लिए, तीसरा इस देश में सांस्कृतिक राष्ट्रवाद के अधिष्ठान के लिए। वे यहां माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय, भोपाल की ओर से आयोजित संवाद में चुनाव-2014-वैचारिक अधिष्ठान विषय पर बोल रहे थे।
उन्होंने कहा कि उन्होंने कहा कि 1947 में पं. नेहरू के साथ एक गणतंत्र आया था, 2014 में नरेंद्र मोदी के साथ एक नए गणतंत्र का उदय हुआ है। 30 साल बाद किसी विचारधारा को पूर्ण बहुमत मिलना साधारण नहीं है। यह पहली बार है जब दक्षिण एशियाई देशों के नहीं पश्चिमी देशों के राजदूत भी नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री के बनने से पहले ही उनको शुभकामनाएं दीं। यह बताता है कि दुनिया के लोग भी भारत को एक नई उम्मीद से देख रहे हैं। भारत में पहले से व्याप्त बौद्धिक फासीवाद ने पूरे चुनाव में सार्थक मुद्दों पर बहस नहीं होने दी बल्कि मामले व्यक्तिकेंद्रित बनाने में योगदान किया। जब एक आदमी एक माडल लेकर आया तो बुद्धिजीवियों ने बहस को सांप्रदायिकता की ओर मोड़ दिया। वे विकल्प देने के बजाए मोदी को रोकने में लगे रहे। उन्होंने कहा कि यह दरअसल बौद्धिक आलस्य और पाखंड का नतीजा है। राकेश सिन्हा ने कहा कि देश में लंबे समय तक गैरकांग्रेसवाद की राजनीति चलती रही और इस चुनाव में सभी राजनीतिक दलों ने मिलकर आरएसएस विरोधी राजनीति करने का प्रयास किया। जिसमें बुद्धिजीवी भी शामिल हैं।
कुलपति प्रो. बृजकिशोर कुठियाला ने कहा इस चुनाव की सबसे अहम बात यह थी कि दो बड़ी संस्थाओं चुनाव आयोग और आरएसएस ने राष्ट्र को सुशासन देने के लिए सौ प्रतिशत मतदान के लिए अभियान चलाया। आयोजन में सर्वश्री कैलाशचंद्र पंत, रमेश शर्मा, पवन जैन, सर्वदमन पाठक, अरूण पटेल, महेंद्र गगन, गिरीश उपाध्याय, अजय बोकील, अक्षत शर्मा, सुरेश शर्मा, हर्ष सुहालका, जीके छिब्बर, नरेंद्र जैन, दीपक शर्मा सहित नगर के पत्रकार, साहित्यकार और बुद्धिजीवी मौजूद रहे। कार्यक्रम का संचालन जनसंचार विभाग के अध्यक्ष संजय द्विवेदी ने किया।