दैनिक जागरण, हल्द्वानी को पंजीकरण हुए बिना अवैध तरीके से दी जा रही सरकारी सुविधाओं के संबंध में खुला पत्र
सेवा में,
डॉ.अनिल चंदोला जी,
अपर निदेशक / अपीलीय अधिकारी
सूचना एवं लोक संपर्क विभाग, उत्तराखण्ड
12, ईसी रोड, देहरादून
विषय: सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 के गलत तरीके से अपील निस्तारित करने के संबंध में सूचना
महोदय,
कृपया अपने कार्यालय पत्रांक 59/सू.एवंलो.सं.वि./(प्रशा) 395/2012 (सूआ) दिनांक 25जनवरी 2013 का संदर्भ ग्रहण करें। इस संदर्भ में मुझे कहना है कि विभागीय अधिकारी बहुत चतुर आदमी हैं और अपनी चतुराई के कारण ही इस विभाग में लंबे समय से बने हुए हैं। साथ ही विभाग में अनियमितताओं की परंपरा लगातार बनी हुई है। इसका अनुभव और जानकारी मुझे लंबे समय से है। विभाग में हो रही अनियमितताओं को अपने शब्द कौशल से, अर्थात कुतर्कों का सहारा लेकर विभाग के अधिकारी अब तक ‘जस्टिफाई’ करते आए हैं। दैनिक जागरण, हल्द्वानी से संबंधित प्रकरण को आपने उपरोक्त पत्र के माध्यम से इस तरह निस्तारित करने का प्रयास किया है जैसे यह सिर्फ सूचना न देने या गलत सूचना देने का मामला हो, और मैंने आयोग से विभागीय अधिकारियों की गलत शिकायत करते हुए सूचनाएं दिलाए जाने का अनुरोध किया हो। और बाद में अपीलीय अधिकारी ने नियमानुसार सब ठीक कर दिया हो। मैं स्पष्ट करना चाहता हूं कि-
1.मैं जानता था कि दैनिक जागरण, हल्द्वानी को सूचना विभाग अपने विभागीय नियमों को धता बताते हुए विगत 8-9 वर्षों से बिना रजिस्ट्रेशन के सुविधाएं दे रहा है, अर्थात प्रकाशन अवैधानिक था मैंने यह जानने के लिए कि किस प्रावधान के अंतर्गत ऐसा किया जा रहा है, यह बताते हुए आरटीआई आवेदन भेजा था कि दैनिक जागरण, हल्द्वानी संस्करण अपंजीकृत है।
2.मुझे लोक सूचना अधिकारी ने 03.09.2012 को पत्र प्रेषित कर जानकारी दी कि दैनिक जागरण, हल्द्वानी पंजीकृत है, उन्होंने पंजीकरण नंबर भी अंकित किया।
3.लोक सूचना अधिकारी द्वारा दी गई जानकारी कि दैनिक जागरण, हल्द्वानी पंजीकृत है, असत्य थी (यह अखबार आज भी पंजीकृत नहीं है, और नियमों की धज्जियां उड़ाकर अवैधानिक रूप से सूचना विभाग इसे सुविधाएं जारी रखे हुए है, दैनिक जागरण प्रबंधन ने करीब साढ़े आठ साल बिना पंजीकरण के सुविधाएं विभाग से प्राप्त कीं और ऐसे ही मामलों में जब बिहार में उस पर शिकंजा कसने लगा तो जुलाई 2012 में उसने दैनिक जागरण, हल्द्वानी को वर्ष, अंक, और बदली हुई इंप्रिंट लाइन तथा पंजीकरण संख्या ।ध्थ् के साथ छापना प्रारंभ कर दिया।)। इसकी शिकायत भर दिनांक 27.09.2012 को महानिदेशक, सूचना एवं लोकसंपर्क विभाग एवं मा0 उत्तराखण्ड सूचना आयोग से की थी, और सूचनाएं नहीं मांगी थीं मैंने आयोग को भारत के समाचार पत्रों के पंजीयक का कार्यालय से प्राप्त यह जानकारी कि दैनिक जागरण, हल्द्वानी पंजीकृत नहीं है के पत्र की प्रति भी भेजी थी। इस मामले में मा0 सूचना आयोग ने सुनवाई के लिए 13.12.2012 को भेजे पत्र सं0 15390/उसूआ./अपील/2012-13 में 28.12.2012 को आयोग में उपस्थित होने का निर्देश दिया गया था। मैं व्यक्तिगत कारणों से उपस्थित न हो सका लेकिन मैंने अपना पक्ष फैक्स और ईमेल के माध्यम से भेज दिया था, अब आयोग में फैक्स और ईमेल से प्राप्त आवेदक के पक्ष को महत्व दिया जाता है अथवा नहीं यह तो मुझे मालूम नहीं।
4.दिनांक 21 जनवरी 2013 को मेरे परिचित पत्रकारों के समक्ष मैंने दैनिक जागरण, हल्द्वानी के प्रबंधक के अनुरोध पर महानिदेशक सूचना को संबोधित पत्र में यह लिखकर दे दिया कि प्राप्त सूचनाओं से मैं संतुष्ट हूूं और मुझे कोई और सूचना नहीं चाहिए।
5.मुझे यह लिखकर देने में कोई दिक्कत नहीं थी, कि प्राप्त सूचनाओं से मैं संतुष्ट हूं क्योंकि मुझे वास्तव मंें सूचना विभाग से जैसी सूचना मिलने की आशा थी, वैसी मिल गई थी। मेरा अनुभव है कि अनियमितताओं के मामले में यह विभाग गलत सूचना देता है। और वैसा ही इस प्रकरण में हुआ।
6.इसकी जानकारी मैंने माननीय सूचना आयोग और महानिदेशक को दी थी और यह उन्हीं पर छोड़ दिया था कि इसमें वे क्या वैधानिक कार्यवाही करते हैं। कोई अपील कहीं नहीं की थी।
7.प्रकरण सूचना देने या नहीं देने का फिर रह ही नहीं गया, बल्कि प्रकरण नियमों की अनदेखी कर किसी को लाभ पहुंचाने और ऊपर से झूठ बोलने और कुतर्कों के जरिये अपनी बात को ‘जस्टिफाई’ करने का है। प्रकरण सिर्फ दैनिक जागरण का नहीं है, ऐसे प्रकरणों का विभाग में अनवरत सिलसिला जारी है।
8.मेरी नीयत पर कुछ लोगों ने सवाल उठाया है साथ ही प्रकरण को अपीलीय अधिकारी ने गलत तरीके से निस्तारित किया है, इसलिए मैं वस्तुस्थिति संबंधितों के समक्ष प्रस्तुत कर रहा हूं। मैं अच्छे-बुरे परिणाम की चिंता करने की मानसिकता से बहुत पहले ऊपर उठ चुका हूं।
भवदीय
अयोध्या प्रसाद ‘भारती’ (पत्रकार)
महतोष, गदरपुर-263152 (ऊधम सिंह नगर) मो0 9897791822