पत्रकारों की स्थिति कुत्तों से भी बदतर है, इसका अनुभव कल रात बांद्रा के एक पंचतारांकित होटल में आया। हालांकि इस होटल का नाम भी मै लेना नहीं चाहता, लेकिन होटल प्रबंधन की मानसिकता पता चले इसलिए बता देता हूं, होटल का नाम है सॉफ्टेल। कल रात शिवसेना बीजेपी और अन्य दलों के नेताओ की सीटों के बंटवारे के लिए बैठक इस होटल में थी। इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के साथ प्रिंट के 2 पत्रकार उपस्थित थे। सभी गेट के बाहर खड़े थे। bkc ऐसा इलाका है जहा दिन में खाने के लाले पड़ते है तो रात को क्या हालत होती होगी इसका अंदाजा आप लगा सकते है। काफी देर रुकने के बाद होटल में जाकर कॉफी पीने की इच्छा कुछ पत्रकारों को हुई। साहिल जोशी,उमेश कुमावत आदि पत्रकार अंदर जाने लगे तो रोक दिया गया। कहा पत्रकारों को अंदर इजाजत नहीं है। बिना कैमरा अंदर कॉफी शॉप में ग्राहक के रूप में जाने से रोक दिया गया। काफी बहस के बाद भी अंदर नहीं छोड़ा गया। एक महिला पत्रकार को बाथरुम जाना था, पुरुष पत्रकार तो बाहर भी हल्का हो सकते थे, लेकिन महिला पत्रकार क्या करती? सिक्योरिटी गार्ड की खुशामद करने के बाद उसने अंदर फ़ोन पर मैनेजर से बात की और जिस तरह एक कैदी को ले जाते है उस तरह वह उस महिला पत्रकार के साथ बाथरूम तक गया और फिर उसे बाहर ले आया ताकि वो कॉफी शॉप में न जायें। पत्रकार मुंबई के लगभग हर पंचसितारा होटल में जाते है, लेकिन इतनी बुरी तरह कभी अपमानित नहीं हुए। कुत्तो को अंदर छोड़ा जा रहा था, लेकिन पत्रकारों को केवल पत्रकार होने की वजह से जेब से पैसे खर्च कर भी कॉफी पीना नहीं छोड़ रहे थे। कुछ पत्रकार डायबिटीज से त्रस्त थे उन्हें थोड़ी थोड़ी देर कुछ खाना जरुरी था, जो वे नहीं कर पा रहे थे।
भारतीयों को होटल में प्रवेश मिले इसलिए टाटा ने ताज होटल का निर्माण किया, लेकिन आजाद हिंदुस्तान में हिंदुस्तानी मालिक के होटल में हिंदुस्तानियो को प्रवेश नहीं दिया जा रहा था।
क्या आप इस पोस्ट को ज्यादा से ज्यादा शेयर कर इस होटल के मालिक और प्रबंधन का निषेध जताने में मदद करेगे।- पत्रकार चंद्रकात शिदे आणि इतर पत्रकाराना त्यातही महिला पत्रकाराना अपमानास्पद वागणूक देण्यात आलीय।प्रकरण गंभीर आहे – (Whatsapp पर प्राप्त)
(धीरज भारद्वाज के एफबी वॉल से )