सुजीत ठमके
आलोचना करने से पहले मशहूर लेखक चेतन भगत से माफ़ी मांगते हूँ और चेतन भगत का शुक्रिया अदा करता हूँ कि चेतन भगत के कारण देश-दुनिया के करोड़ो दर्शको को ‘थ्री इडियट्स’, ‘काई पोचे’ जैसी बेहतरीन मूवी देखने को मिली। ‘फाइव पॉइंट सम वन’ जैसी बेस्ट सेलिंग बुक युवाओ को पढ़ने को मिली। अपने किताबों की बदौलत ही उनके करोड़ो फेन्स फॉलोविंग है। टाइम्स मैगज़ीन की सूची में भी उनका नाम शुमार। देश-दुनिया के इंजिनयरिंग, मेडिकल और प्रबंधन से जुड़े संस्थान के छात्र तो मानो चेतन भगत के दीवाने है। देश का नामचीन संस्थान आईआईटी, आईआईएम के चेतन भगत एक सुपर हीरो है। आईआईटी, आईआईएम छात्र चेतन को लुक अप जरूर करते है। चेतन क्या लिखते है। क्या बोलते है। वर्तमान में उसकी बाते कितनी रिलेवंस है। टेलीविजन चैनल का डिबेट या फिर कोई कार्यक्रम चेतन भगत को देश दुनिया का करोडो युवा तबका टकटकी लगाए सुनता है। इंटेक्चुयल क्लास की चेतन की बातो पर पैनी नजर रहती है। चेतन भगत द्वारा होस्ट किया गया प्रोग्राम ७ – रेसकोर्स हो या अखबारों में लिखे जाने वाले कॉलम चेतन का टेक जनरेशन तबका मुरीद है।
मैं भी उनका प्रशंसक रहा हूँ. लेकिन कुछ दिन पहले चेतन भगत की हाफ गर्ल्स फ्रेंड नावेल पढ़ने के बाद कुछ गंभीर सवाल मेरे जेहन में उभरे। एक मीडियाकर्मी होने के नाते मुझे चेतन भगत की आलोचना करने का पूरा हक़ है। पूरी आजादी है। चेतन भगत आईआईटी, आईआईएम जैसे देश के बड़े संस्थान से पास आउट है। फॉरेन इन्वेस्टमेंट बैंकिंग की नौकरी छोड़कर चेतन राइटर बने। चेतन फाइव पॉइंट समवन नावेल से दुनिया पर छाए। मशहूर हुए। ग्लैमर,नेम,फेम, पैसा चेतन को इसी नावेल ने दिया। वन नाइट @ कॉल सेंटर, ३- मिस्टेक्स इन माय लाइफ, २- स्टेट्स, रिवेलुवेशन २०२०, व्हाट यंग इंडिया वांट्स, और हाल ही में प्रकाशित हुए हाफ गर्ल्स फ्रेंड्स उपन्यास के जरिये चेतन का बैंक बैलेंस भारी भरकम हो गया । ३- इडियट्स और काई पोचे जैसी बेहतर मूवी से चेतन की आमदनी में कई गुना इजाफा हुआ। लेकिन जहाँ तक मैंने महसूस किया कि चेतन केवल और केवल कम्फर्ट ज़ोन में रहते हुए नावेल लिखते रहे। चेतन को इस बात का डर बना रहा कि उन्हें लुकअप करने वाला आईआईटी, आईआईएम का तबका कही हाथ से निकल ना जाए। इसी कम्फर्ट ज़ोन के कारण चेतन भगत ने देश की गंभीर समस्या को कभी टटोला नहीं।
चेतन चाहते तो भ्रष्ट राजनीति, भ्रष्टाचार, बेरोजगारी, ग्रामीण भारत की समस्या मसलन खाप पंचायत, शिक्षा, एज्युकेशन रिफॉर्म, महिला उत्पीड़न, दहेज़ उत्पीड़न, कुपोषण, स्वस्थ सुविधा, भुखमरी आदि आदि विषयो पर नावेल लिखकर दुनिया के युवाओ को ध्यान भारत की और खीचते। सरकार, देश और ब्यूरोक्रेट को भी चेतन की बातो का फायदा होता। चेतन भगत ने आईआईटी, आईआईएम के बाहर भी एक बड़ा भारत बसता जिनकी मौलिक मानवीय जरूरते भी पूरी नहीं होती इसपर कभी गंभीरता से विचार किया नहीं। समझा नहीं, जाना नहीं या फिर चेतन ने जानबूझकर इन विषयो की अनदेखी यह भी शोध का विषय है। न्यूज़ चैनल के भाषा में कहे तो चेतन भगत का टारगेट ऑडिएंस सेट है। चेतन उसी क्लास को ध्यान में रखकर नावेल लिखते है जिससे रॉयल्टी मिलती रहे।
चेतन की कलम केवल और केवल आईआईटी, आईआईएम, इंजीनियरिंग छात्र, बॉय फ्रेंड गर्ल्स के लव अफेयर्स के किस्से, ब्रेक अप आदि के इर्दगिर्द ही घूमती रही। चेतन चाहते तो देश के गंभीर सामाजिक मुद्दो पर लिखकर विश्व के मानसपटल पर रखते। दुनिया का ध्यान भारत की तरफ आकर्षित करते। देश दुनिया के युवाओ की इस विषय पर सचेत करते। शायद अन्तराष्ट्रीय समुदाय भी चेतन भगत की बातो को इन विषयो पर गंभीरता से सुनता।
चेतन किसी विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह में जाते है तो ३० मिनिस्ट्स का लेक्चर देने के ५-१० लाख रुपये लेते है। अपने भाषणो में एजुकेशन सिस्टम में कैसे रिफॉर्म। मिनिमम आय रखने वाले परिवार के बच्चो को अच्छा एज्युकेशन कैसा मिले इसपर बात करना टालते है। उनका पूरा भाषण ग्लैमर, लव अफेयर्स, ब्रेक अप, डेटिंग इन मुद्दो के इर्दगिर्द घूमता है।
चेतन भगत देश दुनिया का जाना पहचाना नाम है। करोड़ो लोग लुक अप करते है। लेकिन चेतन की कलम केवल आईआईटी, आईआईएम, लव अफेयर्स,ब्रेक अप, डेटिंग इसी के टहलती है। ऐस में गंभीर सवाल खड़ा होता है क्या चेतन केवल पैसा बनाने के लिए लिखते है?
(सुजीत ठमके – लेखक भारत सरकार के अधीन देश के नामचीन संस्थान में मीडिया एंड कॉर्पोरेट पीआर देखते है। कई मीडिया संस्थान में रह चुके है। युवा मीडिया विश्लेषक है। राजनीति, करेंट अफेयर्स, फायनांस, आन्ट्रॅप्रॅनर्शिप, विदेशनीति आदि विषयो पर अच्छा पकड़ रखते है )