रमेश यादव
रात-दिन रूस यात्रा का नगाड़ा बजाने वाले मीडिया चैनल्स लगता है, काबुल यात्रा के वक्त थक चुके थे।
जैसे ही उन्हें पता चला कि पीएम लाहौर जायेंगे। एक बार फिर सभी चैनल्स जल्दी-जल्दी इधर-उधर से खर-पतवार बटोरे। उसे जलाये। नगाड़े को सेके अौर फिर लगे ज़ोर-ज़ोर से बजाने।
भारतीय मीडिया, खासकर चैनल्स का चाल,चेहरा अौर चरित्र ‘नगाड़ा अौर उसे बजाने’ वालों की तरह ही लगता है।
एेसा नहीं है कि पीएम, काबुल पहुँचने के बाद,दिल्ली वापसी के ठीक पहले, लाहौर जाने का कार्यक्रम बनाये हों अौर सारी सुरक्षा एजेंसियाँ पलक झपकते जादू की छड़ी से सारा इंतज़ाम कर ली हों। एेसे कभी नहीं होता। इस बार भी नहीं हुआ होगा।
इसका अर्थ यह हुआ कि यह कार्यक्रम पहले से बनाया गया था। सुरक्षा कारणों से अंतिम समय में सार्वजनिक किया गया।
पहली नजर में यह सफल कुटनीतिक प्रबंधन लगता है। मगर आश्चर्य होता है कि भारत- पाकिस्तान के बीच, जिस तरह के आपसी रिश्ते हैं,उस लिहाज़ से यह फ़ैसला न एक पल में लिया गया लगता है अौर न ही एक दिन में।
मीडिया वालों को तो यहीं नहीं पता है कि पीएम, पाकिस्तान जा क्यों रहे हैं ? जैसे ही इस दौरे की जानकारी चैनल्स को हुई। चैनल्स अपना एक कैमरा काबुल से पीएम की विदाई अौर दूसरा कैमरा लाहौर के एयरपोर्ट पर लगा दिये अौर लगे भारत-पाकिस्तान के रिश्तों का ‘मठठा मथने’।
प्रथम दृष्ट्या यह अनुमान लगाया जा सकता है कि पाकिस्तान के पीएम, भारतीय पीएम को निमंत्रण भेजे होंगे। निमंत्रण स्वीकार किया गया होगा। सुरक्षा के दृष्टिकोण के हिसाब से इसकी डिज़ाइन की गयी होगी।
जितने चैनल्स, उतनी खबरें। एक सच, सौ तर्क। भारतीय मीडिया क़ुबूल करो कि अभी बच्चे हो !
नोट:
यदि यहीं निर्णय गैर- भाजपायी प्रधानमंत्री का होता तो आज भाजपाई,आरएसएस,बजरंगदल अौर शिव सेना वाले देश में शांति दिवस मना रहे होते।
# भारतीय मीडिया : नौटंकी अौर रहस्य में जंग #
Post any news if you have any facts. you should not post anything with ‘एेसे कभी नहीं होता। इस बार भी नहीं हुआ होगा।’
tell us if you know….just because you are not good don’t blame others.