मजीठिया मंच की ओर से भारतीय प्रेस परिषद (पीसीआई) को पत्र लिखकर यह अनुरोध किया गया था कि वह सुप्रीम कोर्ट के फैसले को लागू कराने में पत्रकारों की मदद करे। मंच का मानना था कि पत्रकारों के हितों की रक्षा करने वाली एक मात्र संवैधानिक संस्था पीसीआई से इस मामले में कोई मदद मिलेगी। परिषद के अध्यक्ष मार्कंडेय काटजू पत्रकारों की स्वतंत्रता की काफी हिमायत करते रहे हैं। उनका मानना था कि आर्थिक आजादी के बिना प्रेस की आजादी का कोई मतलब नहीं है। मगर उनकी अगुवाई वाली इस संस्था ने मंच को भेजे अपने जवाब में कहा है कि मजीठिया वेजबोर्ड की सिफारिश और सुप्रीम कोर्ट के इस मामले में दिए फैसले से परिषद का कोई लेना-देना नहीं है। पीसीआई की दलील है कि यह मामला औद्योगिक विवाद अधिनियम 1947 के तहत आता है। लेकिन मंच का मानना है कि यह मामला सुप्रीम कोर्ट की अवमानना का है और प्रेस की स्वतंत्रता के लिए ज़रूरी है कि समाचार पत्र कर्मचारियों के हकों की रक्षा हर सूरत में की जाए।
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