संघ के मुखपत्र ‘राष्ट्रधर्म’ पर डीएवीपी की गाज

लखनउ से प्रकाशित होने वाले राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के मुखपत्र राष्ट्र धर्म को डीएवीपी के पैनल से निलंबित कर दिया गया है, जिससे यह पत्र केंद्र सरकार के विज्ञापनों के अयोग्य हो गया है।

NEWS PAPER / अखबार
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मोदस्सिर कादरी

नयी दिल्ली । लखनउ से प्रकाशित होने वाले राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के मुखपत्र राष्ट्र धर्म को डीएवीपी के पैनल से निलंबित कर दिया गया है, जिससे यह पत्र केंद्र सरकार के विज्ञापनों के अयोग्य हो गया है।

सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के तहत आने वाले विज्ञापन एवं दृश्य प्रचार निदेशालय :डीएवीपी: के पैनल में शामिल पत्र केंद्र द्वारा जारी विज्ञापनों के पात्र होते हैं। राष्ट्रधर्म को 1947 में शुरू किया गया था और इस मासिक पत्रिका को लखनउ से प्रकाशित किया जाता है।

राष्ट्रधर्म के प्रबंध संपादक पवनपुत्र बादल ने कहा कि पत्र की 40,000 प्रतियां वितरित की जाती हैं। उन्होंने कहा, हमें विज्ञापन मिले या न मिले, हम पत्रिका का प्रकाशन जारी रखेंगे। इसका प्रकाशन आपातकाल के दौरान भी नहीं रूका था।

बादल ने कहा, डीएवीपी को लगता है कि पत्रिका पिछले साल अक्टूबर से प्रकाशित नहीं की जा रही क्योंकि उन्हें इसकी प्रति नहीं मिल रही थी जो हमनें उन्हें भेजी थी।

डीएवीपी ने छह अप्रैल की तारीख को जारी एक एडवाइजरी में कहा कि राष्ट्रधर्म उन 804 अखबार-पत्रिकाओं में शामिल है जिन्हें अक्टूबर 2017 से फरवरी 2017 के बीच मासिक अंक जमा नहीं कराने की वजह से निलंबित कर दिया गया है।

नियमों के मुताबिक सरकारी विज्ञापन हासिल करते रहने के लिये यह जरूरी है कि पत्र-पत्रिकायें अपनी मासिक प्रतियां अगले महीने की 15 तारीख से पहले डीएवीपी के पास जमा करायें। डीएवीपी हर महीने इस संबंध में एडवाइजरी जारी करता है।

एडवाइजरी में कहा गया, इसके बावजूद प्रकाशकों द्वारा मासिक अंक जमा नहीं कराये जा रहे हैं…इसलिये प्रकाशनों को पैनल से निलंबित किया जा रहा है…। डीएवीपी के एक अधिकारी ने कहा कि यह निलंबन अस्थायी है और प्रकाशनों द्वारा नियमों का पालन करने के बाद इसे हटा लिया जायेगा।
(साई)

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