दिलीप मंडल,पूर्व प्रबंध संपादक,इंडिया टुडे
पॉपुलर कल्चर में रंग, नस्ल और जाति
अमेरिका श्वेत बहुल देश है. लेकिन वहां कोई भी समाचार चैनल देखिए, फिल्म देखिए. टीवी देखिए, उसमें सिर्फ श्वेत नहीं, पूरा देश दिखता है. ब्लैक दिखते हैं, हिस्पैनिक दिखते हैं, एशियन भी दिखते हैं. यहां सिर्फ CNN चैनल के कुछ अश्वेत एंकर्स को देखिए.
इसलिए स्वाभाविक है कि ज्योतिबा फुले ने अपनी किताब “गुलामगीरी” अमेरिका के उन श्वेत लोगों को समर्पित की है, जो श्वेत होते हुए गुलामी प्रथा के खिलाफ लड़े और मारे भी गए. भारत में वे किन लोगों को यह किताब समर्पित करते?
भारत सामाजिक समानता के मामले में बेहद अनुदार देश है. यहां वर्चस्वशाली लोग एक इंच जमीन छोड़ने को तैयार नहीं हैं.
वे आपकी तरह किसी श्यामवर्ण देवता की कहानी नहीं सुनाते, अश्वेत लोगों को एंपाावर करते हैं. सबल बनाते हैं.
इंडियन पॉपुलर कल्चर का मेनस्ट्रीम और डायवर्सिटी
अमेरिका में इस समय चल रहे तीनों टॉप TV शो के लीड करेक्टर श्वेत नहीं है. ये शो हैं- एंपायर, स्कैंडल और हाउ टू गेट अवे विद मर्डर. अमेरिका ने गुलामी प्रथा से उदार होने का समय बहुत कम समय में पूरा कर लिया. भारत में फिल्मों और टीवी में डायवर्सिटी का हाल तो आपको मालूम ही है. यहां कोई रिजर्वेशन नहीं मांग रहा है, सवाल आपके उदार होने या न होने का है.
यहां तो, अभिनेता राजकुमार यादव को अपना नाम राजकुमार राव रखना पड़ता है. यह कोई आसान देश नहीं है.
इसलिए स्वाभाविक है कि ज्योतिबा फुले ने अपनी किताब “गुलामगीरी” अमेरिका के उन श्वेत लोगों को समर्पित की है, जो श्वेत होते हुए गुलामी प्रथा के खिलाफ लड़े और मारे भी गए. भारत में वे किन लोगों को यह किताब समर्पित करते? भारत सामाजिक समानता के मामले में बेहद अनुदार देश है.
वहीं अमेरिका में, हर दसवीं शादी अपनी नस्ल से बाहर हो रही है. श्वेत लोगों ने वोट डालकर एक अश्वेत को राष्ट्रपति बना दिया. सबसे महंगी टीवी स्टार एक अश्वेत हैं.
वे तो सुधर गए, तुम कब सुधरोगे? @fb