दिल्ली से खत्म होगी केजरीवाल की कपटपूर्ण राजनीति!
अभय सिंह, राजनीतिक विश्लेषक –
दिल्ली की जनता ने 70 में 67 सीटे केजरीवाल की झोली में आँख मूंदकर डाल दी।लेकिन जनादेश की ऐसी बर्बादी की गयी की आज मात्र 2 साल में ही दिल्ली की जनता भारी गुस्से में है । हाल ही में अपने पुराने पापों को धोने के लिए दिल्ली के मुख्यमंत्री केजरीवाल ने करोड़ों रूपये नामी वकील रामजेठमलानी को बतौर फीस सरकारी खजाने से देने का आदेश दिया तो जनता ही नहीं मीडिया के हर तबके ने उनकी नैतिकता, शुचिता पर सवाल उठाये।
पहले खुद के प्रचार के लिए 526 करोड़ लुटाए,फिर विधायको के वेतन,भत्ते बढ़ाने पर जोर दिया,अवैध रूप से संसदीय सचिव नियुक्त किये , मोहल्ला क्लीनिक के नाम पर पार्टी के कार्यकर्ताओ को रेवड़ियां बाटी गयी,गाली गलौच संस्कृति को बढ़ावा दिया,मंत्रियो के रिश्तेदारो को बंगले,गाड़िया,पद ,वेतन अवैध तरीके से दिए गए।
पंजाब चुनाव में फर्जी हवा बनाने के लिए दिल्ली के कई दरबारी पत्रकारों रिफत जावेद,पुण्य प्रसून, ओम थानवी,शरद शर्मा,मानक गुप्ता,अभय दुबे,शाजी जमा को बेजा लाभ पहुँचाया गया। जब नतीजे आये तो ये पत्रकार मुँह छिपाते नज़र आये।
पत्रकार ओम थानवी तो केजरीवाल से ऐसे हताश हुए की ट्विटर,फेसबुक से भी दूरी बना ली। केजरीवाल की दिनोदिन बढ़ती हल्की, निचले दर्जे की राजनीति ने दिल्ली के जनमानस ही नहीं बल्कि उनको बढाने वाली दिल्ली की मीडिया में भी भारी आक्रोश व्याप्त है।
दिल्ली की जनता केजरीवाल एंड कंपनी से इस कदर नाराज है की उनको सबक सिखाने के लिए अगले चुनाव का अभी से इन्तजार कर रही है। महज 2सालों में दिल्ली में ऐसी सत्ता विरोधी लहर है की केजरीवाल अगर आज चुनाव लड़े तो उन्हें शायद दहाई पर भी ना पहुँच पाये।