फिल्मों में तीन तलाक का मुद्दा लेकर आए लेखराज टंडन

फिल्म की कहानी तीन तलाक से पीड़ित एक मुस्लिम महिला की है, जो तलाक के बाद संघर्ष के दौर से गुजरती है। हालात ऐसे बनते हैं कि अपने और अपनी बहू के लिए वह भारतीय संविधान के तहत इंसाफ मांगती है। क्या उसे इंसाफ मिल पाएगा? य

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अनिल बेदाग-

लेखन और निर्देशन की दुनिया में लेखराज टंडन एक बड़ा नाम हैं। निर्देशन ही नहीं, उन्होंने कई फिल्मों में अभिनय भी किया है। करीब 90 वर्ष की उम्र में भी उनका जोश कायम है और वे अपने दर्शकों के लिए इस बार एक खास फिल्म लेकर आ रहे हैं जिसके लेखन के साथ-साथ निर्देशन भी उनका है। इस फिल्म का विषय ज्वलंत है, जो आज समुदाय में उथल-पुथल पैदा कर चुका है और वो है ट्रिपल तलाक का मुद्दा।

लंबे समय तक लेख टंडन के साथ जुड़े रहे फिल्म के को-राइटर और डायरेक्टर सुरेश सिंह बिशनोई ने बताया कि जब उन्होंने लेख जी से इस सब्जेक्ट पर चर्चा की, तो उन्होंने खुद ही इस विषय पर फिल्म डायरेक्ट करने की सहमति दे दी। शायद ही ऐसा कोई निर्देशक होगा, जो 90 की उम्र में भी जोशीले तेवर के साथ एक फिल्म बनाने की बात कह रहा हो और ऐसा उन्होंने कर दिखाया। फिल्म कंपलीट है जिसका नाम है ‘फिर उसी मोड़ पर’।

सुरेश सिंह कहते हैं कि यह फिल्म एक खास वर्ग नहीं, बल्कि उन सभी लोगों के लिए है, जो इस देश के नागरिक हैं। इस देश में सभी को समान अधिकार हासिल हैं। देश का संविधान सभी पर लागू पर होता है, चाहे वो किसी भी धर्म का हो, इसलिए यहां किसी खास समुदाय द्वारा अपना कानून स्थापित करने के कोई मायने नहीं हैं।

फिल्म की कहानी तीन तलाक से पीड़ित एक मुस्लिम महिला की है, जो तलाक के बाद संघर्ष के दौर से गुजरती है। हालात ऐसे बनते हैं कि अपने और अपनी बहू के लिए वह भारतीय संविधान के तहत इंसाफ मांगती है। क्या उसे इंसाफ मिल पाएगा? यह फिल्म देखने के बाद ही पता चलेगा, पर उल्लेखनीय बात तो ये है कि इस फिल्म को बनाने से पहले इसके कानूनी पहलुओं पर भी काफी विचार किया गया। काफी शोध किया गया, तब जाकर फिल्म बनाने का फैसला लिया गया। फिल्म में जीविधा आस्था, परमीत, शिखा, ंकंवलजीत, संजय शर्मा और कनिका बाजपेयी की अहम भूमिका है।

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