रालेगण सिद्दी । कृषिभूमि ने इस बार गणतंत्र दिवस कुछ अलग तरह से मनाने का फैसला किया। फैसला लिया गया कि क्यों न कृषिभूमि की टीम अन्ना हजारे के गांव में जाकर उनके साथ इस बार का गणतंत्र दिवस मनाए, तो फिर क्या था कृषिभूमि की संपादक कविता मिश्रा और विशेष संवाददाता पोलोमी कुंडु मुंबई से पहुंच गए रालेगण सिद्दी। 26 जनवरी सुबह करीब 7 बजे अन्ना का गांव कुछ अलग ही रंग में दिख रहा था। हर कोई एक नई उर्जा के साथ तैयार दिख रहा था ध्वजारोहण के लिए। जब कृषिभूमि की टीम ने वहां के सरपंच जयसिंह से बात की तो उन्होने बताया कि सभी इंतजार कर रहे हैं अन्ना का। हमने पूछा कि अन्ना कहां हैं तो उन्होने बताया कि वो यादव बाबा के मंदिर में हैं। ये पता चलते ही बिना देर किये हम यादव बाबा के मंदिर में पहुंच गए। वहां देखा कि अन्ना बाबा के दर्शन कर बाहर आने के लिए तैयार हो रहे हैं।
अन्ना के बाहर आते ही कृषिभूमि की संपादक कविता मिश्रा ने खुद का और पूरी टीम का अन्ना को परिचय दिया और उनसे मिलने का उद्देश्य बताया। अन्ना खुश हुए और उन्होने अपने साथ हमें आने की अनुमति दे दी। हम ये बातें कर ही रहे थे कि तभी रालेगण की प्राथमिक शाला के बच्चे हाथों में तिरंगा लेकर और जय जवान–जय किसान के नारे लगाते हुए अन्ना के सामने से एक जुलूस के रुप में जाने लगे। उन बच्चों के पीछे अन्ना चल दिए और उनके साथ कृषिभूमि भी हो लिया। फिर अन्ना बच्चों के साथ उनकी शाला में पहुंचे जहां ध्वजारोहण हुआ। इस कार्यक्रम में इन छोटे-छोटे बच्चों का उत्साह देखते बन रहा था ।
इसके बाद अन्ना पहुंचे रालेगण के स्कूल जहां पर एक बड़ा कार्यक्रम होने वाला था। अन्ना के पहुंचते ही वहां भी लोगों में एक चेतना आ गई। छोटे-छोटे बच्चों ने अन्ना और मंच पर बैठे सारे गणमान लोगों के सामने रंगारंग कार्यक्रम प्रस्तुत किए। जिनमें प्रणाली नाम की 7 साल की एक छोटी सी बच्ची ने अपने भाषण से जहां लोगों को आजादी का मतलब बताया, तो वहीं दूसरी ओर मलखंभ के जरिए बच्चों ने लोगों से अपने दमखम का लोहा भी मनवाया। करीब 3 घंटे चले इस कार्यक्रम में अन्ना ने बच्चों को देश का भविष्य बताया और उनसे भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ने का आवहान भी किया ।
अन्ना के साथ बिताए गए वक्त से कृषिभूमि को कई अनुभव मिले, खासतौर पर अन्ना के बताए रास्ते पर चल रहे रालेगण सिद्दी के लोगों की सकरात्मक औऱ उत्साही सोच के बारे में ।इस साल का गणतंत्र दिवस वाकई कृषिभूमि के लिए खास रहा, क्योंकि अन्ना के साथ बिताए वक्त से हमें एक नई सोच और आशा मिली है ।