नदीम एस.अख्तर : किसी अखबार का दिवालियापन इससे ज्यादा और क्या हो सकता है? काम ऐसे करें कि ज्योतिष बांचने वाले पंडित जी भी पानी मांगें।
Pushkar Pushp – हाँ ये दिवालियापन ही है. पर लोगों की दिलचस्पी भी देखिए.. सौ से अधिक शेयर और ढाई हजार से ऊपर एफबी लाइक्स …अंधविश्वास की जड़े गहरी है और उसकी फायदा ख़बरों के माध्यम से दैनिक भास्कर और तमाम दूसरे अखबार और चैनल उठाते हैं.
(स्रोत-एफबी)