प्रेस विज्ञप्ति
हैबिटेट सेंटर और नेशनल बुक ट्रस्ट के संयोजन में आयोजित समन्वय के इस वार्षिक महोत्सव का थीम भाषांतर देशांतर है। यानि सरहदों की सीमा को पार कर अभिव्यक्ति की प्रतिबद्धता का प्रतिपादन करने वाली भाषा का ऐसा महोत्सव जहाँ बोलियाँ साहित्यिक, सामाजिकऔर सांस्कृतिक चर्चाएँ दर्शकों को भाषा के बहुआयामी रूप के चमक से रूबरू कराने का भरसक प्रयास करती है।
भारतीय भाषाओं में लिखे साहित्य की पहचान करने और उसे बढ़ावा देने के अपने लक्ष्य को नज़र करते हुए समन्वय उन विभिन्न मानवीयविचारों को एक-दूसरे के समीप लाने में प्रयासरत है जो विभिन्न सांस्कृतिक पृष्ठभूमियों में पलकर विभिन्न भाषाओं द्वारा अभिव्यक्त किये गए हैं।
दीप प्रज्वलन के साथ समन्वय के कार्यक्रमों का आग़ाज़ करते हुए इंडिया हैबिटेट सेंटर के डायरेक्टर राकेश कक्कर ने कहा कि समन्वय आज ने आज एक मुक़ाम हासिल कर लिया है और एक पथ प्रदर्शक की तरह इसे और कई मुक़ाम हासिल करने हैं। उन्होंने कहा, “आईएचसी हमेशा यह चाहता था कि एक ऐसा मंच तैयार हो जहाँ लेखक, विचारक, पाठक और दर्शक एक साथ एक मंच पर आएँ और उनकेबीच खुलकर बातें और चर्चाएं हों। समन्वय ऐसा ही मंच है जहाँ सभी लोग इक्टठा होते हैं और जहाँ भाषा की बारीकियों और उसकी गर्माहटका खुलकर आनंद उठाते हैं। ”
कार्यक्रम के शुरूआती सत्र के अपने अभिभाषण में बोलते हुए मुख्य अतिथि हिन्दी के जानेमाने लेखक, विचारक चिंतक अशोक वाजपेयी ने कहा कि साहित्य का सबसे छोटा सबक़ यह है कि साहित्य ‘हम’ और ‘वो’ में कोई मतभेद नहीं करता। यहाँ हम और वो एक हैं। उन्होंनेकहा, ” हम और वो का जो वैर है उसे साहित्य ध्वस्त करता है।” अनुवाद की महत्त्वता पर बात करते हुए वाजपेयी ने कहा कि अगर अनुवादनहीं होता तो बीसवीं शताब्दी संभव नहीं होती। विस्तार से कहें तो बींसवी शताब्दी भौतिक रूप से होती लेकिन भावात्मक रूप में उसकाअस्तित्व सिर्फ़ अनुवाद की वजह से है।
इस साल अपनी तरह के समन्वय के एक विशेष कार्यक्रम में उन साहित्यकारों और कलाकारों को याद किया गया जो दुनिया के इस मंच कोभले ही छोड़ गए हों लेकिन उनके लिखे और बोले हुए शब्द आज भी हमारा मार्ग दर्शन करते हैं।
इस कार्यक्रम में स्वर्गीय राजेन्द्र यादव, यू आर अन्नतमूर्ति, नबारूण भट्टाचार्य, खुशवंत सिंह और बिपन चंद्र को सत्यानंद निरूपम,रामगोपाल बजाज, तथागत भट्टाचार्य, दानिश हुसैन और संजय शर्मा ने मंच पर उनकी रचनाओं को पढ़कर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की।
ढ़लती शाम में कार्यक्रम को आगे बढ़ाते हुए कलाकार मीर मुख्तियार अली और उनके साथियों नें सूफ़ियाना कलाम प्रस्तुत कर लोगों केदिलों को छु लिया।
इंडिया हैबिटेट सेंटर के वार्षिक भाषा महोत्सव समन्वय नैश्नल बुक ट्रस्ट , इंडिया द्वारा सहआयोजित किया जा रहा है। कार्यक्रम में हमारेसहयोगी हैं- दिल्ली प्रेस और आरईसी लिमिटेड. सह-सहयोगी आईआईएफसीएल, पीटीसी इंडिया लिमिटेड, बैंक अॉफ महाराष्ट्र,ओएनजीसी लिमिटेड और डीडभारती। हमारे कंटेंट पार्टनर हैं – प्रतिलिपि बाक्स और राजकमल प्रकाशन ग्रुप, हमारे आउटरीच पार्टनर हैं-आतिशी थिएटरिकल सोसाइटी, प्रथम बुक्स और आक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी प्रेस। जहाँ एक तरफ़ लौकिक अलौकिक का भेद मिट रहा था वहीं दूसरी तरफ़ भाषा का यह महोत्सव अपने दर्शकों को धीरे धीरे अपनी ओर खींच रहा था।