खबर का असर, इंडिया टुडे का लिखित माफीनामा, छापी थी मोदी की रैली की गलत तस्वीर

खबर का असर

इंडिया टुडे में तस्वीर के साथ प्रकाशित माफीनामा
इंडिया टुडे में तस्वीर के साथ प्रकाशित माफीनामा
सोशल मीडिया के ज़माने में आप झूठी खबर देकर बच नहीं सकते. आपकी पोल कोई न कोई खोल देगा. इंडिया टुडे मामले में ऐसा ही हुआ. गौरतलब है कि नरेंद्र मोदी की दिल्ली रैली की भीड़ की एक तस्वीर इंडिया टुडे में प्रकाशित हुई. इसमें ऊपर से शॉट लिया गया था और प्रतीत हो रहा था कि अपार जनसमूह वहां मौजूद है. लेकिन पत्रकार अभिषेक श्रीवास्तव ने तस्वीर की पोल पट्टी खोल दी और सबूतों के साथ इस सच को उजागर किया कि दरअसल यह पुरानी तस्वीर है.यह तस्‍वीर, जिसे इंडिया टुडे मोदी की रैली की बता रहा था वह 4 नवंबर, 2012 को प्रत्‍यक्ष विदेशी निवेश के समर्थन में कांग्रेस द्वारा रामलीला मैदान में आयोजित की गई रैली की थी.इसके पक्ष में ‘द हिंदू’ का वह लिंक भी पेश किया जिसमें पीटीआई को क्रेडिट देते हुए तस्वीर छपी थी. इसलिए शक की कोई गुंजाइश शेष नहीं रही. इस बाबत तत्परता से मीडिया खबर डॉट पर खबर प्रकाशित की गयी थी (इंडिया टुडे ने नरेंद्र मोदी की रैली की भीड़ वाली तस्वीर पंडाल चीरकर कैसे ले ली?). फिर क्या था सोशल मीडिया पर चारो तरफ इंडिया टुडे की लानत – मलानत और थू – थू होने लगी. तब जाकर इंडिया टुडे को अपनी गलती का एहसास हुआ तो सबसे पहले तो तस्वीर बदली गयी. फिर आज माफीनामा छापा गया. यानी खबर का असर हुआ और इंडिया टुडे को सोशल मीडिया के धुरंधरों के आगे झुकना पड़ा.लेकिन सोंचिये यदि यह गलती पकड़ में नहीं आती तो ऐसे ही चली जाती और जिस मकसद से तस्वीर लगायी गयी थी वह बिना किसी बाधा के पूरा हो जाता. ऐसे न जाने कितने फर्जीवाड़े पहले भी हुए होंगे और आगे भी होंगे.

बहरहाल इसी मुद्दे पर पत्रकार अभिषेक श्रीवास्तव लिखते हैं :

“इंडिया टुडे ने गलत तस्‍वीर पर एक लिखित माफीनामा अपनी वेबसाइट पर जारी किया है।
आम तौर से जब माफीनामा देने की परंपरा खत्‍म हो चली हो, मुझे लगता है कि पत्रिका के इस कदम का स्‍वागत किया जाना चाहिए। ”

इसी मसले पर पत्रकार राजीव रंजन झा की टिप्पणी :
“इंडिया टुडे ने बताया है कि मोदी की दिल्ली रैली में उसने गलती से कांग्रेस की रैली वाली जो तस्वीर लगा दी थी, वह किसी ट्विटर यूजर ने भेजी थी। आप पूछ सकते हैं कि भला इंडिया टुडे की संपादकीय छानबीन और परख कहाँ गयी? लेकिन यही सवाल आपको इस बात का जवाब भी देता है कि क्या सोशल मीडिया आने वाले समय में न्यूज मीडिया को खत्म कर देगा? संपादकीय छन्ने का कोई विकल्प नहीं है, माध्यम बदलते रह सकते हैं!”

2 COMMENTS

    • How can you support congress……… are u blind and why are you not writing your name …..Are you afraid of something or you know that you are telling wrong statement

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