रामकिशोर पवार
बैतूल. यह देश का दुर्भाग्य है कि ‘बैतुल’ में पत्रकारिता के क्षेत्र में नामचीन चेहरो और संस्थानो द्वारा जिला मुख्यालय पर ऐसे लोगों से काम लिया जा रहा है जो कि दसवी पास भी नहीं हैं। पत्रकारों के शैक्षणिक स्तर पर प्रेस काउंसिल भी सवाल उठा चुका है। हिन्दी न्यूज चैनल आजतक, जी न्यूज , पी सेवन, साधना न्यूज जैसे बड़े बैनरो ने टीवी पत्रकारिता के लिए बकायदा प्रशिक्षण संस्थान खोल रखे है। इनके द्वारा एंकर , रिर्पोटर तथा कैमरामेनो के लिए प्रशिक्षण संस्थान से डिग्री – डिप्लोमा का कोर्स चला रखा है। इसी तरह प्रिंट मीडिया के बड़े बैनर दैनिक भास्कर से लेकर अन्य सभी के पत्रकारिता प्रशिक्षण संस्थान चल रहे है। लेकिन इन सब का लोगो को या संस्थान को क्या फायदा मिल रहा है इसका प्रत्यक्ष उदाहरण है मध्यप्रदेश का आदिवासी बाहुल्य बैतूल जिला जहां पर पूरे जिले में न्यूतम विद्यालीन परीक्षा प्राप्त पत्रकारो की संख्या सबसे कम पढ़े लिखे लोगो से कम है।
बैतूल जिले में शहरी एवं ग्रामीण पत्रकारिता का शैक्षणिक पत्रकारिता स्तर सबसे कम दर्जे पर है। जिले में दसवी फेल और तीसरी फेल पत्रकारो की संख्या सबसे अधिक है। जिले में मात्र बारह ऐसे लोग है जिन्होने पत्रकारिता में एमजे की डिग्री पाप्त की है। दस ऐसे पत्रकार है जो स्नातक है। अनुभव के आधार पर 35 वर्षो की लगातार पत्रकारिता में जिले में मात्र एक ही व्यक्ति है। जिले में प्रदेश स्तरीय अधिमान्य पत्रकार का यह हाल है कि पिछले पांच सालो में उसके एक भी समाचार बाय लाइन नहीं छपे है। बैतूल जिले में तीन दर्जन जिला एवं तहसील स्तर पर अधिमान्य पत्रकार है लेकिन अधिकांश पत्रकारो के पास कोई अनुभव या डिग्री या डिप्लोमा नहीं है। बैतूल जिले की स्थिति यह है कि अकेले दसवी फेल व्यक्ति के पास आजतक से लेकर जी न्यूज तक आधा दर्जन टीवी चैनलो की दुकानदारी है। शर्म की बात है कि आज तक हो या जी न्यूज उसका पत्रकार दसवी फेल है और वे ही सबसे अधिक डिग्री – डिप्लोमा बेच रहे है। इसी तरह दैनिक भास्कर भोपाल के पास बैतूल जिला मुख्यालय पर ब्यूरो के रूप में कम्प्यूटर आपरेटर एवं फोटोग्राफर काम कर रहे है जो दोनो ही 11 वी पास नहीं है। ऐसी स्थिति में दैनिक भास्कर जो पूरे देश का सबसे बड़ा समाचार पत्र होने का दावा करता है उसके पास कहने को दसवी फेल ब्यूरो चीफ है जिसके भरोसे पूरे जिले की दैनिक भास्कर की पत्रकारिता की दुकान है।
बैतूल जिले के बारे में एक सच यह भी है कि जिले के बडे बैनर दैनिक भास्कर का फोटोग्राफर भी किसी संस्थान से डिग्री या डिप्लोमा प्राप्त नहीं है। यहां पर सवाल यह उठता है कि प्रेस कौसिंल आफ इंडिया के अध्यक्ष न्यायमूर्ति काटजू की भावनाओं का कब समाचार पत्र ख्याल रखेगें। आइसना सहित एक दर्जन पत्रकार संगठनो से जुड़े लोगो ने भी समाचार पत्रों एवं न्यूज चैनलो पर ऊंगलिया उठाते हुए सवाल किया है कि ऐसे संस्थानो को पत्रकारिता प्रशिक्षण खोल कर डिग्री बेचने का कोई औचित्य नहीं जो अपने यहां पर दसवी फेल लोगों से काम करवा रहे है। इधर आइसना प्रदेश महासचिव मानते विनय जी डेविड मानते है कि नई पीढ़ी के पत्रकारिता के स्तर में सुधार लाने के लिए समाचार पत्रों एवं टीवी चैनलो को पढ़े – लिखे डिग्री – डिप्लोमा पास युवक -युवतियों को प्रशिक्षण उपरांत कम –से- कम से जिला मुख्यालयों पर तो जॉब उपलब्ध करवाना चाहिए। बैतूल जिले में सबसे बड़ा बवाल राजेश भाटिया एवं अनिल गोयर को लेकर उन पत्रकारों ने उठाया है जो कि पत्रकारिता में उच्च शिक्षा प्राप्त करने के बाद अवसरो की तलाश में यहां वहां भटक रहे है।