भारतीय चैनलों के लिए एक समय तक अंतर्राष्ट्रीय खबरों का मतलब पाकिस्तान होता था। पाकिस्तान से आगे बढ़े तो गाहे-बगाहे चीन, बांग्लादेश, श्रीलंका, नेपाल तक पहुंचते-पहुंचते ये हांफने लगते थे। इन देशों की भी खबरें करते हुए इनका दायरा बहुत सीमित होता था। मसलन बांग्लादेश की खबर में बांग्लादेशी घुसपैठिए तो नेपाल की खबर में किसी भगौड़े अपराधी की खबर.. । वास्तव में दूसरे देशों के अंदर क्या चल रहा है और उसका अंतर्राष्ट्रीय जगत पर क्या असर पड़ेगा, उसकी खबर हिन्दी के किसी भी समाचार चैनल पर दिखाई नहीं देता था। अंतर्राष्ट्रीय खबरों के लिए दर्शकों को मजबूरी में अंग्रेजी चैनल या फिर बीबीसी या सीएनएन जैसे चैनलों का रूख करना पड़ता था।
लेकिन पिछले एक वर्ष से स्थितियों में बदलाव आया है और खबरिया चैनलों पर अंतर्राष्ट्रीय खबरों की बाढ़ या गई है। आप सोंच रहे होंगे कि वर्षों से एक ही ढर्रे पर चल रहे हिन्दी समाचार चैनलों में ऐसा बदलाव कैसे आ गया! दरअसल इस बदलाव का श्रेय एक ऐसे नए चैनल का है जिसने बेहद कम समय में भारतीय दर्शकों पर गहरी छाप छोड़ी है और टॉप चैनलों की सूची में महज एक – डेढ़ साल में ही शामिल होकर पुराने चैनलों के सामने कड़ी टक्कर पेश की है। यह चैनल कोई और नहीं, बल्कि टीवी 9 भारतवर्ष है जिसने हिन्दी में अंतर्राष्ट्रीय खबरों की नयी परिभाषा ही गढ़ दी। चैनल ने लकीर का फकीर बनने की बजाए भारतवर्ष के स्क्रीन पर ऐसी वृहद अंतर्राष्ट्रीय खबरों की सीमा खींची कि दर्शकों की अंतर्राष्ट्रीय हिन्दी चैनल की वर्षों पुरानी ख्वाहिश पूरी हो गई।
हालांकि जब विनोद कापड़ी और अजीत अंजुम जैसे दिग्गजों के साथ विवादों के साये में चैनल लॉन्च हुआ तो सबको यही उम्मीद थी कि यह चैनल भी राजनीतिक नूरा-कुश्ती पर केंद्रित रहेगा। शुरुआती दौर में कुछ ऐसा हुआ भी। लेकिन फिर टीवी-9 में ऐसा बदलाव आया कि दर्शकों की एक बड़ी संख्या टीवी-9 की तरफ खींची चली आयी। चैनल ने परंपरागत खबरिया चैनलों के खांचे से निकलकर नई लकीर खिंचनी शुरू कर दी। अंतर्राष्ट्रीय खबरों को दिलचस्प तरीके से दिखाया जाने लगा। भारत-चीन विवाद के अलावा चीन की जितनी खबरें टीवी-9 ने दिखाई, शायद ही किसी और चैनल ने उतनी पहले कभी दिखाया हो। आर्मेनिया – अजरबैजान के युद्ध की लाइव कवरेज के लिए अपने रिपोर्टर अभिषेक उपाध्याय तक को भेज दिया। ऐसा करने वाला टीवी-9 अकेला समाचार चैनल था।
टीवी-9 के इस ‘अंतर्राष्ट्रीय’ प्रयास को दर्शकों ने भी खूब सहारा और चैनल ने न केवल अपनी पहचान बनाई बल्कि उसे ऐसे प्रतिबद्ध दर्शक भी मिले जो टीवी-9 ही अब देखना पसंद करते हैं। संक्षेप ने टीवी-9 के रूप में भारतीय दर्शकों को उनका अपना अंतर्राष्ट्रीय हिन्दी चैनल मिल गया है जिसकी कमी लंबे समय से महसूस की जा रही है।