महिला न्यूज़ एंकरों पर इमोशनल अत्याचार !

दिल्ली में सामूहिक बलात्कार मामले में पीड़िता की मौत के बाद समाचार चैनल कुम्भकर्णी नींद से जाग गए हैं. अब न्यूज़ चैनलों पर बलात्कार, सामूहिक बलात्कार से संबंधित इतनी अधिक ख़बरें दिखाई जा रही है कि लगता है कि हम बलात्कारियों के देश में आ गए या फिर ऐसा लगता है कि दिल्ली में सामूहिक दुष्कर्म के बाद दुष्कर्म के मामले बढ़ गए.

लेकिन सच ये है कि पहले से ही ये मामले हो रहे थे, लेकिन न्यूज़ चैनलों पर कुछ मामलों को छोड़कर बाकी संबंधित खबरों को आयाराम – गयाराम की तरह पहले चलाया जाता था, सो ये खबरें कई बार दिखाने के बावजूद नोटिस में नहीं आते थे.

लेकिन अभी चुकी माहौल गरम है और सारे चैनल सरोकार की हवा में सांस ले रहे हैं तो दुष्कर्मियों के पीछे एनडीटीवी से लेकर इंडिया तक पीछे पड़ गया है और धडाधड खबरें चलाया जा रहा है. न्यूज़ चैनल इसके लिए तारीफ़ के हकदार भी हैं . लेकिन बहुत सारे लोगों को अंदेशा है कि सरोकार की हवा में जल्द ही न्यूज़ चैनलों का दम घुटने लगेगा और वक्त के साथ ख़बरें गायब हो जायेगी.

ख़ैर ये जब होगा तब होगा. फिलहाल बलात्कार से संबंधित ख़बरों की भरमार महिला न्यूज़ एंकरों के लिए परेशानी का सबब बन गया है. एक पत्रकार के साथ – साथ वे एक महिला भी हैं और ऐसी ख़बरों को पढते हुए उनके चेहरे पर शिकन को साफ़ – साफ़ देखा जा सकता है.

फेसबुक पर इसी मसले पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए एक दर्शक लिखते हैं कि खबर देखने के लिए एनडीटीवी इंडिया पर गया तो लगातार 15 मिनट तक महिला एंकर बलात्कार से संबंधित खबर ही एक – के बाद एक पढ़ती रहीं. लेकिन ख़बरें पढते हुए उस महिला एंकर के चेहरे पर शिकन साफ़ दिख रही थी. ऐसी ख़बरें लगातार पढ़ना भी आसान नहीं, खासकर महिला एंकरों के लिए. अंदर ही अंदर प्रभाव तो पड़ता ही है.

न्यूज़ एंकर से पहले वे महिला हैं तो असर तो पड़ना ही है. आखिर उनके अंदर भी एक स्त्री की संवेदना है. एक महिला एंकर नाम न छापने की शर्त पर मीडिया खबर से बातचीत करते हुए कहती हैं कि –

एक स्त्री होने के नाते ऐसी ख़बरें पढते हुए कलेजा काँपता है. गुस्सा, डर और संवेदना की लहर को एक साथ संभालना पड़ता है. फिर सीधे –सीधे खबर भी नहीं पढनी होती है. बल्कि ये भी बताना होता है कि उस स्त्री के साथ किसने और किस तरीके से बलात्कार किया. वाकई में ऐसे मामलातों की एंकरिंग करना बेहद टफ काम है. एक तरह से हमपर इमोशनल अत्याचार है. लेकिन क्या करें एंकरिंग का पेशा चुना है तो कलेजा मजबूत करके खबर पढ़ना ही होगा.

 

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