सच कहूँ बाबूजी
मेरी निगाह में न कोई सरोकार है
न कोई सम्मान है
आपके आगे ये शख्स
चैनल का चाकर है
जो पिज़्ज़ा ब्वॉय बनकर
खबर सर्व करने के लिये खड़ा है..
इंडिया न्यूज़ ने अपने मीडियाकर्मी को जिस बेहूदेपन के साथ टीशर्ट पहनाकर दिल्ली चुनाव की नब्ज़ टटोलने के काम में लगाया है,इन मीडियाकर्मियों के आगे धूमिल की कविता मोचीराम की पैरोडी बनाकर कोरस गाने के आलावा कोई चारा नहीं है ?
वैसे तो न्यूज़ चैनल कॉलेजों में ड्रेस कोड लागू करने के सनक रखनेवाले पर जमकर पैकेज चलाते हैं लेकिन यही काम जब वो मीडियाकर्मी के साथ करने लगते हैं,तब ये भूल जाते हैं कि मीडियाकर्मी कोई पिज़्ज़ा डिलीवर ब्वॉय नहीं है कि उसकी पीठ-पेट तक को कंपनी की पोस्टर बना डालो. क्या इन मीडियाकर्मियों को ये हक़ नहीं है कि अपनी पहचान,स्टाइल के साथ चैनल में काम करें.
पहले तो इन न्यूज़ चैनलों ने जाड़ा हो गर्मी हो,मरे साँप की तरह स्क्रीन पर आने से पहले गलाघोंट बाँधने के लिये अनिवार्य कर दिया और अब ये टीशर्ट.
एक जमाना रहा है जबकि मीडिया में काम करनेवाले शख्स को उसके अंदाज़ और तेवर से ही लोगों को समझ आ जाता था कि ये मीडियाकर्मी है लेकिन अब पहचान के लिये चैनल का छापा लादकर चलना पड़ रहा है..जल्द ही ऐसा समय आयेगा जब इन्हें चैनल के विज्ञापन और अपनी उससे पहचान बताने के लिये टेंट हाउस के लाइट मैन की तरह कपार पर led स्क्रीन लादकर चलना पड़ेगा.