संजय तिवारी
कैमरे क्लोज अप में चेहरे पर फोकस होते हैं तो चेहरे की बहुत सारी सच्चाई निकालकर सामने रख देते हैं. इंडिया टीवी का कैमरा मोदी का जबर्दस्त क्लोज अप ले रहा था. मोदी अपने मित्र रजत शर्मा के सवालों का बड़ा सुवासित जवाब दे रहे थे. हंस भी रहे थे और जुमले भी सुना रहे थे. और वहां मौजूद मोदीभक्त समुदाय मोदी मोदी के नारे भी लगा रही थी.
भगवान को इतने करीब पाकर कौन भक्त होगा कि पगला न गया होगा. हो सकता है पूरे घण्टेभर की अदालत में ऐसा ही माहौल रहा हो लेकिन मैं तीन चार मिनट से ज्यादा झेल नहीं पाया. मोदी के बोलते वक्त बार बार मेरी निगाह उनकी आंखों पर जा रही थी. मैंने साफ महसूस किया कि मोदी की जुबान और आंखों में कोई तालमेल नहीं था.
मानव व्यवहार का अध्ययन करते वक्त हम जिस बॉडी लैंग्वेज को परखने की कोशिश करते हैं उसमें हाथ और आंखों का मूवमेन्ट ही सबसे महत्वपूर्ण होता है. इन्हीं दो को ठीक से पढ़ा जाए तो पता चल जाता है कि आदमी बिहैवियर पैटर्न क्या है.
“साहेब” की आंखें बताती हैं कि वे बहुत शातिर हैं.
(अब मोदीवादियों की गालियों का स्वागत है.)
(स्रोत-एफबी)
is desh ke sabse bade manav vyahar researcher evam aalochna ke bhandar ko mera namashkar…lagta hai ke aap ne kabhi aap ki adalat pahle nahi dekhi..aisa isiliye lagta hai kyunki rajat sharma hamesha ki tarah apne style mein prashan puch rahe the or is desh ki janta jab kisi se pyar karti hai to wo aisy hi bhakt ban jati hai jaisa aapko dikha jaisa ki sachin,kejriwal,indira,nehru,gandhi ke liya pahle bhi dikh chuka hai,..or jab kisi or ka bhakt apne kisi virodhi(may be) ke ache performance ko dekhta hai to jayaj bhi hai ke wo 3-4 minute se jyada jhel bhi nahi pata kyunki uske liye himmat chahiye..or aapki harkaton se aisa lagta bhi hai…ek patrakar ki dusre patrakar ki safalta par aisi peeda hona jayaj hai…or is tarah ki aalochna tabhi hoti hai jab samne wala acha kar raha hota hai..so aapke liye jhel pana vastav mein mushkil tha…or aisa hona jayaj bhi hai kyunki jo kuch karta hai to fursati type ke log jinki aalochna ki dukandari hai ka dhanda bhi kuch karne wale logon se hi chalta hai….so jai aalcochna adhikari ki……